नोवल कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) की वैक्सीन बनाने में लगी अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना इंक ने 27 जुलाई से कोरोना वैक्सीन कैंडिडेट (mRNA-1273) के ह्यूमन ट्रायल का तीसरा फेज शुरू कर दिया है.
इसके लिए कंपनी को अमेरिकी सरकार के बायोमेडिकल एडवांस रिसर्च एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (BARDA) से 47.2 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त मदद मिलेगी.
कंपनी की ओर से जारी की गई प्रेस रिलीज में घोषणा की गई है कि फेज 3 COVE (Coronavirus Efficacy) स्टडी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शस डिजीज (NIAID) के सहयोग से की जा रही है.
वैक्सीन के रैंडमाइज्ड प्लेसबो-कंट्रोल्ड ट्रायल में करीब 30 हजार लोगों को शामिल किया जाना है.
मॉडर्ना की mRNA-1273
ये mRNA आधारित वैक्सीन है. mRNA - या मैसेंजर RNA - एक अणु (molecule) है, जो एक खास क्रम में जुड़े न्यूक्लियोटाइड से बना होता है, जो कोशिकाओं के लिए आनुवंशिक जानकारी भेजता है ताकि mRNA द्वारा एन्कोड किए गए प्रोटीन या एंटीजन प्रोड्यूस किया जा सके.
एक बार वैक्सीन का mRNA शरीर की कोशिकाओं के अंदर जाता है, तो कोशिकाएं mRNA वैक्सीन के एन्कोड किए गए एंटीजन का उत्पादन करती हैं. एंटीजन तब कोशिका की सतह पर दिखते हैं, शरीर का इम्युन सिस्टम उनकी पहचान कर प्रतिक्रिया करता है, जिसमें एंटीजन के खिलाफ एंटीबॉडी का प्रोडक्शन शामिल है.
इस कैंडिडेट वैक्सीन में जो mRNA है, वो कोशिकाओं को वही प्रोटीन (स्पाइक प्रोटीन) बनाने का निर्देश देता है, जिसकी पहचान वैज्ञानिकों ने वायरस पर की है.
वहीं इस वैक्सीन के फेज 1 के नतीजे अच्छे रहे हैं. द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश शुरुआती चरण (फेज 1) के रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वैक्सीन से ऐसी एंटीबॉडीज प्रोड्यूस हुईं, जो कोरोना वायरस को न्यूट्रालाइज कर सकती हैं.
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