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COVID-19 FAQ: फेस शील्ड या मास्क दोनों में से क्या ज्यादा बेहतर?

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Health News
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दुनिया भर में COVID-19 के कहर को देखते हुए इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि हम इस कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) से संक्रमित ही न होने पाएं. अब तक कि रिसर्च बताती है कि कोरोना वायरस हमारे नाक, मुंह और आंख के रास्ते शरीर में एंट्री कर हमें बीमार कर सकता है.

इसका मतलब है कि कोरोना वायरस को एंट्री के इन रास्तों पर ही रोक लिया जाए. ऐसे में आंख, नाक और मुंह को एक साथ कवर करने वाले फेस शील्ड की डिमांड बढ़ गई है.

फेस शील्ड चेहरे (आंख, नाक और मुंह) पर रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट (किसी के खांसने, छींकने या बोलने के दौरान बाहर निकलने वाली बूंदें) पड़ने से बचा सकते हैं, इससे बार-बार अपना चेहरा छूने की आदत कंट्रोल कर सकते हैं, लेकिन क्या ये फेस मास्क जितने ही असरदार हैं?

यहां हम कोरोना काल में फेस शील्ड के इस्तेमाल से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे हैं.

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फेस शील्ड के क्या फायदे हैं?

  • फेस शील्ड से पूरा चेहरा कवर होता है, माथे से लेकर ठोड़ी तक या उससे भी नीचे.

  • फेस शील्ड पहनना लोगों के लिए आसान होता है.

  • सांस लेने में कोई असुविधा महसूस नहीं होती.

  • मास्क पहनने वाले कई बार बात करते हुए मास्क निकाल देते हैं जबकि फेस शील्ड में एक-दूसरे से बातचीत आसान होती है. एक-दूसरे का चेहरा देखा जा सकता है.

क्या मास्क की बजाए फेस शील्ड का इस्तेमाल किया जा सकता है?

एक्सपर्ट्स फेस शील्ड को मास्क का पर्याप्त विकल्प नहीं मानते. ऐसा क्यों? कोरोना काल में हमारा मकसद खुद को संक्रमण से बचाने के साथ ही ये भी है कि हमसे भी संक्रमण न फैले.

फेस शील्ड पहनने वाले को इन्फेक्शन से प्रोटेक्शन मिल सकता है, लेकिन इसकी डिजाइन ऐसी होती है कि उनसे ड्रॉपलेट के बाहर निकलने की संभावना होती है. वहीं मास्क के मामले में अगर कोई कोरोना संक्रमित है, तो मास्क बड़े रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट को कैप्चर कर लेगा और वो ड्रॉपलेट हवा में बाहर नहीं निकलेंगे.

हालांकि कुछ न पहनने से बेहतर है कि फेस शील्ड का इस्तेमाल किया जाए, लेकिन फेस शील्ड मास्क जितने प्रभावी नहीं हैं, जो ठोड़ी के चारों ओर और नाक को ऊपर से कसकर कवर करते हैं.
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क्या फेस शील्ड के साथ में मास्क पहनना जरूरी है?

कुछ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि फेस शील्ड के साथ मास्क पहनना चाहिए जैसा कि हेल्थकेयर वर्कर्स करते हैं. फेस शील्ड एडिशनल प्रोटेक्शन के लिए होते हैं.

वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि हेल्थकेयर वर्कर्स हाई रिस्क माहौल में होते हैं, लेकिन आमतौर पर लोगों को फेस शील्ड के साथ मास्क का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है बशर्ते फिजिकल डिस्टेन्सिंग को नजरअंदाज न किया जा रहा हो.

फेस शील्ड जहां किसी संक्रमित शख्स से रिलीज हुए ड्रॉपलेट और एरोसॉल से आपको सुरक्षा दे सकता है यानी इससे वायरस वाले ड्रॉपलेट का आंख, नाक, मुंह के रास्ते आपके शरीर में प्रवेश करने से रक्षा होगी. लेकिन अगर आप खांसते या छींकते हैं, तो फेस शील्ड से ड्रॉपलेट बाहर निकल सकते हैं.

वहीं मास्क आपके नाक और मुंह से रिलीज हुए ड्रॉपलेट को बाहर निकलने से रोकता है और बाहर के ड्रॉपलेट की नाक और मुंह से एंट्री भी बाधित होती है.

एयरलाइन्स की ओर से इसलिए यात्रियों को फेस शील्ड के साथ-साथ मास्क भी दिया जा रहा है ताकि यात्री दोनों चीजों का इस्तेमाल करें.
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फिर फेस शील्ड किन लोगों के लिए जरूरी है?

फेस शील्ड पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) का हिस्सा हैं, जो लोग PPE पहन रहे हैं, उनके अलावा फेस शील्ड उन लोगों के लिए जरूरी है, जो मास्क नहीं पहन सकते हैं, जिनमें कोई रेस्पिरेटरी कंडिशन हो या कोई और दिक्कत हो, जो किसी भी कारण खुद से मास्क हैंडल नहीं कर सकते, उनके लिए बेहतर होगा कि कुछ न पहनने की बजाए वो फेस शील्ड का इस्तेमाल करें.

याद रखें बार-बार प्रयोग किए जा सकने वाले फेस शील्ड को डिसइन्फेक्ट करना जरूरी होता है क्योंकि उसकी सतह पर रोगाणु सेटल हो सकते हैं.

गॉगल्स या फेस शील्ड, दोनों में से क्या ज्यादा बेहतर है?

सिर्फ गॉगल्स आंखों के रास्ते वायरस का प्रवेश रोक सकता है मतलब नाक और मुंह से वायरस अंदर जा सकता है, वहीं फेस शील्ड आंख, नाक और मुंह के रास्ते वायरस का प्रवेश रोक सकता है.

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