दिल्ली और मुंबई में प्राइवेट लैबों को बिना डॉक्टरी पर्चे के कोरोना टेस्ट करने की मंजूरी मिल गई है. मुंबई में लोग RT-PCR (real-time polymerase chain reaction) और एंटीबॉडी टेस्ट दोनों करा सकते हैं, वहीं दिल्लीवासी अब इन लैबों में एंटीबॉडी टेस्ट करा सकते हैं ताकि पता चल सके कि उन्हें पहले संक्रमण था या नहीं.
एंटीबॉडी टेस्टिंग कितनी भरोसेमंद है और आप कैसे ये टेस्ट करा सकते हैं, कितना खर्च होता है फिट इससे जुड़े सवालों का जवाब दे रहा है.
सबसे पहले ये जान लीजिए कि एंटीबॉडी टेस्ट डायग्नोस्टिक टेस्ट नहीं हैं. इसका मकसद बीमारी का पता लगाना नहीं है.
एंटीबॉडी टेस्ट क्या है?
इससे पहले फिट के एक वीडियो में, वेलकम ट्रस्ट DBT इंडिया एलायंस के CEO और वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील ने समझाया है, "जब आप वायरस या किसी दूसरे रोगाणु से संक्रमित होते हैं, तो आपका शरीर इस पर प्रतिक्रिया करता है और एंटीबॉडी का उत्पादन करता है. एंटीबॉडी रेस्पॉन्स में यही मापा जाता है."
फिट के लिए एक आर्टिकल में डॉ जमील लिखते हैं, "एंटीबॉडी टेस्टिंग में दो तरह के एंटीबॉडी की मौजूदगी (या गैर-मौजूदगी) पता की जाती है- इम्युनोग्लोबुलिन M (IgM) और IgG. COVID-19 रोगियों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि शुरुआती लक्षणों को दिखने के करीब 7 दिन बाद IgM एंटीबॉडी ब्लड में मिलते हैं; IgG एंटीबॉडीज लगभग 10 दिन में मिलते हैं. IgM एंटीबॉडी 35-40 दिनों के बाद गायब हो जाते हैं, IgG एंटीबॉडी 2 महीने बाद भी बने रहते हैं.”
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में रेस्पिरेटरी और क्रिटिकल केयर के डॉ राजेश चावला इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं,
अगर कोई IgM के लिए पॉजिटिव टेस्ट किया जाता है, तो इससे ये पता चलता है कि उसमें एक्टिव संक्रमण है. ऐसे मामलों में, हम सुझाव देते हैं कि वो डायग्नोस्टिक टेस्टिंग के लिए जाए. अगर कोई IgG के लिए पॉजिटिव टेस्ट किया जाता है, तो इसका मतलब है कि उसमें इम्युनिटी डेवलप हो गई है.
फिट से बात करते हुए दिल्ली के डॉ डैंग लैब के CEO डॉ अर्जुन डैंग बताते हैं कि हम IgG, IgM और ये दोनों टेस्ट हो रहे हैं. IgM हाल में हुए एक्सपोजर के बारे में बताता है, तो IgG से पता चलता है पहले इन्फेक्शन हुआ था और अब वो शख्स कोविड निगेटिव है.
कई प्राइवेट लैब में ये टेस्ट होने शुरू हो गए हैं, लेकिन ये डायग्नोसिस के लिए नहीं है. लोगों को इसकी जानकारी है या नहीं, ये जानने के लिए हम टेस्ट करने से पहले उनसे फॉर्म भरवाते हैं, जिसमें साफ-साफ लिखा होता है कि ये टेस्ट डायग्नोसिस यानी बीमारी का पता लगाने के लिए नहीं है.डॉ अर्जुन डैंग
फिट ने इस सिलसिले में Thyrocare से भी संपर्क किया, जिसने देश भर में एंटीबॉडी टेस्टिंग शुरू किया है, “हम मुख्य रूप से ELISA तकनीक का उपयोग करते हुए IgG एंटीबॉडी के लिए टेस्टिंग कर रहे हैं. हम CLIA टेक्नोलॉजी की मदद से टोटल एंटीबॉडी (IgM और IgGA) के लिए भी टेस्ट करते हैं."
कोई भी मरीज जो पहले टेस्ट नहीं करा पाया हो या खुद ही ठीक हो गया हो, उसकी पहचान एंटीबॉडी टेस्टिंग से की जा सकती है. इससे सरकार को स्पष्ट अनुमान हो सकता है कि वास्तव में कितनी आबादी संक्रमित है या संक्रमित हो चुकी थी.
RT-PCR टेस्ट से कैसे अलग है COVID-19 एंटीबॉडी टेस्ट?
एंटीबॉडी टेस्ट डायग्नोस्टिक मकसद के लिए नहीं है, केवल ये जानने के लिए है कि पहले संक्रमित हुए शख्स में बीमारी के लिए एंटीबॉडी डेवलप हुई या नहीं. 23 जून को, ICMR ने अपने संशोधित दिशानिर्देशों में दोहराया कि संक्रमण का पता लगाने के लिए RT-PCR (रियल-टाइम पोलीमरेज चेन रिएक्शन) टेस्ट ही है.
एंटीबॉडी टेस्ट निगेटिव आने का मतलब ये नहीं है कि टेस्ट कराने वाला कोरोना से संक्रमित नहीं है. यह जानने के लिए कि क्या कोई कोरोना से संक्रमित है, RT-PCR टेस्ट करना होगा. वहीं पॉजिटिव एंटीबॉडी टेस्ट चल रहे या पहले हुए संक्रमण का संकेत करता है.
डॉ. शाहिद जमील कहते हैं, "एक निगेटिव एंटीबॉडी टेस्ट का मतलब ये नहीं है कि आपको COVID-19 नहीं है. PCR एक अधिक निर्णायक टेस्ट है."
जो लोग बीमारी के शुरुआती फेज में हैं, जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या जिनमें एक या दो दिन पहले ही लक्षण नजर आना शुरू हुए हैं, एंटीबॉडी टेस्ट से ऐसे लोगों का पता नहीं चल पाता.डॉ. जमील
Thyrocare लैब के प्रवक्ता ने कहा,
“इन दोनों टेस्ट की तुलना नहीं की जा सकती है. RT-PCR टेस्ट ये जानने के लिए किया जाता है कि कोई कोरोना से संक्रमित है या नहीं. एंटीबॉडी टेस्टिंग कम्युनिटी यानी समुदाय में संक्रमण की सीमा को दिखाता है और ये भी बताता है कि कैसे संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो रही है.”
एंटीबॉडी टेस्ट जैसे टेस्टिंग का फायदा ये है कि ये तेजी से होते हैं, सस्ते और कम बोझिल होते हैं, लेकिन इन्हें कराने का मकसद संक्रमण कितना फैला, इसका आकलन करना होता है. इससे संभावित प्लाज्मा डोनर का पता लगाने में भी मदद मिल सकती है, जिन लोगों में पर्याप्त एंटीबॉडी हों, उसका प्रयोग मरीजों को दी जा रही कुछ एक्सपेरिमेंटल थेरेपी में की जा सकती है.
COVID-19 एंटीबॉडी टेस्ट कौन करा सकता है? इसके लिए क्या डॉक्टरी पर्चे की जरूरत है?
दिल्ली और मुंबई में जो भी लोग ये टेस्ट कराना चाहते हैं, वो किसी भी प्राइवेट लैब में बिना डॉक्टरी पर्चे के टेस्ट करा सकते हैं, जिन्हें ICMR ने टेस्ट करने की मंजूरी दी है.
दिल्ली के कई प्राइवेट लैब और अस्पतालों ने सरकार के 28 जून के आदेश के बाद एंटीबॉडी टेस्ट करना शुरू कर दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में पहले ही COVID कवच एलिसा टेस्टिंग किट का उपयोग करके 23 हजार सैंपल कलेक्ट कर लिए गए हैं, जिसके परिणाम जल्द आ सकते हैं.
टेस्ट के रिजल्ट कुछ घंटों से लेकर एक दिन में आ सकते हैं. फिट को ईमेल के जरिए जवाब में Thyrocare लैब्स ने बताया कि उनके लैब में सैंपल कलेक्ट होने के चार घंटों में रिजल्ट आ जाते हैं.
COVID-19 एंटीबॉडी टेस्ट कराने में कितना खर्चा होगा?
कोई तय कीमत नहीं है और अलग-अलग लैब अलग-अलग चार्ज कर रहे हैं, टेस्टिंग का खर्च कहीं भी 600-1500 रुपये के बीच है.
Thyrocare लैब्स ने बताया, “यह सुनिश्चित करने के लिए कि बड़ी संख्या में लोग ये टेस्ट कराएं इसकी कीमत 600 रुपये रखी गई है, जो कि देश में सबसे कम है."
एंटीबॉडी टेस्ट के परिणामों को समझना
सटीक संवेदनशीलता और विशिष्टता (पॉजिटिव और निगेटिव मामलों का पता लगाने में टेस्ट की सटीकता को इंगित करने के लिए मार्कर) इस पर निर्भर करेगा कि कौन से किट का उपयोग किया जा रहा है.
हालांकि, ज्यादातर टेस्टिंग में IgG और IgM एंटीबॉडी का पता लगाना शामिल है, इसलिए ये समझना अहम है कि इनमें से किसी एक एंटीबॉडी या दोनों एंटीबॉडी कब मौजूद या गैर-मौजूद होते हैं.
डॉ. शाहिद जमील बताते हैं कि इस वायरस के मामले में, अब तक के सबूत बताते हैं कि एंटीबॉडी लक्षण दिखने के 7-10 दिनों के बाद आती है (संक्रमण के बाद नहीं, बल्कि लक्षण) क्योंकि ज्यादातर मामलों में आप वास्तव में लक्षणों के बारे में नहीं जानते हैं, एक निगेटिव टेस्ट किसी व्यक्ति को संक्रमण होने या न होने का विश्वसनीय संकेतक नहीं है- ऐसा हो सकता है कि वे सिर्फ 7 दिन की अवधि के अंदर हों. “इसका टेस्ट की क्वालिटी से कोई लेना-देना नहीं है.”
संभावित परिदृश्यों को समझना महत्वपूर्ण है:
अगर कोई व्यक्ति सिर्फ IgM पॉजिटिव है और IgG निगेटिव है, तो यह फैलने की संभावना वाला एक शुरुआती संक्रमण है.
अगर कोई व्यक्ति केवल IgG पॉजिटिव है और IgM पॉजिटिव नहीं है, तो उसे पहले संक्रमण था और अब नहीं है.
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