देश में विकसित कोविड-19 टेस्ट, जिसका नाम FELUDA टेस्ट है, इस टेस्ट को भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल की ओर से 20 सितंबर को व्यावसायिक लॉन्च की मंजूरी मिल गई है.
फिट आपके लिए उन सभी सवालों के जवाब दे रहा है, जो आप इस नए FELUDA टेस्ट के बारे में जानना चाहते हैं:
नया FELUDA कोविड-19 टेस्ट क्या है?
FELUDA टेस्ट भारत का पहला कम लागत वाला पेपर-बेस्ड टेस्ट है, जिसमें कोविड-19 की पहचान में एक पेपर स्ट्रिप का इस्तेमाल किया जाता है. यह प्रेग्नेंसी टेस्ट स्ट्रिप जैसा है जो वायरस का पता चलने पर रंग बदलता है. टेस्ट को किसी भी आम पैथोलॉजिकल लैब में किया जा सकता है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार नया टेस्ट आधे घंटे से कम समय में नतीजा दे देता है.
FELUDA टेस्ट किसने विकसित किया है?
इस टेस्ट का विकास काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के देबोज्योति चक्रवर्ती और सौविक मैती के नेतृत्व में एक रिसर्च टीम ने टाटा समूह के सहयोग से किया है.
FELUDA टेस्ट कैसे काम करता है?
टेस्ट नोवल कोरोना वायरस के जेनेटिक मटीरियल की पहचान करने और टार्गेट करने के लिए देश में विकसित CRISPR जीन-एडिटिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है.
CRISPR (क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पालिंड्रोमिक रिपीट्स) एक जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी है, जिसका इस्तेमाल बीमारियों के इलाज और रोकथाम में किया जाता है. CRISPR तकनीक जीन के भीतर डीएनए के स्पेसिफिक सीक्वेंस का पता लगा सकती है और जीनेटिक गड़बड़ी को ठीक करने के लिए एंजाइम-बेस्ड सीजर की मदद से इसमें बदलाव करने में सक्षम है.
FELUDA दुनिया का पहला डायग्नोस्टिक टेस्ट भी है, जो SARS-CoV-2 वायरस का सफलतापूर्वक पता लगाने के लिए विशेष रूप से अनुकूलित Cas9 प्रोटीन का इस्तेमाल करता है. डॉ. देबज्योति चक्रवर्ती के अनुसार Cas9 प्रोटीन को मरीज की जेनेटिक मटीरियल में SARS-CoV-2 सीक्वेंस के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए बारकोड किया गया है. Cas9-SARS-CoV-2 कॉम्प्लेक्स को फिर पेपर स्ट्रिप पर डाला जाता है, जहां दो लाइनों (एक कंट्रोल, एक टेस्ट) का इस्तेमाल कर यह तय होता है कि टेस्ट सैंपल कोरोना से संक्रमित है या नहीं.
FELUDA टेस्ट के लिए सैंपल कैसे लिया जाता है?
सैंपल के लिए लार या ब्लड (रक्त) लिया जाता है, लेकिन लार को टेस्ट के लिए प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि इसे कलेक्ट करना आसान है.
FELUDA टेस्ट को यह नाम कहां से पड़ा?
FELUDA पश्चिम बंगाल के एक काल्पनिक प्राइवेट जासूस का नाम है. यह चरित्र प्रसिद्ध लेखक और फिल्म निर्माता सत्यजीत रे ने अपनी कहानियों में गढ़ा था. FELUDA की तरह ही टेस्ट में भी फटाफट केस हल करने की दक्षता है. FELUDA, FNCAS9 Editor Linked Uniform Detection Assay का शॉर्टफॉर्म है.
FELUDA टेस्ट कितना कारगर है?
यह RT-PCR जितना सटीक माना जाता है, कह सकते हैं टेस्टिंग में ‘सोने जैसा खरा.’
CSIR के एक बयान में कहा गया है. “CSIR-IGIB (इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी) की मदद से तैयार टाटा CRISPR (क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पालिंड्रोमिक रिपीट्स) टेस्ट FELUDA को उच्च गुणवत्ता वाले मानक मिले हैं, जिसकी नोवल कोरोना वायरस का पता लगाने में 96 प्रतिशत संवेदनशीलता और 98 प्रतिशत सटीकता है.”
FELUDA टेस्ट RT-PCR से कितना अलग है?
द प्रिंट को दिए एक बयान में CSIR के महानिदेशक शेखर मंडे ने कहा, "RT-PCR टेस्ट के उलट FELUDA टेस्ट के लिए “किसी खास कौशल और मशीन की जरूरत नहीं होती.” टेस्ट किसी भी आम पैथोलॉजिकल लैब में किया जा सकता है.
CSIR के अनुसार यह टेस्ट RT-PCR टेस्ट की सटीकता के स्तर का है, जिसे कोरोना का पता लगाने में गोल्ड जैसा मानक माना जाता है, लेकिन यह तेजी से नतीजे देता है और सस्ते उपकरणों से काम करता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी सटीकता एंटीजन-आधारित टेस्टों से बेहतर है, लेकिन इसे क्लीनिकल सेटिंग में करना और जांचना पड़ता है.
FELUDA टेस्ट का खर्चा कितना है?
एक बार इसको व्यावसायिक रूप से लॉन्च होने के बाद FELUDA टेस्ट की कीमत अंदाजन लगभग 500 रुपये होगी. RT-PCR टेस्ट की कीमत 1,600 से 2,000 रुपये तक होती है. एंटीबॉडी टेस्ट जो 20-30 मिनट में नतीजे दे सकता है, 500 रुपये और 600 रुपये के बीच होता. एंटीजन टेस्ट भी 600 रुपये में हो जाता है.
सरकार की ओर से बताया गया है कि टाटा समूह ने CSIR-IGIB और ICMR के साथ मिलकर 'मेड इन इंडिया' प्रोडक्ट तैयार किया है जो- सुरक्षित, विश्वसनीय, सस्ता और सुलभ है.
(द इंडियन एक्सप्रेस, द टाइम्स ऑफ इंडिया और द प्रिंट के इनपुट के साथ)
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