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रूस की स्पुतनिक V वैक्सीन को भारत में मंजूरी के क्या मायने हैं?

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Health News
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भारत में रोजाना कोरोना के रिकॉर्ड मामलों और कई राज्यों से वैक्सीन का स्टॉक खत्म होने की खबरों के बीच एक राहत देने वाली खबर आई है.

न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि देश में वैक्सीन मामले की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने रूस की स्पुतनिक V वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है. हालांकि अभी वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर की मंजूरी मिलना बाकी है.

फिलहाल भारत में सीरम इंस्टीट्यूट की 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' का इमरजेंसी इस्तेमाल हो रहा है. वहीं स्पुतनिक वी को मंजूरी मिलने के बाद देशभर में कोरोना के खिलाफ तीन वैक्सीन उपलब्ध हो जाएंगी.

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ट्रायल में रूस की स्पुतनिक V कोरोना वैक्सीन की प्रभावकारिता कितनी रही है?

रूस की कोरोना वैक्सीन 'स्पुतनिक V' के तीसरे फेज की अंतरिम एनालिसिस के मुताबिक सिम्पटोमैटिक कोविड-19 के खिलाफ इस वैक्सीन की एफिकेसी 91.6% रही है.

मेडिकल जर्नल द लैंसेट में बताया गया है कि एफिकेसी एनालिसिस के लिए 19,866 पार्टिसिपेंट्स के डेटा को शामिल किया गया है, जिनमें से 14,964 लोगों को वैक्सीन और 4,902 को प्लेसिबो दिया गया था.

ये अंतरिम एनालिसिस कोरोना के 78 कन्फर्म मामलों पर आधारित है, जिसमें से 62 मामले प्लेसिबो ग्रुप और 16 मामले वैक्सीन ग्रुप के हैं.

60 साल से अधिक उम्र के 2,144 वॉलंटिर्यस के बुजुर्ग ग्रुप में प्रभावकारिता 91.8 प्रतिशत रही. स्टडी में कहा गया है कि स्पुतनिक वी ने कोविड-19 के गंभीर मामलों के खिलाफ पूरी तरह से सुरक्षा दी.
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भारत में रूसी कोरोना वैक्सीन के उत्पादन में कौन सी कंपनियां शामिल होंगी?

रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) ने कई भारतीय फार्मा कंपनियों के साथ वैक्सीन प्रोडक्शन का करार किया है, जिसमें हैदराबाद की डॉ रेड्डी लैब, हेटेरो बायोफार्मा, ग्लैंड फार्मा, स्टेलिस बायोफार्मा और विक्रो बायोटेक शामिल हैं.

देश में इस वैक्सीन के लिए प्रोडक्शन क्षमता 85 करोड़ डोज की है. ऐसे में उम्मीद है कि स्पुतनिक कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अहम साबित होगी.

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कोवैक्सीन और कोविशील्ड के मुकाबले कैसी है स्पुतनिक वी?

स्पुतनिक V एक एडेनोवायरस प्लेटफॉर्म पर बनी वैक्सीन है.

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन, जिसकी मैन्यूफैक्चरिंग भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविशील्ड नाम से कर रहा है, वो भी वायरल वेक्टर वैक्सीन है.

वहीं भारत बायोटेक की कोवैक्सीन इनएक्टिवेटेड कोरोना वायरस वैक्सीन है.

इन तीनों ही वैक्सीन के दो डोज लेने की जरूरत है. अंतरिम एनालिसिस के मुताबिक स्पुतनिक V की एफिकेसी 91.6%, कोविशील्ड की एफिकेसी 62%-90% और कोवैक्सीन की एफिकेसी 81% पाई गई है.

स्पुतनिक वी को इमरजेंसी यूज की मंजूरी भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

भारत में कोरोना के नए मामले रोजाना नया रिकॉर्ड बना रहे हैं, जिससे राज्य सरकारें और केंद्र सरकार चिंता में है. साथ ही वैक्सीनेशन को लेकर भी अब सवाल खड़े हो रहे हैं, कई राज्यों का कहना है कि उनके पास वैक्सीन नहीं बची हैं. राज्य केंद्र से वैक्सीन की सप्लाई की मांग कर रहे हैं. ऐसे में तीसरी वैक्सीन को मंजूरी मिलना देश भर के लिए एक राहत की खबर है. ये वैक्सीन कमी को पूरी करने का काम करेगी.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डॉ. एन.के. अरोड़ा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा,

"हालांकि, मुझे अभी इसकी मंजूरी के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है, लेकिन अगर इसे मंजूरी मिल जाती है तो यह भारत के लिए अच्छी खबर होगी."

इस वैक्सीन की विशेषताओं के बारे में बताते हुए, अरोड़ा ने कहा, "स्पुतनिक दो डोज की वैक्सीन है. पहली और दूसरी डोज के बीच कम से कम तीन से चार हफ्ते का अंतर होना चाहिए. प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि इसकी 91 प्रतिशत प्रभावकारिता है. इस पर कुछ और स्पष्टता भी जल्द आएगी."

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स्पुतनिक V 11 अगस्त, 2020 को रूस द्वारा पंजीकृत दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन है. इसे गैमलेया नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने विकसित किया है.

इस कोरोना वैक्सीन के लिए रूस की ओर से अप्रूवल की तेजी और पारदर्शिता की कमी को लेकर शुरुआत में आलोचना हुई थी क्योंकि तब इसकी सुरक्षा और एफिकेसी के आंकड़े जारी नहीं किए गए थे.

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