कोरोना के खिलाफ भारत की पहली स्वदेशी वैक्सीन 'कोवैक्सीन' के तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है.
वहीं Covaxin को लेकर भारत बायोटेक के एक अधिकारी ने दावा किया है कि ये वैक्सीन कम से कम 60 प्रतिशत तक कारगर साबित होगी. शुरुआती ट्रायल के आधार पर ये दावा किया गया है.
भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' के बारे में क्या-क्या पता है? कोवैक्सीन कब से उपलब्ध होगी? क्या इसके असरदार और सुरक्षित होने को लेकर हमारे पास पर्याप्त जानकारी है?
क्या है कोवैक्सीन और इसे कैसे विकसित किया जा रहा है?
Covaxin भारत की अपनी पहली कोरोना वैक्सीन है, जिसका विकास हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), पुणे के सहयोग से किया है.
इस वैक्सीन के लिए SARS-CoV-2 का स्ट्रेन NIV, पुणे में आइसोलेट कर भारत बायोटेक भेजा गया. हैदराबाद में भारत बायोटेक की हाई कंटेनमेंट फैसिलिटी में इनएक्टिवेटेड वैक्सीन तैयार की गई.
इनएक्टिवेटेड वैक्सीन बीमारी करने वाले पैथोजन यानी रोगाणु को मारकर या इनएक्टिव करके तैयार की जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ये वैक्सीन वायरस या बैक्टीरिया को मारकर बनाई जाती हैं, इसलिए ये बीमारी नहीं कर सकतीं.
कोवैक्सीन पर अब तक क्या डेवलपमेंट है?
भारत में कोवैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल 26 हजार पार्टिसिपेंट्स के साथ 22 संस्थानों में किया जा रहा है, जिसमें नई दिल्ली का एम्स और गुरु तेग बहादुर अस्पताल शामिल है. इसके अलावा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, ग्रांट गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और सर जे.जे. ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, लोकमान्य तिलक म्युनिसिपल जनरल हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज (सायन हॉस्पिटल) भी इसमें शामिल है.
कोवैक्सीन के 60% तक असरदार होने की बात कही गई है. क्या हमें इसे सही मान लेना चाहिए?
इसकी सार्वजनिक रूप से घोषणा नहीं की गई है. तीसरे फेज का ट्रायल इसी महीने शुरू हुआ है. कंपनी की ओर से फेज 1 या 2 ट्रायल के नतीजे भी जारी नहीं किए गए हैं.
सेफ्टी से जुड़ी क्या जानकारी है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक अगस्त में हुए पहले फेज के ट्रायल के दौरान एक पार्टिसिपेंट को Covaxin की डोज दिए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था.
वैक्सीन दिए जाने के कुछ दिन बाद 35 साल के उस व्यक्ति को वायरल न्यूमोनाइटिस की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था. एक हफ्ते अस्पताल में रहने के बाद उसे डिस्चार्ज किया गया था.
कंपनी के मुताबिक इसकी जानकारी पुष्टि के 24 घंटे के अंदर CDSCO-DCGI को दी गई थी. इसकी अच्छे से जांच हुई थी और पाया गया था कि ये वैक्सीन संबंधी नहीं थी.
क्या वैक्सीन का 60% कारगर होना काफी है?
हाल ही में Pfizer और मॉडर्ना ने अपनी-अपनी वैक्सीन को फेज 3 के अंतरिम विश्लेषण में करीब 95% कारगर बताया था. हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि आगे और डेटा जुटाने के साथ इसमें बदलाव देखा जा सकता है.
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) वैक्सीन को इमरजेंसी मंजूरी देने के लिए कम से कम 50% असरदार होने की बात कहते हैं.
अगर कोवैक्सीन सफल रही, तो कब तक उपलब्ध हो सकेगी?
ICMR साइंटिस्ट रजनीकांत ने उम्मीद जताई है कि कोवैक्सीन भारत के लोगों के लिए अगले साल फरवरी तक उपलब्ध हो जाएगी. हालांकि रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में भारत बायोटेक की तरफ से कहा गया है कि ट्रायल में थोड़ी देरी हो सकती है और इसके अंतिम नतीजे आने में मार्च या अप्रैल तक का समय लग सकता है.
भारत बायोटेक ने कोरोना से निजात दिलाने के लिए 130 करोड़ लोगों का टीकाकरण किए जाने को भी एक चुनौती करार दिया है. भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के अध्यक्ष और मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्णा एला के मुताबिक कंपनी की बायो-सेफ्टी लेवल-3 (बीएसएल-3) सुविधा वर्तमान में सीमित क्षमता की है, लेकिन अगले साल तक इसकी 100 करोड़ की खुराक तक पहुंचने की उम्मीद है.
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