ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत में अगले 6 महीनों में 'एंडेमिक' स्टेज पर होगा COVID? इसका मतलब क्या है

Updated
Health News
4 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

COVID-19 अगले छह महीनों में एंडेमिक बनना शुरू हो जाएगा. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के डायरेक्टर सुजीत सिंह ने 15 सितंबर को एनडीटीवी से कहा कि एक नया वैरिएंट अकेले कोरोना की तीसरी लहर नहीं ला सकता है.

उन्होंने कहा कि सिर्फ एक नया वैरिएंट तीसरी लहर का कारण नहीं बन सकता है, बल्कि ये हमारे बर्ताव सहित कई कारकों पर निर्भर करता है.

COVID-19 के स्थानिक (Endemic) होने का क्या मतलब है? क्या अब कोरोना संक्रमण के मामलों को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है?

सभी महामारियां आखिरकार खत्म हो जाती हैं, वो कैसे खत्म होंगी ये अलग-अलग हो सकता है. ऐतिहासिक रूप से, महामारी तब खत्म होती है, जब या तो मामलों की संख्या लगभग न के बराबर हो जाती है और बीमारी पर नियंत्रण और उससे संबंधित अनुमान किया जा सकता है. या महामारी तब खत्म हो जाती हैं, जब लोग इससे थक जाते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
सार्वजनिक स्वास्थ्य उद्देश्यों के मद्देनजर देखें तो, महामारी तब एंडेमिक (स्थानिक) हो जाती है, जब ये हेल्थ केयर सिस्टम पर बोझ जैसी नहीं रह जाती, थोड़े उतार-चढ़ाव के साथ जिन्हें हेल्थ केयर सिस्टम द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने द वायर के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि, COVID महामारी शायद किसी प्रकार की 'एंडेमिसिटी (स्थानिकमारी)' में प्रवेश कर रही है.

तीसरी लहर की भविष्यवाणियों और टीकाकरण की धीमी गति के बीच, भारत के लिए इस 'एंडेमिसिटी' का क्या अर्थ है?

एंडेमिसिटी यानी स्थानिकमारी क्या है?

वायरोलॉजिस्ट, डॉ. शाहिद जमील के मुताबिक बढ़ते प्रसार के साथ वायरस कम फैलने योग्य हो जाते हैं और समय-समय पर संक्रमण करते हैं. म्यूटेशन इस प्रक्रिया का हिस्सा हैं. इसे महामारी का एक जनसंख्या के लिए इंडेमिक हो जाना कहते हैं. इंडेमिक का अर्थ है हर समय मौजूद रहना."

0
  • एक आउटब्रेक (प्रकोप) तब होता है, जब एक निश्चित समूह में कई लोग एक ही समय में बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं.

  • एक एपिडेमिक (संक्रामक रोग) तब होता है, जब एक या एक से अधिक देश में बड़ी संख्या में लोग बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं.

  • एक पैनडेमिक (महामारी) तब होती है, जब एपिडेमिक (संक्रामक रोग) सभी महाद्वीपों पर हो जाता है.

डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि यह कुछ स्थानीय उतार-चढ़ाव के साथ जारी रह सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं लगता कि भारत गंभीर प्रकोप देखेगा जैसा कि दूसरी लहर के दौरान देश में विनाशकारी प्रकोप देखने को मिला.

यही बात दूसरे विशेषज्ञों ने भी दोहराई है. फिट के साथ पिछले इंटरव्यू में, अशोका यूनिवर्सिटी में भौतिकी और जीव विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. गौतम मेनन ने कहा था, "ज्यादातर मॉडलिंग यही बताएंगे कि कई कारणों से भविष्य में तीसरी लहर की तीव्रता, दूसरी लहर में देखी गई तीव्रता से स्पष्ट रूप से कम होनी चाहिए."

ADVERTISEMENTREMOVE AD

उन्होंने पिछले संक्रमणों और टीकाकरण दरों में वृद्धि को इसका कारण बताया.

डॉ. गगनदीप कांग जैसे अन्य वायरोलॉजिस्ट इस बात से सहमत हैं कि, भविष्य की लहरों द्वारा अधिक संवेदनशील आबादी और कम टीकाकरण दर वाले क्षेत्रों के प्रभावित होने की संभावना है.

उन्होंने पहले कहा था कि, "टीकाकरण और दूसरी लहर की भयावहता के बीच, जब देश में संक्रमण की दर इतनी अधिक थी, हम वास्तव में उतनी बुरी स्थिति में नहीं हैं, जितनी अन्य जगहों पर है."

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है, "एंडेमिक का तात्पर्य, किसी भौगोलिक क्षेत्र के भीतर किसी आबादी में किसी बीमारी या संक्रामक एजेंट की लगातार उपस्थिति और/या सामान्य प्रसार से है."

यह रोग का वांछित स्तर नहीं हो सकता है, जोकि शून्य है - लेकिन यह एक अपेक्षित स्तर है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वेरिएंट्स पर नजर रखने की जरूरत

भारत में कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट हावी रहा, इस वेरिएंट ने उन देशों को भी प्रभावित किया है, जहां वैक्सीनेशन की दर ऊंची रही है. डेल्टा वेरिएंट के कारण पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों में भी कोरोना संक्रमण के मामले (ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन) सामने आए हैं.

इस आर्टिकल में फिट ने उन वजहों के बारे में जाना, जिससे दुनिया भर में वैक्सीनेशन की ऊंची दरों वाले देशों में एक इजरायल अब कोरोना के मामलों में वही तेजी देख रहा है, जो 2021 की जनवरी में देखी जा रही थी.

हालांकि संक्रमण के नए मामलों में आधे मामले उनके हैं, जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी और वैक्सीनेटेड लोगों में वे लोग संक्रमित हुए, जो बुजुर्ग व कोमॉर्बिडिटी वाले हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

COVID-19 स्थानिक हो जाएगा: लेकिन क्या हम उस स्टेज पर पहुंच गए हैं?

वैज्ञानिक मई 2020 से ही चेतावनी देते रहे हैं कि हो सकता है कोरोनावायरस के मामले कभी पूरी तरह से खत्म न हों.

मार्च 2021 में, विज्ञान पत्रिका नेचर के एक सर्वेक्षण में, 100 इम्यूनोलॉजिस्टों में से लगभग 90% ने कहा था कि वायरस स्थानिक हो जाएगा और आने वाले वर्षों तक दुनिया के कुछ हिस्सों में फैलता रहेगा.

तब तक, सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों का पालन करते रहना है. हमें मास्क पहनना जारी रखना है, टीकाकरण कवरेज बढ़ाने, इनडोर वेंटिलेशन पर काम करने, सार्वजनिक समारोहों से बचने और स्वच्छता बनाए रखने की आवश्यकता है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×