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COVID-19: क्या रूस में तैयार कर ली गई है कोरोना की पहली वैक्सीन?

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Health News
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इस 12 जुलाई को भारत में रूस के दूतावास ने ट्वीट कर कहा कि सेचेनोफ यूनिवर्सिटी ने COVID-19 के खिलाफ दुनिया की पहली वैक्सीन का वॉलंटियर्स पर क्लीनिकल टेस्ट पूरा कर लिया है. ट्वीट में बताया गया है कि चीफ रिसर्चर इलीना स्मोलयारचुक ने कहा, "वैक्सीन सेफ है. वॉलंटियर्स को 15 जुलाई और 20 जुलाई को डिस्चार्ज किया जाएगा."

इसके बाद खबरें आने लगीं कि कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में रूस ने बाजी मार ली है, इसे दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन, सभी ट्र्रायल सफल होने और इंसानों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होने का दावा किया जाने लगा.

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क्या रूस में दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन का टेस्ट सफल हुआ है?

सेचेनोफ यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर कोरोना की वैक्सीन को लेकर जो खबर दी गई है, उसमें 'दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन' जैसा कोई दावा नहीं किया गया है.

इसी खबर में जानकारी दी गई है कि सेचेनोफ यूनिवर्सिटी ने वॉलंटियर्स पर कोरोना वैक्सीन का टेस्ट किया है. यूनिवर्सिटी ने 18 जून को रूस के गेमली इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा निर्मित इस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया था.

18 जून, 2020 को 18 लोगों के ग्रुप को और 23 जून, 2020 को 20 लोगों के दूसरे ग्रुप को वैक्सीन दी गई यानी कुल 38 लोगों पर ट्रायल हुआ है.

इसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हुए, जिनकी उम्र 18 से 65 साल के बीच थी. ट्रायल में कुछ पार्टिसिपेंट्स को सिर दर्द, बॉडी टेंपरेचर बढ़ने की दिक्कत महसूस हुई, हालांकि ये लक्षण 24 घंटों में ठीक हो गए.

वैक्सीन लगने के बाद वॉलंटियर्स को 28 दिन आइसोलेशन में बिताने थे और डिस्चार्ज होने के बाद भी 6 महीनों तक इनको मॉनिटर किया जाएगा.

आपको बता दें कि दुनिया भर में कोरोना की वैक्सीन के लिए 155 से अधिक ट्रायल चल रहे हैं और करीब 22 वैक्सीन कैंडिडेट ह्यूमन ट्रायल में हैं. इसका मतलब है कि इंसानों पर वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं और इसके असर को लेकर टेस्ट किए जा रहे हैं.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और अमेरीकी बायोटेक कंपनी मॉडर्ना - COVID-19 की वैक्सीन तैयार करने की रेस में फिलहाल सबसे आगे हैं.

किसी वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए हजार से 10 हजार लोगों पर हुए ट्रायल के रिजल्ट की गहन जांच की जाती है.

हम आपको पहले ही वैक्सीन डेवलपमेंट के फेज की जानकारी दे चुके हैं. वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल भी कई फेज में होता है और हर फेज में इसकी सेफ्टी, असर, टॉक्सिसिटी और इम्युन सिस्टम को एक्टिवेट करने की क्षमता परखी जाती है.

इस तरह रूस में 38 वॉलंटियर्स पर जो ट्रायल हुआ है, वो ह्यूमन ट्रायल का फेज 1 है. सिर्फ इस आधार पर हम ये नहीं कह सकते हैं कि पूरा ह्यूमन ट्रायल सफल हुआ है. अभी ह्यूमन ट्रायल का फेज 2 और फेज 3 होना बाकी है.

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