वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन (COVID-19 Vaccine) के दो वर्जन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए 15 फरवरी, 2021 को मंजूरी दे दी.
इसमें से एक का प्रोडक्शन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किया है. वहीं दूसरे वर्जन का प्रोडक्शन एस्ट्राजेनेका-SKBio (कोरिया गणराज्य) ने किया है.
इससे गरीब देशों को टीका मुहैया कराने के WHO के प्रोग्राम में अब तेजी आएगी.
ये मंजूरी क्यों महत्वपूर्ण है?
इस ग्रीन सिग्नल के साथ ही अब कोवैक्स प्रोग्राम के तहत दुनिया के कई देशों में इस वैक्सीन को दिए जाने का रास्ता खुल गया है. वैक्सीन को यह अप्रूवल मिलने का मतलब है कि अब कोवैक्स अभियान के तहत इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में किया जा सकेगा.
WHO ने वैक्सीन को मंजूरी देने के बाद कहा कि अब जिन देशों के पास वैक्सीन नहीं है, वो अपने स्वास्थ्य कर्मचारियों और जनता को वैक्सीन दे पाएंगे.
WHO की इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (EUL) यानी वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति देने से पहले इसकी सुरक्षा, गुणवत्ता और एफिकेसी का अध्ययन किया जाता है. इससे देश वैक्सीन के आयात और टीकाकरण के लिए अपनी रेगुलेटरी अप्रूवल में तेजी ला सकते हैं.
यह विभिन्न देशों को अपने देश में इस वैक्सीन के उपयोग की मंजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी लाने में मददगार साबित होगा.
WHO की असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल मारियांगेला सिमाओ ने अपने बयान में कहा, "ऐसे देश जिन्हें अब तक वैक्सीन नहीं मिले हैं, वे समान वैक्सीन वितरण के लिए शुरू की गई पहल कोवैक्स के तहत अपने स्वास्थ्य कर्मचारियों और आबादी के लिए टीकाकरण शुरू कर सकेंगे. फिर भी हमें कोशिश करनी चाहिए कि हर जगह प्राथमिकता वाली आबादी को आसानी से वैक्सीन उपलब्ध हो. इसके लिए हमें मैन्यूफेक्चरिंग क्षमता को बढ़ाने और वैक्सीन बनाने वालों को उनके वैक्सीन जल्द WHO को सबमिट करने की जरूरत है ताकि उनका जल्द रिव्यू हो सके."
WHO के COVAX प्रोग्राम के लिए ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन बेहतर विकल्प क्यों है?
इस वैक्सीन को आसानी से मैन्यूफैक्चर, ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है और रेगुलर फ्रीज के टेंपरेचर 2-8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है. इस कारण से ये मौजूदा वैक्सीन डिस्ट्रिब्यूशन सेट अप के अनुकूल है. वहीं Pfizer-BioNTech की वैक्सीन को माइनस 60 डिग्री सेल्सियस से माइनन 90 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर करने की जरूरत है, जिसकी व्यवस्था करना ज्यादातर देशों के लिए मुश्किल है.
भारत में, सीरम इंस्टीट्यूट वैक्सीन का निर्माण कर रहा है और COVAX सुविधा का एक बड़ा हिस्सा सीधे विकासशील देशों को प्रदान करेगा.
वैक्सीन की समीक्षा में WHO ने क्या पाया?
एस्ट्राजेनेका/ऑक्सफोर्ड के दोनों वैक्सीन के मामले में उनके लिए कोल्ड चेन की जरूरत, गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता का डेटा, रिस्क मैनेजमेंट जैसे तमाम पहलुओं का आंकलन किया गया है. इस पूरी प्रक्रिया में उसे 4 हफ्ते का समय लगा.
WHO के एक्सपर्ट पैनल, स्ट्रैटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स (SAGE) ने वैक्सीन के इस्तेमाल की सिफारिश की थी.
पैनल ने कहा था कि वैक्सीन सभी उम्र के लोगों के लिए सही है. पैनल ने अपनी सिफारिश में कहा कि वैक्सीन को दो डोज में दिया जाना चाहिए, और इसके बीच में 8 से 12 हफ्तों तक का अंतर होना चाहिए.
क्या WHO की ओर से और भी किसी कोरोना वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है?
हां, विश्व स्वास्थ्य संगठन फाइजर-बायोएनटेक की कोविड-19 वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी 31 दिसंबर, 2020 को दे चुका है. WHO की ओर से आपात इस्तेमाल की मंजूरी वाली ये पहली कोरोना वैक्सीन है.
WHO ने कहा था कि वैक्सीन को अल्ट्रा-कोल्ड चेन यानी माइनस 60 डिग्री सेल्सियस से माइनस 90 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर करने की जरूरत है. यह आवश्यकता वैक्सीन को उन सेटिंग्स में तैनात करने के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण बनाती है, जहां अल्ट्रा-कोल्ड चेन उपकरण उपलब्ध नहीं हो सकते हैं.
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