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पश्चिमी यूपी में बुखार का प्रकोप, 1 हफ्ते में 50 से ज्यादा मौतें

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फिरोजाबाद, मथुरा, आगरा और मैनपुरी सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में 'वायरल फीवर' के मामलों में तेजी देखी जा रही है और हफ्ते भर में 50 से ज्यादा मरीजों की मौत रिपोर्ट की गई है. फिरोजाबाद में इससे सबसे ज्यादा 40 लोगों की मौत की खबर है, जिसमें 32 बच्चे शामिल हैं.

फिरोजाबाद के अलावा मथुरा में बुखार से 9 लोगों की मौत की खबर है, जबकि कासगंज में 3 मरीजों की मौत हो चुकी है.

इन मामलों में तेज बुखार के साथ प्लेटलेट्स की संख्या में अचानक गिरावट देखी जा रही है. रिपोर्ट्स हैं कि इस बुखार को ठीक होने में कम से कम दो हफ्ते लग रहे हैं और ये COVID-19 नहीं है.

डॉक्टरों का कहना है कि बुखार से पीड़ित लोगों में डेंगू, मलेरिया के अलावा जापानी इंसेफेलाइटिस जैसे लक्षण दिख रहे हैं.

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डेंगू जैसे लक्षण रिपोर्ट कर रहे डॉक्टर, जांच जारी

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के करीब छह जिलों में वायरल बुखार का कहर देखा जा रहा है. इन जिलों में फिरोजाबाद, मथुरा, कासगंज, आगरा, एटा और मैनपुरी शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार 30 अगस्त को पुष्टि करी कि फिरोजाबाद में संदिग्ध डेंगू जैसे बुखार से फिरोजाबाद में 32 बच्चों और 7 वयस्कों की मौत हुई है.

फिरोजाबाद की मुख्य चिकित्सा अधिकारी नीता कुलश्रेष्ठ ने बताया कि वायरल बुखार और डेंगू के कारण 38 लोगों की मौत हो गई है. अभी जांच हो रही है. लखनऊ से भी टीम पहुंची है. लगातार हर मामले को देखा जा रहा है.

फिरोजाबाद के जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने इस बात से इनकार किया कि यह कोरोना महामारी की तीसरी लहर है. उन्होंने कहा,

"भारी बारिश और जलजमाव के बीच बच्चों में तेज बुखार का कारण डेंगू और मलेरिया है."

स्वास्थ्य टीमों ने मरीजों का कोविड टेस्ट किया है, लेकिन वे सभी कोरोना निगेटिव पाए गए हैं.

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मथुरा में 'स्क्रब टाइफस' के 29 मामले, अलर्ट जारी

मथुरा जिले में प्राथमिक जांच के दौरान 'स्क्रब टाइफस' कहे जाने वाले माइट जनित रिकेट्सियोसिस के 29 मामले पहली बार सामने आए हैं. स्वास्थ्य विभाग ने लैब की रिपोर्ट की पुष्टि के बाद अलर्ट करते हुए कहा कि 2 से 45 वर्ष की आयु के 29 रोगी रविवार 29 अगस्त को पॉजिटिव टेस्ट किए गए.

स्क्रब टाइफस संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से लोगों में फैलता है.

सबसे आम लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द और कभी-कभी शरीर पर दाने होना शामिल हैं. गंभीर मामलों में, इससे न्यूमोनाइटिस (फेफड़े के ऊतकों में सूजन), इंसेफेलाइटिस, भ्रम से लेकर कोमा तक के मानसिक परिवर्तन, कंजेस्टिव हार्ट फेल हो सकता है.

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स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक ए.के. सिंह ने कहा, "रोगियों को आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई गई हैं और उनमें से कोई भी गंभीर नहीं है और अन्य जिलों में इसके फैलने के संबंध में अलर्ट जारी किया गया है."

"इसका जल्दी निदान महत्वपूर्ण है. मरीजों को एंटीबायोटिक्स पर रखा जाता है और वे एक हफ्ते इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं."

(इनपुट: आईएएनएस)

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