ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोरोना से मोटापे का रिश्ता समझिए

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

मोटापे का प्रकोप कोरोना के शुरू होने के पहले से भी एक बड़ी समस्या था. लेकिन बीते 2 वर्षों से कभी कोविड होने का डर तो कभी लॉकडाउन की मार झेल रहे भारतीयों को घर बैठे-बैठे आराम और सुख-सुविधाओं की ऐसी लत लग गयी, जो दूसरी ख़तरनाक बीमारियों को न्योता दे रही है.

जरूरत के लगभग सारे सामान बाहर निकल कर ख़रीदने के बजाय घर पर ही डेलिवर कराने की आदत कोरोना ने और बढ़ा दी. ऐसे में वजन बढ़ना तो स्वाभाविक ही था. जीवन शैली में बदलाव ने कई और मुश्किलें पैदा कीं.

कोरोना काल में लोग जंक फूड की ओर बहुत ज़्यादा आकर्षित हुए. साथ ही शारीरिक मेहनत या एक्सरसाइज की तरफ़ से भी ध्यान हटा या बहुत कम ज़रूर हो गया. दूसरी तरफ़ कोविड रूपी अबूझ पहेली में उलझ कर लोग तनाव में रहने लगे. मतलब स्ट्रेस लेवल बढ़ जाने से नींद में ख़लल पड़ने लगी सो अलग.

कोरोना काल में मानसिक तनाव के कई कारण पैदा हुए 

(फ़ोटो:iStock)

इस तरह मानसिक तनाव के ढेर सारे कारण पैदा हो गए. कोविड के जानलेवा असर का सामना कर रहे लोगों में अपनों के खोने का दुःख, नौकरी चली जाने की चिंता, बच्चों के भविष्य को ले कर बन रही अनिश्चितता और न जानें कैसी-कैसी मुसीबतें घर करती चली गयीं. इस तरह मानसिक अवसाद का माहौल बना रहा.

ये सभी कारण हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर लगातार असर डालते ही रहे. जाहिर है कि ऐसे में दूसरी बीमारियों के साथ-साथ ‘मोटापा’ को भी पनपने का मौक़ा मिला.

लेकिन, विशेषज्ञ क्या इस मामले में अलग राय भी रखते हैं ?

इसलिए आईए, अब जानें कि कोरोना काल में मोटापे की समस्या पर संबंधित विषय के जानकार या मेडिकल एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं :

कोरोना में मोटापे पर विशेषज्ञों की राय  

“कोरोना के आने के बाद घर में बंद लोगों के बीच मोटापे में वृद्धि तो हुई है, पर एक हद तक ही. लॉकडाउन के समय यह समस्या बढ़ती ज़रूर है, पर उसके बाद लोग, ख़ासकर युवा वर्ग, मोटापे पर कंट्रोल रखने के लिए वाजिब कदम भी उठाते हैं.’’ - ये कहना है फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग़, इंटर्नल मेडिसिन की डायरेक्टर, डॉ. विनीता तनेजा का.

"एक बीमारी से बचने के लिए दूसरी बीमारी को न्योता नहीं दे सकते हैं हम"
डॉ. विनीता तनेजा, डायरेक्टर, इंटर्नल मेडिसिन, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग़

मोटापे का शिकार हुए बच्चे 

(फ़ोटो:iStock)

डॉ. विनीता तनेजा ने फिट हिंदी को बताया कि कोविड में मोटापा की समस्या का शिकार बच्चे अधिक हुए हैं. इसका कारण उन्होंने स्कूल और खेल कूद सम्बंधी प्रशिक्षण संस्थानों का बंद होना बताया है. साथ ही बढ़ते बच्चों के खानपान पर नियंत्रण रखना, डॉ. विनीता के अनुसार, थोड़ा मुश्किल तो है.

ऐसा ही कुछ कहना है नारायण अस्पताल गुरुग्राम के डॉ. तुषार तायल का भी. डॉ. तुषार ने कोरोना वायरस काल में मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या में बहुत ज़्यादा वृद्धि नहीं देखी. लेकिन मोटापे के कारण कोरोना की समस्या झेलने वाले मरीज़ों को उन्होंने ज़रूर देखा है.

“मोटापा कभी अकेले नहीं आता. कई तरह की समस्याओं को अपने साथ लता है. फिर वो चाहे डायबिटीज हो, हृदय रोग सम्बंधी समस्या हो, स्लीप ऐप्नीया हो या कोई और गंभीर बीमारी.

"कोविड होने के बाद लोगों में मोटापा देखा गया है. इसका कारण इलाज में इस्तेमाल किया गया स्टेरॉड या कोविड के बाद कमज़ोरी के कारण शारीरिक परिश्रम करने में असफलता या दोनों हो सकती है"
डॉ. तुषार तायल, सीनियर कंसल्टेंट, इंटर्नल मेडिसिन, नारायणा हॉस्पिटल गुरुग्राम
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोरोना और ख़राब लाइफ़ स्टाइल ने मिल कर बढ़ाया मोटापे को 

(फ़ोटो:iStock)

वहीं फोर्टिस अस्पताल, बैंगलोर की चीफ़ डायटीशियन रिंकी कुमारी का मानना कुछ और है. वे कहती हैं “कोविड19 के परिणामस्वरूप पिछले दो वर्षों में मोटापे का ग्राफ़ आसमान छू गया है. हालाकि, ये संख्या बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार लोगों का मॉडर्न लाइफ़ स्टाइल भी है.

10,000 से अधिक प्रतिभागियों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान, कुल बीएमआई और मोटापा लगभग 22.1 किग्रा / मी 2 और 24.6 प्रतिशत तक बढ़ गया”.

"ज़ीरो फ़िगर की ओर भागने की बजाय स्वस्थ वजन बनाए रखने में युवाओं की सहायता करना महत्वपूर्ण है"
रिंकी कुमारी, चीफ़ डायटीशियन, फोर्टिस अस्पताल, बैंगलोर

वयस्कों में मोटापे को कम करने के लिए क्या करें?

प्रासेस्ड और शुगर से बने खाद्य पदार्थों से परहेज़ करें  

(फ़ोटो:iStock)

वयस्कों में ख़राब जीवनशैली, तनाव और सोने जागने के असामान्य चक्र की वजह से खाने -पीने की आदतों में आए बदलाव को ठीक करने से फ़र्क पड़ेगा.

चीफ़ डायटीशियन रिंकी कुमारी के अनुसार ये सब कर के हम मोटापे को नियंत्रण में ला सकते हैं:

  • गुड फ़ैट का सेवन बढ़ाते हुए बैड फ़ैट का सेवन कम करें

  • प्रासेस्ड और शुगर से बने खाद्य पदार्थों का सेवन भी घटाएँ

  • हर दिन फलों और सब्जियों की पांच से नौ सर्विंग्स की सिफारिश की जाती है

  • पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं

  • वजन अनुकूल बनाए रखने के लिए फाइबरयुक्त आहार का सेवन करें

  • कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें

  • अपने रूटीन में वेट ट्रेनिंग / फ़िज़िकल ऐक्टिविटी को ज़रूर शामिल करें

  • नियमित वॉक

  • पर्याप्त नींद अवश्य लें

बच्चों में बढ़ रही मोटापे की समस्या से कैसे निपटें?

बच्चों को फल और सब्ज़ी खाने को प्रोत्साहित करें 

(फ़ोटो:iStock)

डब्ल्यूएचओ की सिफारिश है कि बच्चे और किशोर रोजाना कम से कम 60 मिनट की शारीरिक गतिविधि में ज़रूर शामिल हों.

डॉक्टरों ने बच्चों में बढ़ते मोटापे का कारण ज़्यादातर गतिहीन जीवनशैली और आसानी से मिलने वाले फास्ट फूड को बताया.

उनके अनुसार बच्चों को मोटापे की रोकथाम के तरीक़ों के बारे में कम उम्र से ही बताना शुरू कर देना चाहिए.

  • छोटे शिशुओं को जब भी संभव हो स्तनपान कराएं.

  • बढ़ते बच्चों को सही पोषण और सही मात्रा में खाना खाने को प्रेरित करें.

  • शुरू से ही बच्चों को स्वस्थ खाद्य पदार्थों से परिचित कराएं.

  • रोमांचक और मनोरंजक शारीरिक गतिविधियों को बच्चों के जीवन में शामिल करें.

  • पर्याप्त नींद लेने की आदत दिलाएं.

इन तमाम सलाहों और हिदायतों के मद्देनज़र यही कहा जा सकता है कि मोटापा और कोरोना का मिलाजुला असर इतना गहरा भी नहीं होता कि उसे आसानी से कम न किया जा सके.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×