देश कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है और इस बार कोरोना वायरस से संक्रमित हो रहे बच्चों में इसके लक्षण देखने को मिल रहे हैं या यूं कहें कि इस बार कोरोना सिर्फ बुजुर्ग और पहले से ही किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी बीमार कर रहा है.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि शुरुआत में कोरोना की पहली लहर के दौरान बच्चों में इसके लक्षण बहुत कम या नहीं दिख रहे थे.
एनडीटीवी की इस रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 1 मार्च 2021 से 4 अप्रैल 2021 के आंकड़ों से पता चलता है कि वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित पांच राज्यों में 79,688 बच्चे संक्रमित हुए हैं.
इस बार बच्चों पर कोरोना का वार, वजह क्या है?
महाराष्ट्र में 1 मार्च से 4 अप्रैल के बीच 60,684 बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए हैं. इन बच्चों में से, 9,882 पांच साल से कम उम्र के हैं.
मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. फज़ल नबी बताते हैं कि इसमें उम्र के हिसाब से देखें तो बच्चा जितना छोटा है, कोरोना संक्रमण के मामले उतने कम रहे.
इसमें 5 साल से कम उम्र के बच्चों के करीब 10 हजार कोरोना के मामले हैं और 6 से 11 साल के बच्चों के 15 हजार मामले और लगभग 40 हजार मामले 12 से 17 साल की उम्र के बच्चों में देखे गए.डॉ. फज़ल नबी, डायरेक्टर, पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई
छत्तीसगढ़ में, 5,940 बच्चे बीमारी से संक्रमित हुए हैं - उनमें से 922 पांच साल से कम उम्र के हैं. कर्नाटक में, इससे संबंधित आंकड़े 7,327 और 871 हैं. उत्तर प्रदेश में, 3,004 बच्चे संक्रमित हुए हैं और उनमें से 471 पांच साल से कम उम्र के हैं.
बेंगलुरु में 10 साल से कम उम्र के 470 से ज्यादा बच्चे 1 मार्च से 26 मार्च के बीच संक्रमित हुए.
ANI की इस रिपोर्ट में नवी मुंबई में रिलायंस हॉस्पिटल और फोर्टिस हॉस्पिटल में कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन डॉ सुभाष राव बताते हैं,
पहली लहर में ज्यादातर बच्चे बिना लक्षण के थे, वहीं दूसरी लहर के दौरान बच्चों में बुखार, सर्दी, सूखी खांसी, दस्त, उल्टी, अच्छे खाना न खाना, थकान, भूख न लगना जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं. कुछ बच्चों को सांस में तकलीफ और चकत्ते हो सकते हैं.
हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि बच्चों में कमजोर इम्यूनिटी, कोविड उपयुक्त व्यवहार में लापरवाही इस बढ़त की वजह हो सकते हैं. वहीं वायरस के नए म्यूटेंट को अत्यधिक संक्रामक बताया जा रहा है.
शिशुओं और बच्चों में COVID-19 के लक्षण
आमतौर पर वयस्कों की तुलना में बच्चों में इसके लक्षण हल्के होते हैं. डॉ. नबी भी कहते हैं कि वयस्कों और बुजुर्गों की तुलना में बच्चों में कोविड अब तक उतना गंभीर नहीं देखा गया है.
खांसी
बुखार या ठंड लगना
सांस फूलना या सांस लेने में दिक्कत
शरीर में दर्द
गले में खराश
स्वाद या गंध न आना
दस्त
सिर दर्द
थकान
मिचली या उल्टी
नाक बंद होना या बहना
बुखार और खांसी बड़े और बच्चों दोनों में सबसे सामान्य लक्षण है; सांस फूलना वयस्कों में ज्यादा देखी जा सकती है. बच्चों को बिना लक्षण या लक्षण के साथ निमोनिया हो सकता है. बच्चे खराब गला, बहुत ज्यादा थकान या दस्त भी महसूस कर सकते हैं.
बच्चा कोरोना पॉजिटिव हो, तो क्या करें?
डॉक्टरों का कहना है कि हॉस्पिटल भागने की जरूरत नहीं है.
बच्चों के डॉक्टर से कंसल्ट करके घर पर उनका ध्यान रखा जा सकता है. सिर्फ गंभीर संकेतों जैसे सांस में तकलीफ, पांच दिन से ज्यादा बुखार, मुंह से कुछ खा न पाना, चकत्ते और दूसरे लक्षण.
बच्चे को अलग करें और उसकी देखभाल करने वाले के लिए ये जरूरी है कि वो मास्क जरूर लगाए, अपने हाथ साबुन और पानी से धोए, बच्चे के आसपास की सतहों को सैनिटाइज करे. अगर बच्चा इतना बड़ा है कि मास्क लगाया जा सकता है, तो उसे मास्क पहने रहने को कहें.
बच्चों में कोरोना के लक्षण देखने वाले डॉक्टरों का कहना है कि COVID-19 होने पर भी बच्चे अच्छे से रिकवर हो रहे हैं और उनके गंभीर रूप से बीमार पड़ने की आशंका कम है.
इसमें राहत की खबर ये है कि बच्चों पर दवाइयों का असर हो रहा है, बुखार औसतन 2-3 दिन रह रहा, बच्चे जल्दी रिकवर हो रहे हैं और जटिलताओं के संकेत नहीं मिल रहे हैं.डॉ. निहार पारिख, मुंबई, इंस्टाग्राम पर एक वीडियो में
भले ही सिम्टोमैटिक होने के बाद भी बच्चे जल्दी रिकवर कर रहे हैं, लेकिन उनसे दूसरे संक्रमित हो सकते हैं.
क्या एहतियात बरतें पैरेंट्स?
डॉक्टरों के मुताबिक अगर किसी बच्चे को बुखार हुआ और वो दिन में ठीक हो गया, तो भी 14 दिन होम क्वॉरन्टीन फॉलो किया जाना चाहिए जब तक कि निगेटिव कोरोना टेस्ट रिपोर्ट न हो.
बच्चे वायरस के कैरियर हो सकते हैं यानी उनसे दूसरे संक्रमित हो सकते हैं और गंभीर बीमारी से जूझ सकते हैं.
डॉ. निहार पारिख कहते हैं कि बच्चे को बुखार हो, तो उसे अंदर ही रखें और 7-10 दिन ज्यादा सतर्क रहें.
डॉ राव के मुताबिक अगर बच्चे में कोरोना संक्रमण के लक्षण नजर आए, तो दूसरे दिन ही RT-PCR टेस्ट कराया जाना चाहिए. कोरोना टेस्ट टाले नहीं या डर के कारण झिझके नहीं. बीमारी का जल्द पता चलना इलाज में मददगार होता है.
डॉ फज़ल नबी सलाह देते हैं कि बच्चों की पार्टी, बर्थडे फंक्शन, ग्रुप एक्टिविटी न कराएं और कोविड के सारे प्रोटोकॉल फॉलो करें.
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