ADVERTISEMENTREMOVE AD

तेजी से बढ़ते कोरोना मामलों पर एक्सपर्ट्स क्या बता रहे

Updated
Health News
7 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female
ADVERTISEMENTREMOVE AD

देश में सबसे ज्यादा कोविड-19 के केस महाराष्ट्र से सामने आ रहे हैं. महाराष्ट्र में गुरुवार, 18 मार्च को कोरोना के 25,833 नए मामले सामने आए. इससे पहले 11 सितंबर, 2020 को 24,886 मामले सामने आए थे.

राज्य में कोरोना से अब तक 53,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

कोरोना मामलों में अचानक हुई ये बढ़ोतरी चिंतित करने वाली है, आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? महाराष्ट्र के उदाहरण के जरिये इसे समझते हैं.

“बढ़ते मामलों की दर परेशान करने वाली है और ये सिर्फ महाराष्ट्र के लिए चिंता की बात नहीं है, हम एक ऐसी स्थिति को देख रहे हैं, जो पूरे देश को प्रभावित करेगी क्योंकि भारत में सख्त सीमाएं नहीं हैं.”
डॉ स्वप्निल पारिख, इंटरनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट
0

फिट ने इस सिलसिले में कस्तूरबा हॉस्पिटल में मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ एस.पी कलंत्री और इंटरनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ स्वप्निल पारिख से बात की. डॉ पारिख ‘The Coronavirus: What You Need to Know About the Global Pandemic’ किताब के लेखक हैं.

‘निश्चित तौर पर ये कोरोना की दूसरी लहर है’

डॉ कलंत्री कहते हैं कि उनके हॉस्पिटल में जनवरी 2021 के मध्य में जश्न सा लगा, जब COVID-19 के मामलों में गिरावट आई थी और उम्मीद जगी कि महामारी अपने अंत की ओर है. "लेकिन ये मुश्किल फिर बढ़ गई है. 2020 में अपने चरम पर हमारे अस्पताल में कोरोना के 190 मरीज भर्ती थे और अब 154 मरीज हैं."

“हमें अभी भी यह निर्धारित करने के लिए अधिक डेटा की आवश्यकता है कि अचानक मामलों में तेजी क्यों आई है, लेकिन यह अभी हमारे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण है. हमारे आईसीयू भरे हुए हैं, हमारे वेंटिलेटर भरे हुए हैं.”
डॉ एस.पी कलंत्री

डॉ कलंत्री बताते हैं, “हमारे स्वास्थ्य कर्मचारी लगभग 1 साल से कड़ी मेहनत कर रहे हैं. वो मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित हुए हैं. कई हेल्थकेयर वर्कर संक्रमित हुए, कई अपने घर वापस चले गए हैं. ये सब मैनेज करना कठिन है.”

इस महामारी ने हमारे हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भारी बोझ डाला है और जब हमने सोचा कि भारत एक बेहतर स्थिति में पहुंच रहा है, तो अचानक मामलों में आई तेजी ने फ्रंटलाइन वर्कर्स को हतोत्साहित कर दिया है, जो बढ़ते मामलों का खामियाजा सबसे पहले भुगतेंगे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोरोना मामलों में अचानक इतनी तेजी क्यों आई?

विशेषज्ञों का कहना है कि डेटा पर बात करने की जरूरत है. डॉ कलंत्री कहते हैं, "तब तक, हमारे पास सिर्फ धारणाएं और अटकलें हैं." उन्होंने बताया, " इस पर कई थ्योरीज हैं, उत्तर-पूर्व विदर्भ में सर्दियां आ गई हैं, लेकिन यह एक कमजोर थ्योरी है. दूसरी थ्योरीज ये हैं कि शादियों का मौसम और अनलॉक के दौरान लापरवाही, सामाजिक दूरी की कमी, यात्रा और प्रोटोकॉल का पालन नहीं होना है."

डॉ पारिख का कहना है कि समस्या बहुत बढ़ रही है.

“महाराष्ट्र सबसे पारदर्शी डेटा रिपोर्टिंग सिस्टम में से एक है, लेकिन मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह केवल एक राज्य की समस्या नहीं है. बढ़ती यात्राओं के साथ, मामले भारत के अन्य हिस्सों में भी बढ़ेंगे.”
डॉ स्वप्निल पारिख

डॉ पारिख कहते हैं कि पुणे, मुंबई, नागपुर में कोरोना के मामलों में परेशान करने वाली वृद्धि देखी जा रही है, यह बताते हुए कि नागपुर का डेटा विशेष रूप से खतरनाक है क्योंकि सीरो के अध्ययन से संकेत मिलता है कि शहर के कुछ हिस्सों में 50-75 प्रतिशत के बीच हाई सीरोपॉजिटिविटी थी. "इसका मतलब है कि एक बड़ी आबादी में एंटीबॉडी है और वो पहले से ही संक्रमित हो चुकी थी."

ADVERTISEMENTREMOVE AD

“नागपुर की आबादी लगभग 25 लाख है, और हम हाई टेस्ट पॉजिटिविटी के साथ प्रतिदिन लगभग 2500-3000 नए मामले देख रहे हैं. हम टेस्टिंग क्षमता की सीमा तक पहुंच गए हैं."

“यह बेहद चिंताजनक है. हमने भारत में इस तरह की वृद्धि पिछले पीक पर भी नहीं देखी है. और इस संदर्भ में कि बड़ी संख्या में लोग पहले ही सामने आ चुके हैं.”
डॉ स्वप्निल पारिख

क्या ये दोबारा संक्रमण के मामले हो सकते हैं?

"हम नहीं जानते," डॉ पारिख कहते हैं. "या तो सिरोप्रिवलेंस डेटा गलत हैं, जो चिंताजनक है, या ये दोबारा संक्रमण है. और कोई भी उम्मीद करेगा कि इनमें से अधिकांश संक्रमण हल्के होंगे. लेकिन मेरे सहयोगी कह रहे हैं कि उन्हें अब कम उम्र के लोगों में भी गंभीर बीमारी दिखाई दे रही है.”

इसका मतलब है कि अस्पताल में भर्ती किए जाने वाले मामले ज्यादा हैं और युवा लोगों में फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं के सबूत मिल रहे हैं. "युवाओं में हाई वायरल लोड देखा जा रहा है और उनकी बीमारी लंबे समय तक रह रही है."

हालांकि डॉ कलंत्री का कहना है कि वर्धा में, जो कि नागपुर से लगभग 76 किलोमीटर दूर है, वायरस दो चिंताजनक संकेत दिखा रहा है: “पहला, अधिक उम्र के लोग संक्रमित हो रहे हैं और दूसरा, यह पिछली बार की तुलना में अधिक संक्रामक है. अब पूरा परिवार और पड़ोस संक्रमित हो रहा है.”

ADVERTISEMENTREMOVE AD

डॉ कलंत्री कहते हैं कि शायद इस बार टेस्टिंग में सुधार हुआ है, इसलिए अधिक मामले सामने आ रहे हैं. “वर्धा में भी 29 प्रतिशत सीरोपॉजिटिविटी रही. 3 में से 1 लोगों ने एंटीबॉडी विकसित की, लेकिन फिर भी संख्या अधिक है.”

“स्थिति पिछले अगस्त या जुलाई की तरह है. हां, हमारे पास अधिक केंद्र हैं और हम बेहतर तरीके से तैयार हैं, लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों में और आम जनता में थकान बढ़ रही है, जो अब निवारक उपायों के लिए पहले की तरह अनुशासित नहीं हैं.”

डॉ पारिख कहते हैं कि मामलों में तेजी से अधिक, वह इस बात से बेहद चिंतित हैं कि यह तेजी हाई सीरोप्रिवलेंस वाले क्षेत्रों में हो रही है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या इसकी वजह नया वैरिएंट है?

इस पर अभी डेटा नहीं हैं. डॉ पारिख कहते हैं, "हमारे पास पर्याप्त या अच्छी गुणवत्ता वाले जीनोमिक सर्विलांस टेस्टिंग नहीं है. मुझे लगता है कि यह एक वैरिएंट से जुड़ा मुद्दा है और हमें अभी महाराष्ट्र और विशेष रूप से नागपुर में क्या हो रहा है, इससे बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है."

बुधवार, 17 मार्च को, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के तहत वैज्ञानिक संस्थानों ने महाराष्ट्र में एक डबल म्यूटेशन वाले वैरिएंट को लेकर केंद्र को सतर्क किया, लेकिन अभी तक कोई सबूत नहीं है कि यह मामलों में आई तेजी से जुड़ा हुआ है.

डॉ पारिख बताते हैं, "हमें पता नहीं है, हम पैलट्री सीक्वेंसिंग कर रहे हैं, इसलिए हमें पता नहीं है कि क्या चल रहा है. सभी पॉजिटिव सैंपल के 5 प्रतिशत सैंपल के जीनोमिक सिक्वेंसिंग का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन हम 1 प्रतिशत भी नहीं कर रहे हैं."

ADVERTISEMENTREMOVE AD

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने बताया, सूत्रों का कहना है कि अब तक 7,000 वायरस के सैंपल लिए गए हैं, जिनमें से 200 महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों से लिए गए थे. इन 200 में से 20 प्रतिशत में दो म्यूटेशन पाए गए.

हम म्यूटेशन पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, लेकिन वायरस के साथ दुनिया भर में क्या हो रहा है, इसे देखें. डॉ पारिख बताते हैं कि सिक्वेंसिंग में इम्युनो-कॉम्प्रोमाइज्ड या जिन्हें लगातार संक्रमण रहते हैं, ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बात के प्रमाण हैं कि जब लोग लंबे समय तक संक्रमित रहते हैं, विशेष रूप से जिन लोगों में इम्यूनो-डेफिसिएंसी होती है, तो वायरस ऐसे लोगों के अंदर विकास की अवधि से गुजरता है. इसका मतलब है कि वायरस म्यूटेट होता है और अगले व्यक्ति में उसी रूप में संचरित होता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक राहत की बात ये है कि मामलों में आई तेजी के साथ कोरोना से मौत के मामले और अस्पतालों में भर्ती होने के मामले उतनी तेजी से नहीं आए हैं. मुंबई के भाभा अस्पताल के एक सूत्र ने कहा कि उनके अस्पताल ने अभी तक COVID रोगियों को भर्ती करना शुरू नहीं किया है.

डॉ पारिख इसे टाइम लैग बताते हैं.

इसके अलावा, जैसा कि डॉ कलंत्री ने कहा कि उनके हॉस्पिटल में भर्ती होने वालों की संख्या बढ़ी है, इसलिए हम यह मान सकते हैं कि बाकी हिस्सों के अस्पतालों में भी मरीजों की भर्ती बढ़ेगी.

जैसा कि भारत के टीकाकरण कार्यक्रम को गति मिलती है, उम्मीद है कि लोगों की मौत नहीं होगी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वैक्सीन से कितनी मदद मिलेगी?

"उम्मीद है, बुजुर्गों को मौतों से बचाया जाएगा," डॉ पारिख कहते हैं.

लेकिन डॉ कलंत्री उतने आशान्वित नहीं हैं.

“लोगों का मानना था कि जैसे ही वैक्सीन आएगी, एक जादू की दवा आ जाएगी, एक रामबाण औषधि. लोगों ने बचाव के उपायों में ढील ले ली, लेकिन मैं सभी से यह कहना चाहता हूं कि वैक्सीन एक हद तक ही प्रिवेंटिव है.”
डॉ कलंत्री

डॉ कलंत्री कहते हैं, "मैं चाहता हूं कि हर टीकाकरण केंद्र के बाहर स्पष्ट रूप से ये लिखा रहे: वैक्सीन के जरिए आप कुछ हद तक ही सुरक्षित हैं. कृपया अभी भी अपने मास्क पहनें!"

वह कहते हैं कि लोग वैक्सीन पर से विश्वास खो रहे हैं क्योंकि लोग उन डॉक्टरों के बारे में जानते हैं, जो अपने शॉट के बाद भी संक्रमित हो गए हैं. क्या इसका मतलब यह है कि लोग मास्क पहनने और डिस्टेन्सिंग जैसे सुरक्षा उपायों पर वापस जाएंगे?

“लोगों ने खुद को भाग्य के भरोसे छोड़ दिया है, और अनुशासन में भारी गिरावट आई है. मैं समझता हूं कि लोग थक गए हैं, लेकिन प्राथमिक निवारक उपायों को वापस आने की जरूरत है.”
डॉ कलंत्री
ADVERTISEMENTREMOVE AD

दूसरे लॉकडाउन को कैसे रोकें

हमें यह पता है. मास्किंग, सामाजिक दूरी, हाथ धोना.

डॉ कलंत्री कहते हैं, ''एक और लॉकडाउन विनाशकारी होगा. महाराष्ट्र सरकार द्वारा रेस्तरां और सिनेमाघरों में 50 प्रतिशत क्षमता वाले नए उपायों पर, डॉ कलंत्री कहते हैं कि ये पर्याप्त नहीं होंगे क्योंकि वे काम नहीं करेंगे. “क्या पति और पत्नी एक थिएटर में 6 फीट अलग बैठेंगे? आप इन नियमों को लागू नहीं कर सकते, इसलिए इनका कोई मतलब नहीं है.”

“मैं चाहता हूं कि हर कोई ये जान ले कि कोई जादू नहीं होने वाला है. हमें बस छोटे, सरल उपायों को जारी रखना है: ठीक से मास्क पहनना, जो अच्छी तरह से फिट होते हों और आपस में दूर बनाई रखें.”
डॉ कलंत्री

पब्लिक हेल्थ कम्यूनिकेशन में वृद्धि जो टीकों पर इतनी निर्भर नहीं है क्योंकि इलाज से भी मदद मिलेगी.

"हमें अपने इनडोर वायु गुणवत्ता की निगरानी करने की आवश्यकता है, हवा का फिल्टरेशन भी सुनिश्चित करें," डॉ पारिख कहते हैं.

हम पहले से ही जानते हैं कि ट्रांसमिशन पर अंकुश लगाने के लिए क्या करना होगा, असली सवाल यह है: क्या हम ये कर पाएंगे?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें