दावा
सोशल मीडिया पर कई पोस्ट, मैसेज, ट्वीट, ऑडियो और वीडियो में दावा किया गया है कि भाप लेकर कोरोना वायरस का खात्मा किया जा सकता है.
ऐसे ही एक मैसेज में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस 3-4 दिनों तक नाक में छिपा रहता है और फिर फेफड़ों तक पहुंचता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है, इसलिए भाप लेकर वायरस को नाक में ही मार देना जरूरी है. फॉरवर्ड किए जा रहे मैसेज में लिखा गया है कि 40°C पर वायरस अक्षम पड़ जाता है, 60°C पर वायरस इतना कमजोर हो जाता है कि इंसान का इम्युन सिस्टम इससे लड़ पाता है और 70°C पर वायरस मर जाता है.
एक वीडियो जो वायरल हुआ, उसमें कुकर से भाप लेने की तरकीब बताई गई है और साथ में दावा किया गया है कि इस तरह से कोरोना वायरस पूरी तरह से खत्म हो जाता है. इसमें भाप से सैनिटाइजेशन का भी दावा किया गया है.
क्या भाप से कोरोना वायरस मर जाएगा?
भाप से कोरोना वायरस डिजीज के इलाज का दावा सही नहीं है और न ही भाप लेना कोरोना संक्रमण से बचाव का उपाय है. भाप बंद नाक को खोलने में मदद करती है और जमे हुए म्यूकस को ढीला करने के लिए मददगार होती है, लेकिन ध्यान रखिए कि ये कोरोना संक्रमण का इलाज नहीं है.
दिल्ली में शालीमार बाग स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर और हेड डॉ विकास मौर्य बताते हैं कि नाक, साइनस और गले के किसी भी तरह के वायरल इन्फेक्शन में रेस्पिरेटरी पैसेज को साफ करने के लिए भाप लिया जाता है.
भाप लेने से जकड़न में राहत मिलती है, गले को आराम मिलता है. असल में इससे मरीजों को कुछ तकलीफों में आराम पाने में मदद मिल सकती है, लेकिन ये वायरस को मार नहीं सकता.डॉ विकास मौर्य, डायरेक्टर और हेड, पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट, शालीमार बाग, दिल्ली
भाप से COVID-19 के इलाज के सवाल पर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन फिलीपिन्स की ओर से भी साफ किया गया है कि नमक वाले पानी का भाप कोरोना से नहीं बचाएगा, वहीं भाप से जलने का रिस्क भी हो सकता है.
इस तरह का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, जिसमें भाप से कोरोना वायरस को डिएक्टिवेट या नष्ट करने की पुष्टि हुई हो.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन भी कहता है कि खुद को 25 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा के तापमान से एक्सपोज कराना COVID-19 से बचाव या इसका इलाज नहीं है.
डॉ मौर्य साफ करते हैं कि दवाइयों के साथ भाप लिया जा सकता है, लेकिन ये समझने की जरूरत है कि भाप वायरस को नहीं मारेगा.
क्या कोरोना वायरस 3-4 दिनों तक नाक में छिपा रहता है?
SARS-CoV-2 मुख्य रूप से संक्रमित शख्स के छींकने या खांसने के दौरान बाहर निकली बूंदों से, संक्रमित शख्स के संपर्क में आने से फैलता है.
अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में प्रवेश के बाद वायरस यहां कोशिकाओं की लाइनिंग के सबसे बाहरी लेयर से अटैच होता है. जब वायरस कोशिकाओं में प्रवेश कर जाता है या बंध जाता है, तो यह रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट, फेफड़े, डाइजेस्टिव ट्रैक्ट की लाइनिंग, ब्लड और शरीर के दूसरे महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करता है.
SARS-CoV-2 तीन से चार दिनों तक नाक में छिपा रहता है, इसे लेकर अब तक कोई रिपोर्ट नहीं हैं. किसी अंग विशेष में कोरोना वायरस कितने दिनों तक एक्टिव रहता है, इसे लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं है.
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