क्या भारत में COVID से हो रही मौतों की गिनती कम हो रही है? हमारा डेटा कितना विश्वसनीय है? भारत में कोविड से हो रही मौतों के आंकड़ों पर नजर रख रहे मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी, यूके में गणितज्ञ डॉ मुराद बानजी से फिट ने इस मुद्दे पर खास बातचीत की है.
दरअसल, देश में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के सरकारी आंकड़ों पर बहस है. ऐसे आरोप लग रहे हैं कि कोरोना से होने वाली मौतों की अंडररिपोर्टिंग हो रही है. हाल ही में न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक दर्जन से भी अधिक विशेषज्ञों से परामर्श करके भारत के सरकारी मौत- संक्रमण के आंकड़ों के साथ-साथ लार्ज स्केल एंटीबॉडी टेस्ट के नतीजों का विश्लेषण किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में मौत के आंकड़े सरकारी आंकड़ों 3 लाख 15 हजार से कहीं ज्यादा 6 लाख से 42 लाख के बीच हो सकते हैं.
अब सरकार ने न्यूयॉर्क टाइम्स की इस रिपोर्ट को पूरी तरह से गलत और आधारहीन बताया है. सरकार का कहना है कि बिना किसी सबूत के तोड़ मरोड़कर पेश किए गए अनुमानों के आधार पर ये रिपोर्ट की गई है.
मुराद कहते हैं कई गांव से रिपोर्ट्स पढ़ें तो पता चलता है कि लोगों को इस बीमारी का नाम तक नहीं पता. लोग मर रहे हैं. ये रिपोर्ट्स पैनिक फैलाने के लिए नहीं है बल्कि स्थिति को समझने के लिए है क्योंकि इसी से हम आगे की तैयारी कर सकेंगे. अगर हम आंकड़े ठीक से नहीं जमा कर पाएंगे तो हम लोगों की मदद नहीं कर सकेंगे. तीसरी लहर में क्या हो सकता है, ये जानने के लिए हमें पता होना चाहिए कि पहली और दूसरी लहर में स्थिति कैसी रही?
मौत के आंकड़े ज्यादा होने का अनुमान किस आधार पर लगाया जा रहा है?
बानजी कहते हैं- मौत के आंकड़े ज्यादा होने को लेकर मेरा अनुमान पिछले साल की डेटा पर आधारित है. पिछली लहर में जितनी मौतें रिकॉर्ड हुईं थी, उनसे 3 से 8 गुना ज्यादा तक मौतों का आंकड़ा हो सकता है. इस साल के डेटा कम उपलब्ध है. अनुमान के मुताबिक पिछले साल की तरह ही इस साल भी मौत के आंकड़ों की अंडररिपोर्टिंग हुई होगी.
"गुजरात के स्थानीय अखबारों ने पाया कि इस साल 71 दिन में 1 लाख 23 हजार मौतें रजिस्टर हुईं. अगर हम पिछले सालों में हुई मौतों पर नजर डालें तो हमने पाया कि 71 दिनों में 80 मौतें हो सकती हैं. उससे हमने कैलकुलेशन किया तो 40,000 से ज्यादा मौतें हुईं हैं, जबकि आधिकारिक डेटा 4,000 कोविड मौतों का है. हालांकि 40,000 में सारी मौतें कोविड से नहीं हुई हैं लेकिन ज्यादातर आंकड़ा कोविड से हुई मौत का है, ऐसा हमारा मानना है."डॉ मुराद बानजी, मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी, यूके में गणितज्ञ
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