भारत में शायद ही ऐसा कोई घर हो, जहां सर्दियों में तिल के लड्डू न बनते हों, लड्डू न भी बने, तो ये जरूर सुनिश्चित कर लिया जाता है कि किसी न किसी तरह खाने में तिल जरूर शामिल हो जाए.
नियम से तिल का सेवन करने से शरीर को गर्माहट मिलती है, इसलिए इसे सर्दियों का सुपर फूड माना जाता है.
तिल का लड्डू तैयार किया जा सकता है, चिक्की बनाई जा सकती है या चटनी तैयार किया जा सकता है या फिर तिल को भुन कर सलाद, सूप वगैरह पर ऊपर से डाल सकते हैं.
हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में फायदेमंद तिल
न्यूट्रिशनिस्ट और एक्सपर्टस बताते हैं कि सर्दियों में तिल को डाइट में जरूर शामिल किया जाना चाहिए.
तिल गुड फैट से भरपूर होते हैं, इनमें मुख्य रूप से पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (PUFA) होता है, जो ब्लड कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर घटाने में मददगार हो सकता है और इसीलिए कुछ स्टडीज के मुताबिक तिल का सेवन कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों और कैंसर से बचाव में अहम हो सकता है.
तिल में मैग्नीशियम भी होता है, जो नॉर्मल ब्लड प्रेशर लेवल बनाए रखने में मदद करता है.
तिल में आवश्यक फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने के अलावा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं.
तिल में दो खास तरह के लिग्नन भी पाए जाते हैं: सेसमिन, सेसमलिन. इनमें कोलेस्ट्रॉल कम करने और हाई ब्लड प्रेशर से बचाव करने के प्रभाव देखे गए हैं.कविता देवगन, न्यूट्रिशनिस्ट
कविता देवगन बताती हैं कि तिल में लिनोलिक एसिड नाम का ओमेगा-6 फैटी एसिड भी पाया जाता है, जो नुकसान पहुंचाने वाले कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है.
इम्यून सिस्टम और हड्डियों की मजबूती
तिल ऐसे न्यूट्रिएंट्स का अच्छा सोर्स है, जो इम्यून सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे जिंक, सेलेनियम, कॉपर, आयरन, विटामिन B6 और विटामिन E. इसमें एक्टिव और हेल्थ को बेहतर बनाने वाले फाइटोकेमिकल भी होते हैं, जैसे सेसमिन, सेसमलिन, टोकोफेरॉल्स, फाइटोस्टेरॉल, फाइटेट और दूसरे फिनॉलिक जो इम्यून सिस्टम को मजबूती दे सकते हैं.
तिल में कैल्शियम भी पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूत रखता है. 100 ग्राम तिल में 975 मिलीग्राम कैल्शियम होता है, जबकि 100 मिलीलीटर दूध में केवल 125 मिलीग्राम कैल्शियम होता है. हालांकि दूध के मुकाबले तिल में मौजूद कैल्शियम की जैवउपलब्धता (bioavailability यानी खाने की चीजों में मौजूद पोषक तत्वों का शरीर में अवशोषण) कम होती है.
तिल में जिंक पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूत करता है और बोने डेंसिटी बढ़ाता है.
हालांकि तिल में मौजूद ऑक्जालेट्स और फाइटेट्स शरीर द्वारा मिनरल्स के अवशोषण में बाधा डालते हैं. इसलिए इनके असर को कम करने के लिए तिल को भिगोकर, भुनकर या अंकुरित करके खाने में इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.
तिल के दूसरे फायदे
लो कार्बोहाइड्रेट और हाई प्रोटीन और हेल्दी फैट मौजूद होने के नाते तिल ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मददगार हो सकता है.
प्लांट बेस्ड प्रोटीन के लिए तिल सबसे बेहतर है, 30 ग्राम तिल से 5 ग्राम प्रोटीन मिलता है.
तिल में मौजूद प्लांट कंपाउंड और विटामिन E एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह फंक्शन करते हैं, जो शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से लड़ते हैं.
तिल में भरपूर विटामिन B कॉन्टेंट स्किन के लिए अच्छा होता है.कविता देवगन, न्यूट्रिशनिस्ट
जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ प्रताप चौहान आईएएनएस को हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए काले तिल से जुड़ा एक नुस्खा बताते हैं:
- एक चम्मच काला तिल दो घंटे के लिए पानी में भिगो दें.
- फिर इस तिल को पीसकर पेस्ट बना लें.
- इस पेस्ट का एक चम्मच एक गिलास दूध में डालें और शहद मिला कर पी लें.
कुल मिलाकर तिल हेल्दी फैट, प्रोटीन, B विटामिन, मिनरल, आयरन, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स और कई फायदेमंद प्लांट कंपाउंड का अच्छा सोर्स है. लेकिन जिन लोगों का पेट कमजोर है या जिन्हें किडनी स्टोन की दिक्कत रही है, उन्हें तिल का सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए.
(ये आर्टिकल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. फिट यहां किसी भी बीमारी के इलाज का दावा नहीं करता है. स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है.)
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