ADVERTISEMENTREMOVE AD

COVID-19: दुनिया भर में चल रहे कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पर एक नजर

Published
Health News
5 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

दुनिया को कोरोना के कहर से मुक्ति दिलाने के लिए 200 से ज्यादा वैक्सीन कैंडिडेट पर काम चल रहा है.

हाल में दो कंपनियों ने अपने वैक्सीन कैंडिडेट को कोरोना के खिलाफ 90% से अधिक प्रभावी बताया. रूस ने भी स्पुतनिक V को 90% से अधिक प्रभावी बताया है. हालांकि वैक्सीन को लेकर किए जा रहे, ये सभी दावे बेहद शुरुआती हैं.

भारत में भी कई वैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है या फिर जल्द होने वाला है, जिनके अच्छे नतीजों की उम्मीद है.

Pfizer, Moderna से लेकर दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन को लेकर क्या डेवलपमेंट है? भारत में किन वैक्सीन कैंडिडेट का लास्ट फेज ट्रायल चल रहा है? एक नजर...

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की ओर से वैक्सीन कैंडिडेट को लेकर जारी 12 नवंबर तक के ड्राफ्ट के मुताबिक 48 वैक्सीन कैंडिडेट ह्यूमन ट्रायल के अलग-अलग चरणों में हैं.

वो निर्माता जिनकी वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के तीसरे फेज में हैं

200 से ज्यादा वैक्सीन कैंडिडेट पर काम चल रहा है.
(फोटो: iStock)
  1. मॉडर्ना/NIAID की mRNA-1273

  2. BioNTech/Fosun Pharma/Pfizer की BNT162b2

  3. CanSino Biologics Inc./बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी

  4. गमलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्पुतनिक V

  5. जॉनसन एंड जॉनसन

  6. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी/AstraZeneca की कोविशील्ड

  7. नोवावैक्स (Novavax)

  8. Medicago

  9. वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स/Sinopharm

  10. बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स/Sinopharm

  11. सिनोवैक बायोटेक की कोरोनावैक (CoronaVac)

  12. भारत बायोटेक की कोवैक्सीन

  13. जैनस्सैन फार्मास्युटिकल कंपनीज

0

कोरोना वैक्सीन की रेस में सबसे आगे

Pfizer और BioNTech मिलकर जिस कोरोना वैक्सीन कैंडिडेट पर काम कर रहे हैं, वो फेज 3 के पहले अंतरिम नतीजों के आधार पर 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रभावी पाई गई. इसकी घोषणा कंपनी ने 9 नवंबर की थी.

फिर 16 नवंबर को Moderna ने बताया कि उसकी वैक्सीन कैंडिडेट फेज 3 के पहले अंतरिम नतीजों के आधार पर 94.5 प्रतिशत प्रभावी पाई गई.

रूस ने भी स्पुतनिक V वैक्सीन को कोरोना के खिलाफ 92% प्रभावी होने का दावा किया है. हालांकि वैक्सीन के 92 प्रतिशत असर की एनालिसिस 20 पार्टिसिपेंट्स के कोरोना संक्रमित होने के बाद की गई है.

18 नवंबर को Pfizer की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि उसकी वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 95% प्रभावी रही. ये गणना ट्रायल में 170 पार्टिसिपेंट्स के कोरोना संक्रमित होने के बाद की गई, जिसमें 162 कोरोना संक्रमित पार्टिसिपेंट्स प्लेसिबो ग्रुप के थे और 8 कोरोना संक्रमित वैक्सीन ग्रुप में थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

Pfizer की तुलना में Moderna की वैक्सीन बेहतर विकल्प क्यों?

वैक्सीन के वितरण और स्टोरेज के लिए व्यापक रूप से जो बुनियादी ढांचे मौजूद हैं, उसे देखते हुए एक्सपर्ट्स मॉडर्ना की वैक्सीन को बेहतर बता रहे हैं.

इसकी वजह ये है कि एक ओर जहां Pfizer की वैक्सीन के लिए -70°C की जरूरत है. वहीं मॉडर्ना की mRNA-1273 स्टैंडर्ड रेफ्रिजेरेटर के टेंपरेचर (2° से 8°C) पर 30 दिनों तक स्टेबल रह सकती है.

इसे -20°C पर यानी फ्रीजर के तापमान पर 6 महीनों तक स्टोर किया जा सकता है.

90% से अधिक प्रभावी पाए गए Pfizer, मॉडर्ना और गमलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट तीनों के ही वैक्सीन कैंडिडेट के तीसरे फेज के ट्रायल का ये फाइनल रिजल्ट नहीं है और न ही इनके शुरुआती नतीजे किसी मेडिकल जर्नल में पब्लिश हुए हैं. इसलिए हो सकता है कि वक्त के साथ वैक्सीन की प्रभावकारिता में कुछ बदलाव देखने को मिले.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
वहीं चीन और रूस ने फेज 3 ट्रायल के नतीजों से पहले ही कुछ वैक्सीन को सीमित उपयोग की मंजूरी दे रखी है और दुनिया भर के एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस प्रक्रिया में गंभीर जोखिम हैं.
  • इसमें चीनी कंपनी CanSino Biologics की Ad5 एडिनोवायरस पर आधारित वैक्सीन शामिल है. चीनी मिलिट्री ने इस वैक्सीन को विशेष रूप से जरूरी ड्रग के तौर पर मंजूरी दी है. वहीं CanSino के तीसरे फेज का ट्रायल अगस्त, 2020 से सऊदी अरब, पाकिस्तान और रूस में चल रहा है.

  • स्पुतनिक V और EpiVacCorona, इन्हें रूस में फेज 3 ट्रायल पूरा होने से पहले शुरुआती इस्तेमाल (Early Use) की मंजूरी मिल चुकी है.

  • वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स/Sinopharm की वैक्सीन को संयुक्त अरब अमीरात ने सितंबर, 2020 में सीमित उपयोग की इमरजेंसी मंजूरी दी. यही मंजूरी बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स/Sinopharm को भी दी गई है.

  • चीनी कंपनी Sinovac Biotech की CoronaVac चीन में सीमित उपयोग के लिए मंजूर है.

वैक्सीन डेवलपमेंट की रेस में कई दावेदार मौजूद हैं, जिनके तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हमें कोरोना वैक्सीन को लेकर और भी अच्छी खबरें मिलें.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

किन वैक्सीन से भारत को उम्मीद

  • ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन, 'कोविशील्ड' जिसका ट्रायल भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की ओर से कराया जा रहा है, उसके फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल पूरे होने के करीब हैं.

  • भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की 'कोवैक्सीन' का फेज-3 का ट्रायल शुरू हो चुका है.

  • जाइडस कैडिला का भी दूसरे फेज का ट्रायल पूरा हो चुका है.

  • रूस की 'स्पुतनिक V' वैक्सीन का भारत में कंबाइन्ड फेज 2 और 3 क्लीनिकल ट्रायल जल्द शुरू होगा, इसे डॉ रेड्डीज लैब करा रहा है.

  • Biological E Limited भी शुरुआती फेज 1 और 2 ह्यूमन ट्रायल कर रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत की तैयारी

भारत में COVID-19 वैक्सीन के वितरण को लेकर नेशनल स्कीम तैयार हो रही है, जो कि अपने फाइनल स्टेज में है.

एक प्रेस ब्रीफिंग में नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ) डॉ वीके पॉल जो कोविड-19 के नेशनल टास्क फोर्स को भी हेड करते हैं, कह चुके हैं कि भारत में Pfizer के वैक्सीन की उपलब्धता आसान नहीं होगी, लेकिन क्या कुछ किया जा सकता है, इस पर नीति बनाई जा रही है.

वहीं उन्होंने ये भी साफ किया कि Pfizer और मॉडर्ना की वैक्सीन के डेवलपमेंट पर नजर है, अभी शुरुआती नतीजे घोषित किए गए हैं, इन्हें रेगुलेटरी मंजूरी नहीं मिली है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हमें कोरोना वैक्सीन को लेकर और भी अच्छी खबरें मिलें.
(फोटो: iStock)

टाइम्स ऑफ इंडिया की इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत पहले ही कई सप्लायर्स से 1.6 अरब खुराकें रिजर्व कर चुका है. मगर भारत ने जिन संभावित वैक्सीन के लिए डील की हैं, अगर उनके नतीजे अच्छे नहीं रहे तो उसे नई डील करने के लिए भी मजबूर होना पड़ सकता है.

भारत की वैक्सीन डील्स में, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की संभावित वैक्सीन को सबसे ज्यादा उम्मीद भरी नजरों से देखा जा रहा है. भारत ने इसकी 500 मिलियन खुराकें रिजर्व की हैं.

भारत ने नोवावैक्स के साथ भी 1 अरब डोज की डील की है. इसकी वैक्सीन के लिए अगर सब कुछ सही रहा तो वो 2021 के दूसरे हिस्से तक उपलब्ध हो सकती है. सितंबर में नोवावैक्स और सीरम इंस्टिट्यूट ने एक साल में 2 बिलियन तक खुराकें बनाने का समझौता भी किया है.

इसके अलावा भारत ने रूस की स्पुतनिक V वैक्सीन की 100 मिलियन खुराकें भी रिजर्व की हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें