ADVERTISEMENTREMOVE AD

बर्ड फ्लू से डरने की जरूरत नहीं, चिकन-अंडे पकाकर खाना सुरक्षित

Updated
Health News
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

केंद्र सरकार ने बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए चाकचौबंद प्रबंध किए हैं और सभी तरह के जरूरी उपाय किए जा रहे हैं, इसलिए चिकन या अंडे खाने से डरने की जरूरत नहीं है.

यह कहना है केंद्र सरकार में पशुपालन आयुक्त डॉ. प्रवीण मलिक का. डॉ. मलिक ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि मुर्गों में बर्ड फ्लू की इस साल अभी तक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन अगर पुष्टि होती भी है तो डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस दिशा में पहले से ही सतर्कता बरती जा रही है.

बर्ड फ्लू की खबर आने के बाद देश में चिकन और अंडे की बिक्री घट गई है क्योंकि लोग घबराए हुए हैं.

इस संबंध में पूछे गए सवाल पर पशुपालन आयुक्त ने कहा कि अंडे और चिकन को अगर सही तरीके से पकाकर खाएं तो यह पूरी तरह सुरक्षित है, इसलिए घबराने या डरने की जरूरत नहीं है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अब तक चार राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि

उन्होंने बताया कि हरियाणा में हालांकि बड़ी संख्या में पोल्ट्री बर्ड यानी मुर्गो की मौत हुई है, लेकिन इसकी वजह बर्ड फ्लू है या नहीं इसकी भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान को भेजे गए नमूनों की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही साफ होगा.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत आने वाले राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान को देश के अन्य राज्यों से भी पक्षियों की असामान्य मौत को लेकर नमूने लगातार भेजे जा रहे हैं, लेकिन डॉ. मलिक ने बताया कि अब तक चार राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है.

इनमें से राजस्थान और मध्य प्रदेश में कौवों में जबकि हिमाचल प्रदेश में प्रवासी पक्षियों में और केरल में घरेलू बत्तख में बर्ड फ्लू की रिपोर्ट है. उन्होंने बताया कि केरल में पहले ही रोकथाम के उपायों के तहत बर्ड को मारने की प्रक्रिया को अमल में लाया जा चुका है.

0

बर्ड फ्लू के मामले सामने आने पर क्या सावधानियां बरती जाती हैं?

"पोल्ट्री बर्ड में जहां कहीं भी बर्ड फ्लू यानी एवियन इन्फ्लूएंजा (एआई) की रिपोर्ट मिलती है, वहां प्रभावित फार्म के सारे बर्ड और एक किलोमीटर के एरिया में लोगों ने जो भी बर्ड पाल रखा है सबको खत्म कर दिया जाता है और सरकार की ओर लोगों को उसका मुआवजा दिया जाता है. इसके बाद अगले 10 किलोमीटर तक निगरानी बढ़ा दी जाती है और उस क्षेत्र से नमूने लेकर जांच करवाते हैं. इसके बाद पोस्ट सर्विलांस ऑपरेशन चलता है, इसमें दो-तीन महीने रिपोर्ट निगेटिव रहती है तो फिर उसे बर्ड फ्लू मुक्त एरिया घोषित कर दिया जाता है."
केंद्र सरकार में पशुपालन आयुक्त डॉ. प्रवीण मलिक

डॉ. मलिक ने बताया कि इसके अलावा वाइल्ड बर्ड यानी जंगली पक्षी के मामले में जो सावधानियां व उपाय हैं उनको भी अमल में लाया जाता है.

जंगली बर्ड में इस बीमारी की पुष्टि होने पर किए जाने वाले उपायों के बारे में उन्होंने बताया कि जहां पक्षियों की मौत की रिपोर्ट मिलती है, वहां पहले सुरक्षा बढ़ा दी जाती है और मृत पक्षियों का तुरंत निपटान करने की बात करते हैं और मानव की आवाजाही कम कर दी जाती है और सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. मसलन, चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू की रिपोर्ट आने पर वहां विजिटर्स की आवाजाही रोक दी जाती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'सर्दियों में लगातार दो-तीन राज्यों में बर्ड फ्लू की रिपोर्ट मिलती रही है'

डॉ. मलिक ने बताया कि दुनिया में बर्ड फ्लू 1996 में प्रकाश में आई, लेकिन भारत में यह 2006 में आने से एक साल पहले 2005 में ही इससे बचाव की कार्ययोजना बना ली गई थी. उन्होंने बताया कि 2006 के बाद से सर्दियों में लगातार दो-तीन राज्यों में बर्ड फ्लू की रिपोर्ट मिलती रही है और इस दौरान कार्ययोजना में भी बदलाव किए गए हैं.

डॉ. मलिक ने बताया कि बड़ी संख्या में पक्षियों की असामान्य मौत की रिपोर्ट इस साल अब तक राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, केरल के अलावा हरियाणा से आई है, लेकिन दूसरे राज्यों से भी सैंपल भोपाल भेजे गए हैं, उनमें से कई सैंपल निगेटिव आए हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें