ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत में तेजी से बढ़ सकता है COVID-19, हम टेस्ट क्यों नहीं कर रहे?

Updated
Health News
4 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

भारत में मध्य-अप्रैल तक कोरोनावायरस के मामलों में बेतहाशा तेजी आ सकती है. ICMR के सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च में वायरोलॉजी के पूर्व चीफ डॉ. जैकब टी जॉन ने यह बात कही है. बहरहाल अभी जिस रफ्तार से कोरोनावायरस की जांच की जा रही है, उससे हम इससे निपटने में कितना कामयाब होंगे, आइए जानते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ना के बराबर?

17 मार्च को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, ICMR ने बताया कि देश में अभी रोजाना सिर्फ 600 कोरोनावायरस सैंपल की जांच हो पा रही है. जबकि साउथ कोरिया में हर रोज 20,000 सैंपल की जांच हो रही है. अमेरिका में भी जांच हो रही है. वहां भी इसकी धीमी रफ्तार में जांच को लेकर आलोचना हो रही है, फिर भी अमेरिका हर रोज हमसे ज्यादा सैंपल टेस्ट कर रहा है.

भारत की जांच करने की क्षमता पर ICMR ने कहा कि जरूरत पड़ी तो देश भर में मौजूद ICMR के सभी लैब में कुल 6000 सैंपल की जांच हो सकती है. लेकिन हमारे पास करीब एक लाख जांच के किट मौजूद हैं.

मतलब साफ है, भारत में जितनी होनी चाहिए उतने सैंपल की जांच नहीं हो रही है.

भारत में कोरोनावायरस की जांच के बदले निगरानी का रवैया अपनाया जा रहा है. आप यहां दिये गए ICMR के चार्ट को देखें. इसके बावजूद कि आप कोविड-19 के किसी मरीज के संपर्क में आ चुके हैं या कोरोना प्रभावित किसी देश से लौटे हैं, यहां आपकी जांच नहीं की जाएगी. आपको यहां सबसे पहले 14 दिनों के लिए अपने घर में ही क्वॉरन्टीन होना होगा.

होम-क्वॉरन्टीन के दौरान, अगर आपमें कोरोनावायरस का कोई लक्षण दिखाई देता है तो आपको स्वास्थ्य मंत्रालय की हेल्पलाइन पर कॉल करना होगा, जिसके बाद लेबोरेटरी में आपकी जांच की जाएगी. अगर 14 दिनों के क्वॉरन्टीन के दौरान आपमें बीमारी का कोई लक्षण नहीं दिखता, आपकी जांच नहीं की जाएगी.

0

जांच की इस जटिल प्रक्रिया से आप समझ गए होंगे कि एक दिन में सिर्फ 600 टेस्ट क्यों किए जा रहे हैं. राज्यों के हिसाब से इनकी संख्या और अलग-अलग हो जाती हैं, जैसे कि केरल ने अब तक सबसे ज्यादा सैंपल जांच के लिए भेजा है और सबसे ज्यादा तादाद में लोगों को क्वॉरन्टीन भी किया है.

17 मार्च की प्रेस कांफ्रेंस में, संयुक्त स्वास्थ्य सचिव लव अग्रवाल ने भारत में कम जांच किए जाने की बात को दरकिनार कर दिया. ICMR ने सिर्फ इतना कहा कि भारत में ये बीमारी अभी स्टेज 2 पर है, यानी कि बीमारी सिर्फ किसी मरीज के संपर्क में आने से फैल रही है, सामाजिक स्तर पर नहीं, इसलिए इसकी आक्रामक तरीके से जांच किए जाने की जरूरत नहीं है. (कोरोनावायरस के संक्रमण के सभी स्टेज के बारे में आप यहां पढ़ सकते हैं.)

फिट ने ICMR के सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च, जो कि सरकारी फंड पर चलने वाली संस्था है, में वायरोलॉजी के पूर्व चीफ डॉ. जैकब टी जॉन से इस बारे में बात की. उनके शब्दों में, ‘भारत में कोरोनावायरस के मामलों की बाढ़ आने वाली है.’

भारत में अभी टेस्ट की जो प्रक्रिया चल रही है वो फरवरी या फिर मार्च की शुरुआत में तब तक ठीक थी, जब तक WHO ने इसे महामारी नहीं घोषित कर दिया था. इसके बाद टेस्ट का ये तरीका काफी नहीं है,’ उन्होंने आगे कहा,

नीति निर्धारित करने की जिम्मेदारी सरकार के पास है. फिलहाल तो नीति ये दिख रही है कि बीमारी खुद ही खत्म हो जाए.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्राइवेट लैब की गुणवत्ता कौन निर्धारित करेगा?

17 मार्च को बार-बार सवाल पूछे जाने के बाद ICMR ने ‘सरकारी मान्यता प्राप्त प्राइवेट लेबोरेटरीज से अपील की कि वो सामने आएं और जनता को मुफ्त में जांच की सुविधा मुहैया कराएं.’ लैब को इसके लिए सारे जरूरी सामान खुद खरीदने होंगे फिर ICMR और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की मुहर के बाद उन्हें कॉमर्शियल किट्स के इस्तेमाल की इजाजत होगी. इसके बाद उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय को रिपोर्ट की रियल-टाइम जानकारी भी मुहैया करानी होगी.

‘ये कुछ ऐसा ही जैसे कि घर में आग लगने के बाद कुआं खोदा जा रहा हो,’ डॉ जॉन ने कहा.

17 मार्च से पहले मीडिया से बात करते हुए ICMR ने कहा था कि प्राइवेट लैब को जांच की इजाजत देने से पहले ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके क्वॉलिटी कंट्रोल के मापक कैसे हैं.

लेकिन ये गुणवत्ता सुनिश्चित करना आखिर किसका काम है? हम प्राइवेट लैब्स को 30, 40 साल तक बिना किसी जांच-पड़ताल के फलने-फूलने देते हैं, और अब अचानक हम क्वॉलिटी कंट्रोल की बात करते हैं. आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से देखा जाए तो कई प्राइवेट लैब तो ऐसे हैं जो गुणवत्ता के मापदंड पर बिल्कुल खरे नहीं उतरते.
डॉ. जैकब टी जॉन

ICMR ने आक्रामक तौर पर कोरोनावायरस के टेस्ट की बात को खारिज कर दिया, जबकि WHO बार-बार सभी देशों से टेस्ट की तादाद बढ़ाने की अपील कर रहा है. ‘हम सभी देशों को सिर्फ एक संदेश देना चाहते हैं – टेस्ट, टेस्ट, टेस्ट,’ WHO के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेडरोस अधानोम ने जेनेवा में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा.

जबकि ICMR का रवैया है कि वायरस के खतरे का सामना कर रही इतनी बड़ी आबादी की अनियमित तरीके से जांच होती रहे क्योंकि उनके नतीजों के मुताबिक अभी देश में ये वायरस समुदाय के स्तर पर नहीं फैल रहा है.

लेकिन जो तरीके लागू किए गए हैं, वो इतने सीमित हैं कि मुंबई के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने परेशान होकर ट्वीट तक कर दिया.

18 मार्च तक ICMR ने उन मान्यता प्राप्त प्राइवेट लैब की लिस्ट तक नहीं जारी की है, जिन्हें सैंपल टेस्ट में शामिल किया जाएगा. मालूम तो यह भी नहीं है कि ये टेस्ट मुफ्त या सस्ते होंगे या नहीं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×