हम सभी के काम करने की क्षमता और एक सीमा होती है. सीमा और क्षमता से ज्यादा काम करने पर हमें आराम की चाहत होती है ताकि भरपूर ऊर्जा बनी रहे. हमारे नर्वस सिस्टम को भी आराम या यूं कह लें ब्रेक की जरूरत पड़ती है. कुछ टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं, जिसे अपनाकर आप अपने नर्वस सिस्टम को रोजमर्रा के कामकाज के बीच भी ब्रेक दे सकते हैं.
वेट ट्रेनिंग
वजन मस्तिष्क को प्रोप्रियोसेप्टिव इनपुट (proprioceptive input) देता है, जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर एक शांत और व्यवस्थित प्रभाव पैदा कर सकता है.
प्रोप्रियोसेप्शन(Proprioception) जिसे किनेस्थेसिया भी कहा जाता है, शरीर की अपने स्थान, चाल और काम को समझने की क्षमता है. उदाहरण के तौर पर आप अपने पैरों को देखे बिना चलने या लात मारने में सक्षम होते हैं या आईने में देखे बिना अपनी नाक को छूने में सक्षम होते हैं.
एक स्टडी के मुताबिक ओलंपिक वेट लिफ्टरों का वजन उठाना उनमें प्रोप्रियोसेप्टिव इनपुट यानी जागरुक होने की क्षमता को बढ़ाता है. वजन उठाकर प्रोप्रियोसेप्टिव इनपुट प्राप्त करने और व्यायाम एकसाथ कर सकते हैं.
शेकिंग थेरेपी
शेकिंग थेरेपी एक मैनेजमेंट तकनीक है. तनाव और ट्रॉमा को दूर करने के लिए शरीर को शेक करना(झिंझोड़ना) फायदेमंद हो सकता है, जिससे नर्वस सिस्टम को रेगुलेट करने में मदद मिलती है.
मेडिकल बायोफिजिक्स और साइकॉलजी में डॉक्टरेट डॉ पीटर लेविन ने अपनी किताब 'वेकिंग द टाइगर: हीलिंग ट्रॉमा' (Waking the Tiger: Healing Trauma) में बताते हैं कि जानवरों तनाव से निजात के लिए शरीर को झिंझोड़ते हैं.
शेकिंग से मांसपेशियों के तनाव को दूर करने, अतिरिक्त एड्रेनालाइन (adrenaline) को घटाने और नर्वस सिस्टम शांत करने में मदद मिलती है.
इसे हर सुबह और रात 30 सेकंड से 2 मिनट तक कर सकते हैं. शरीर के विशेष अंगों पर ध्यान केंद्रित करें और झिंझोड़ें. ये बैठकर या खड़े होकर किया जा सकता है.
कई लोगों के लिए ये थेरेपी प्रभावी है, लेकिन इसे लेकर वैज्ञानिक प्रमाण अभी भी सीमित हैं.
हीट थेरेपी
हममें से कई लोगों ने हॉट बाथ(Hot Bath) यानी गर्म पानी से नहाने के बाद शांत होने का अनुभव किया होगा. गर्माहट आपको आराम देती है. हॉट बाथ सूजन को कम करने और ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है.
2018 में हुई एक स्टडी से संकेत मिलें कि हीटिंग पैड(Heating pad) से सिस्टोस्कोपी(cystoscopy) से गुजरने वाली महिलाओं में एंग्जायटी कम करने में मदद मिली. सिस्टोस्कोपी की प्रकिया में मूत्रमार्ग और मूत्राशय में कैमरा के जरिये जांच की जाती है.
ट्रैकिंग एक्सरसाइज (Tracking exercise)
मन को शांत करने का एक और तरीका है ट्रैकिंग एक्सरसाइज. ये सोमैटिक थेरेपी(Somatic Therapy) का एक हिस्सा है.
इसे करने का तरीका बेहद आसान है-
बैठें और आराम से कुछ सांसें लें.
धीरे-धीरे कमरे में चारों तरफ देखना शुरू करें और सामानों पर नजर दौड़ाएं.
सामानों का नाम जोर से बोलें.
अगर आपको कोई ऐसी चीज दिखती है जो आपको विशेष रूप से आकर्षित करती है, तो उस पर कुछ देर नजर टिकाएं.
तब तक दोहराएं जब तक आप शांत महसूस न करें और रुकने के लिए तैयार न हों.
अपने बाहरी वातावरण, विशेष रूप से अपने आस-पास की सुखद चीजों पर अपना ध्यान केंद्रित करके, आप अपने नर्वस सिस्टम को संकेत भेज सकते हैं कि सब ठीक है!
फैट से फायदा
नसों की कोशिकाओं पर एक सुरक्षात्मक कोटिंग होती है जिसे माइलिन(myelin) कहा जाता है. साक्ष्य से पता चलता है कि फैट से डिमाइलिनेशन(Demyelination) या माइलिन के क्षरण को रोककर उस सुरक्षात्मक कोटिंग को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है.
हेल्दी फैट नसों के लिए कुशन का काम करता है. एवोकैडो, नट्स और फैटी फिश, घी को आहार का हिस्सा बनाएं और नर्वस सिस्टम को तंदरुस्त रखें.
(NCBI, साइंसडायरेक्ट ,स्प्रिंगर से इनपुट के साथ)
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