वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान
दुनियाभर में कई कोविड-19 वैक्सीन(COVID-19 vaccine) पर काम जारी है और उम्मीद है कि ये जल्द ही आम लोगों को मिले. वैक्सीन को लेकर ये भी कहा जा रहा है कि इसका एक शॉट काफी नहीं होगा. 2 खुराक की जरूरत पड़ सकती है. इन तमाम बातों पर स्टडी और काम जारी हैं.
भारत की तैयारी क्या है? क्या भारत पर्याप्त डोज बनाने के लिए तैयार है? इतनी बड़ी आबादी तक वैक्सीन कैसे पहुंचेगी, चुनौतियां क्या हैं?
पहले इन अहम बातों को जानिए-
- भारत को वयस्क जनसंख्या के लिए 170 करोड़ COVID-19 वैक्सीन डोज की जरूरत है. ऐसा क्रेडिट सुइस की एक रिसर्च कहती है.
- बात करें क्षमता की तो भारत 240 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज मैन्यूफैक्चर कर सकता है.
- जुलाई 2021 तक 40-50 करोड़ डोज लोगों तक पहुंचाने का टारगेट है.
- भारत को ऑक्सफोर्ड/ एस्ट्राजेनेका, नोवावैक्स और जॉनसन एंड जॉनसन के वैक्सीन से उम्मीद है. ये वैक्सीन जनवरी 2021 तक आ सकते हैं.
आप ये सोच सकते हैं कि जब इतने सारे वैक्सीन कैंडिडेट दौड़ में हैं तो फिर इन 3 वैक्सीन से ही भारत को उम्मीद क्यों है?
वजह है वैक्सीन के भंडारण के लिए जरूरी टेंपरेचर रेंज. इन वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर की जरूरत है. भारत के पास अब तक वैक्सीन को इतने ही टेंपरेचर पर रखने की सुविधा है. जबकि mRNA वैक्सीन जिनमें मॉडर्ना और फाइजर वैक्सीन शामिल हैं- इनके स्टोरेज के लिए -20, -70 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर की जरूरत है.
चुनौतियां और संभावनाएं क्या हैं?
कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर -खासकर रेफ्रिजरेटेड वैन की कमी भारत के लिए एक चुनौती है.
भारत जैसे विकासशील देश, खास तौर से कस्बों और ग्रामीण इलाकों में इतने कम टेंपरेचर वाले कोल्ड स्टोरेज चेन नहीं हैं, ऐसे में फाइजर , बायोएनटेक वैक्सीन को वहां तक पहुंचाना बड़ी चुनौती होगा.
वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील कहते हैं
“फाइजर की वैक्सीन को अल्ट्रा-कोल्ड तापमान में स्टोर करना है. स्टोरेज के लिए -80 डिग्री या उससे भी कम तापमान की जरूरत है. ऐसे में वैक्सीन का वितरण और कोल्ड चेन बहुत बड़ी चुनौती है. निश्चित रूप से ये वो वैक्सीन नहीं है, जिसे आप भारत में ज्यादा लोगों को देने के बारे में सोच सकते हों क्योंकि भारत में इस तरह की कोल्ड चेन के लिए बुनियादी ढांचा नहीं है. शायद, कुछ बहुत अमीर लोग जो बहुत पैसे दे सकते हैं वे इसे ले सकने में सक्षम हो सकते हैं, वह भी अगर वैक्सीन भारत में उपलब्ध हो जाए. निकट भविष्य में इस वैक्सीन के हम तक, भारत आने को लेकर ज्यादा खुश नहीं हुआ जा सकता क्योंकि ऐसा नहीं होगा.”डॉ शाहिद जमील, वायरोलॉजिस्ट. डायरेक्टर, त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज, अशोका यूनिवर्सिटी
भारत में क्या हैं संभावनाएं
- भारत में फिलहाल प्राइवेट सेक्टर की मदद से, सालाना करीब 55-60 करोड़ वैक्सीन डोज लोगों को दिया जा सकता है और वैक्सीन लगाने के लिए 1 लाख से कम मैनपावर की जरूरत पड़ती है.
- मार्च-अप्रैल 2021 तक अरबिंदो की बड़ी वायरल वेक्टर वैक्सीन फैसिलिटी के तैयार हो जाने की उम्मीद है. यहां 30 करोड़ डोज तैयार हो सकेंगे.
- DNA वैक्सीन के लिए कैडिला के पास 10 करोड़ डोज की सुविधा है.
- अपोलो अस्पताल सालाना 10 करोड़ डोज का प्रबंधन कर सकता है.
- सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया कोविशिल्ड की हर महीने पहले से ही 4-5 करोड़ डोज का प्रोडक्शन कर रहा है.
- बायोलॉजिकल E हर साल 140 करोड़ वैक्सीन डोज के मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता पर काम कर रहा है.
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