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COVID-19: भारत में ‘डबल म्यूटेंट’ वेरिएंट और ‘वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न’

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Health News
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26 मार्च को, भारत ने कोरोना के नए मामलों में पिछले पांच महीनों का सबसे बड़ा उछाल देखा. देश में अक्टूबर के बाद से पहली बार कोरोना वायरस के 59,118 नए मामले दर्ज हुए. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र और पंजाब से दर्ज हो रहे हैं. यहां रोजाना बड़ी संख्या में नए मामले दर्ज हो रहे हैं.

24 मार्च को, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इंडियन SARS-CoV-2 कंसोर्टियम ऑन जीनोमिक्स (INSACOG) द्वारा की गई जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए भारत में वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न (VOCs) और एक नये डबल म्यूटेंट वेरिएंट की पहचान की गई है.

इसका क्या मतलब है और कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए क्या इन वेरिएंट्स के कारण हमें परेशान होने की जरूरत है? फिट ने इस सिलसिले में अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के डायरेक्ट, डॉ. शाहिद जमील से बात की है, जो एक वायरोलॉजिस्ट भी हैं.

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अब तक, भारत ने 1000 से अधिक वायरल सिक्वेंस किए हैं.

तीन वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न पाए गए हैं, जिन्हें कई देशों में देखा गया है:

  • यूके वेरिएंट- B.1.1.7

  • साउथ अफ्रीकन वेरिएंट- B.1.351

  • ब्राजील वेरिएंट- P.1

इनके अलावा भारत में नये डबल म्यूटेंट वेरिएंट के बारे में डॉ शाहिद जमील बताते हैं, "E484Q नाम का म्यूटेशन एक नया कॉम्बिनेशन है, जिसे देखा नहीं गया था और यह सिक्वेंस किए जा रहे 15-20% मामलों में पाया गया है."

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क्या नया म्यूटेशन कोरोना के बढ़ते मामलों से जुड़ा है?

डॉ. जमील कहते हैं, "अब तक, हम नहीं जानते हैं. बढ़ते मामलों और नये म्यूटेशन के बीच कोई लिंक है या नहीं ये समझने के लिए एपिडेमियोलॉजिकल स्टडीज चल रही हैं."

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भी कहा गया है कि भले ही वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न और एक नया डबल म्यूटेंट वेरिएंट भारत में पाया गया है, लेकिन ये इतनी ज्यादा संख्या में नहीं मिला है कि कुछ राज्यों में बढ़ रहे मामलों से इसका संबंध जोड़ा जा सके.

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि फिर भी, COVID प्रोटोकॉल को बनाए रखना महत्वपूर्ण है.

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म्यूटेशन होना नॉर्मल है, तो क्या हमें चिंतित होने की जरूरत नहीं है?

डॉ. जमील बताते हैं कि म्यूटेशन प्राकृतिक घटनाएं हैं.

“ये इसलिए होता है क्योंकि कुछ म्यूटेशन वायरस को फायदा पहुंचाते हैं. इन म्यूटेंट लीनिएज (वंशावली) के साथ यही हो रहा है. अगर म्यूटेशन वायरस के लिए हानिकारक होता, तो हम इसे नहीं देखते क्योंकि यह सर्वाइव नहीं कर पाता.”

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भी कहा गया, “5-6 प्रतिशत म्यूटेशन सामान्य है. लेकिन जब यह सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है या इससे ट्रांसमिशन में वृद्धि होती है, तो ये चिंताजनक हो सकता है.”

चूंकि म्यूटेशन स्वाभाविक है, ऐसे में ट्रैकिंग और ट्रेसिंग महत्वपूर्ण हो जाती है ताकि अधिक जानकारी हासिल की जा सके.

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क्या होता है ‘डबल म्यूटेशन’?

“एक म्यूटेशन सेलेक्ट होने के बाद उस वायरस में एक और म्यूटेशन हो सकता है, ट्रिपल म्यूटेशन भी हो सकता है और एक अलग लीनिएज (वंशावली) बन सकता है.”
डॉ शाहिद जमील, वायरोलॉजिस्ट

उदाहरण के लिए, यूके वेरिएंट में 23 म्यूटेशन और कई लीनिएज हैं. इन 23 में से, 17 म्यूटेशन जो प्रोटीन में परिवर्तन करते हैं, जो वायरस बनाता है. इन 17 में से 8 म्यूटेशन वायरस के स्पाइक प्रोटीन में मौजूद हैं.

“स्पाइक प्रोटीन कोशिकाओं में प्रवेश करने और एंटीबॉडी से बंधने और वायरस के बेअसर होने के लिए महत्वपूर्ण है. यह एक स्वाभाविक नतीजा है.”
डॉ. शाहिद जमील, वायरोलॉजिस्ट और डायरेक्टर, त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज, अशोका यूनिवर्सिटी
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दक्षिण भारत में नया म्यूटेशन

डॉ. जमील कहते हैं, "दक्षिण भारत में एक और म्यूटेशन है. ये सभी म्यूटेशन वायरस की सतह के क्षेत्र में हैं, जहां एंटीबॉडीज वायरस को बेअसर करने के लिए बंधते हैं, इसलिए इसका प्रभाव होगा."

डॉ जमील के मुताबिक कई म्यूटेशन चिंता का विषय हैं.

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"वायरस हमेशा के लिए म्यूटेट नहीं हो सकता है"

“कुछ समय बाद, ये म्यूटेशन वायरस के लिए हानिकारक हो जाते हैं और यह विकास की प्रक्रिया में स्वाभाविक है. हम इसे देख रहे हैं क्योंकि भारत में 11 मिलियन से अधिक मामले हैं.”

“इससे घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधान रहना है. चिंता करने की बजाए सबसे अच्छी चीज जो हम कर सकते हैं, वो है COVID उपयुक्त व्यवहार का पालन करना.”
डॉ. शाहिद जमील, वायरोलॉजिस्ट और डायरेक्टर, त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज, अशोका यूनिवर्सिटी

डॉ. जमील कहते हैं, "महामारी खत्म होगी, लेकिन अभी नहीं हुई है."

इसलिए बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने में मदद करने के लिए सामाजिक दूरी और हैंड हाइजीन बनाए रखें.

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