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क्या कोविड19 में हाई ब्लड प्रेशर ने आपकी भी नींद उड़ा दी है?

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क्या इन दिनों आपका भी ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) बढ़ रहा है? कहीं इस बढ़ते ब्लड प्रेशर का कारण कोविड19 तो नहीं? बीते 2 वर्षों में देखा गया है कि ब्लड प्रेशर में बढ़ोतरी की शिकायत वाले मरीज़ों की संख्या में वृद्धि हुई है. कोविड19 के कारण परोक्ष रूप से लोगों को कई ऐसी बीमारियों का सामना करना पर रहा है, जो उन्हें पहले नहीं थी. उनमें बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है. बढ़ते ब्लड प्रेशर से परेशान हैं, तो आईए विशेषज्ञों से जाने उससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब.

क्या कोविड19 में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ी है?

डॉ. टी. स. क्लेर, अध्यक्ष (फ़ोर्टिस हार्ट एंड वैस्क्युलर इंस्टीट्यूट) फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने फ़िट हिंदी को बताया "सर्वप्रथम ऐसी कोई स्टडी या प्रामाणिक तथ्य मौजूद नहीं है, जिससे डेटा के साथ सिद्ध किया जा सके कि कोविड19 के दौरान ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन चिकित्सकों ने अपनी रूटीन प्रैक्टिस के दौरान यह पाया है कि कोविड19 के दौरान लोगों में तनाव एवं बेचैनी की भावना पहले की अपेक्षा काफी अधिक रही. जिन लोगों को कोविड हुआ उनमें और उनके परिवार के लोगों में तनाव का स्तर निश्चित रूप से काफी अधिक रहा. इसी तनाव की वजह से लोगों में हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) के लक्षण देखे गए व चिकित्सकों ने आम दिनों की तुलना में ओपीडी में आने वाले लोगों में रक्तचाप उच्च पाया. हालाकि अधिकतर लोगों में यह उच्च रक्तचाप अंशकालीन ही था."

ब्लड प्रेशर को नियमित रूप से मापना चाहिए

फ़ोटो:istock

ब्लड प्रेशर क्या है और इसे कैसे मापा जाता है? 

ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) उस बल का माप है, जिसका उपयोग हमारा हृदय हमारे शरीर के चारों ओर रक्त पंप करने के लिए करता है रक्तचाप को पारा के मिलीमीटर (mmHg) में मापा जाता है और इसे 2 आंकड़ों के रूप में दिया जाता है:

  • सिस्टोलिक दबाव - वह दबाव जब आपका हृदय रक्त को बाहर धकेलता है

  • डायस्टोलिक दबाव - वह दबाव जब आपका दिल धड़कनों के बीच आराम करता है

मान लें, यदि आपका रक्तचाप "140 ओवर 90" या 140/90mmHg है, तो इसका मतलब है कि आपका सिस्टोलिक दबाव 140mmHg और डायस्टोलिक दबाव 90mmHg है.

हाई ब्लड प्रेशर क्या है?

हाई ब्लड प्रेशर यानि उच्च रक्तचाप तब होता है, जब आपके रक्त का दबाव सामान्य से अधिक अस्वस्थ स्तर तक बढ़ जाता है. आपकी रक्त धमनियों से रक्त के गुज़रने के प्रवाह और रक्त को पंप करने के लिए हृदय द्वारा लगाई जा रही ताकत के आधार पर ब्लड प्रेशर यानी रक्तचाप के स्तर का निर्धारण होता है. आपकी रक्त धमनियां जितनी सिकुड़ी या पतली होंगी, उतना ही आपके हृदय को रक्त पंप करके आगे पहुँचाने में शक्ति लगानी पडे़गी और आपका ब्लड प्रेशर उतना ही ज्यादा होगा. हाई ब्लड प्रेशर अक्सर अस्वास्थ्यकर जीवनशैली की आदतों से संबंधित होता है, जैसे धूम्रपान, बहुत अधिक शराब पीना, अधिक वजन होना और पर्याप्त व्यायाम न करना.

डॉ. सुनील वाधवा, प्रिन्सिपल कन्सल्टंट कार्डियोलॉजिस्ट, मैक्स हॉस्पिटल गुरुग्राम ने फ़िट हिंदी को दिए अपने साक्षात्कार में बताया कि कोविड19 के दिनों में लोगों का ब्लड प्रेशर लेवल बिगड़ा है. कारण उसका ये रहा कि लोग घर पर बैठे रहे, ऑफ़िस का काम भी घर से किया, कोई व्यायाम नहीं किया और लॉकडाउन के दौरान तो घर से निकले ही नहीं. जो बुज़ुर्ग सैर पर जाया करते थे, नहीं जा सके और नौजवान लोगों का जिम जाना बंद हो गया. घर पर लोगों ने नए-नए पकवान बनाए और खाए. इन सब कारणों से ब्लड प्रेशर बढ़ा.

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क्या है हाई बीपी का बेसलाइन 

(फ़ोटो:iStock)

हाई ब्लड प्रेशर का मानक (बेसलाइन)  

भारत में हाई ब्लड प्रेशर के लिए जो मानक (बेसलाइन) मान्य है, क्या वो सही है? इस सवाल के जवाब में डॉ. टी. स. क्लेर और डॉ. सुनील वाधवा की राय एक दूसरे से भिन्न है. डॉ. टी. स. क्लेर के मुताबिक़ विश्व स्वास्थ्य संगठन अर्थात WHO द्वारा ब्लड प्रेशर के जो मानक निर्धारित किए गए हैं, वो पूरे विश्व के लिए एक समान हैं. उन्होंने कहा, "ब्लड प्रेशर के मानकों में देश के हिसाब से परिवर्तन नहीं किया गया है. नई गाइडलाइंस के मुताबिक किसी भी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर अगर 80 से 130 के बीच रहता है, तो उसे नॉर्मल ब्लड प्रेशर माना जाता है. इससे कम या अधिक होना ब्लड प्रेशर में वैरिएशन माना जाता है, जिसके लिए चिकित्सक से उचित परामर्श लेना आवश्यक है."

वहीं डॉ. सुनील वाधवा के नज़रिए में भारतीयों के लिए मानक और कड़े होने चाहिए. उन्होंने कहा, "हमें और ज़्यादा ख़याल रखना चाहिए. पश्चिमी देशों के मुक़ाबले भारत में दिल की बीमारी होने का ख़तरा ज़्यादा है. हमारा जेनेटिक मेक उप ऐसा है कि हमें रिस्क ज़्यादा है, जिस वजह से हमारे लिए मानक ज़्यादा कड़े होने चाहिए ताकि दिल की बीमारी होने का ख़तरा कम हो."

कोविड19 में हृदय का रखें ख़ास ख़याल 

(Photo: iStockphoto) 
अगर कभी ब्लड प्रेशर की दवा समय पर लेना भूल गए तो इससे तनाव में आने की आवश्यकता नहीं है. ऐसी स्थिति में जब भी संभव हो शीघ्रातिशीघ्र दवा ले लेनी चाहिए, और उसके बाद में रेगुलर शेड्यूल बना लेना चाहिए. मिस हुई दवा की वजह से अगली डोज के समय डबल दवा भूल से भी नहीं लेनी चाहिए. इससे ब्लड प्रेशर में एकाएक ज्यादा गिरावट आ सकती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है. मिस हो गई दवा को भूलकर आगे के नियमित शेड्यूल के हिसाब से दवा लेते रहना चाहिए.
डॉ. टी.स.क्लेर, अध्यक्ष (फ़ोर्टिस हार्ट एंड वैस्क्युलर इंस्टीट्यूट) फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट

ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखने के उपाय दवाइयों के अलावा और क्या हैं?

ऊपर पूछे गए सवाल के जवाब में दोनों डॉक्टर की सलाह एक जैसी ही है. ब्लड प्रेशर का इलाज जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी इससे बचाव के उपायों को अमल में लाना है. नि:संदेह दवाइयों का ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखने में बेहतरीन योगदान है और आजीवन दवाइयों के माध्यम से लोग नॉर्मल ब्लड प्रेशर को मेंटेन रख पा रहे हैं, लेकिन दवाइयों के अलावा बहुत से ऐसे तरीके हैं, जिससे ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखा जा सकता है:

  • जॉगिंग, वॉकिंग या फिर साइक्लिंग

  • योग एवं मेडिटेशन

  • पर्याप्त नींद

  • भोजन में कम नमक खाना

  • तले हुए पदार्थों का सेवन कम करना

नमक का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए 

(Photo: iStockphoto)

एक बार ब्लड प्रेशर की दवा शुरू हो गयी, तो क्या वो आजीवन लेनी पड़ती है?

डॉ. टी. स. क्लेर, अध्यक्ष (फ़ोर्टिस हार्ट एंड वैस्क्युलर इंस्टीट्यूट) फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इस सवाल पर कहा "नहीं, ऐसा नहीं होता है. हालाकि ब्लड प्रेशर एक क्रोनिक बीमारी है लेकिन अगर समय से इसकी जांच हो जाए तो एक समय के पश्चात इसे बिना दवाओं के भी नियंत्रण में रखा जा सकता है. इसके लिए व्यक्ति विशेष का लाइफ़ स्टाइल बहुत मायने रखता है. अगर ऊपर बताए गए व्यायाम, योग, ध्यान व खानपान में सतर्कता, जैसे नियम बना लिए जाएं, तो दवाओं को बंद भी किया जा सकता है. लेकिन एक बात तय है कि जिस भी व्यक्ति को एक बार उच्च या निम्न रक्तचाप की समस्या आ गई हो उसे ताउम्र ब्लड प्रेशर की नियमित जांच अवश्य करवाते रहना चाहिए. और दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि ब्लड प्रेशर की कोई भी दवा ना तो चिकित्सकीय परामर्श के बिना शुरू करनी चाहिए और ना ही बंद करनी चाहिए."

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