(अगर आपके मन में भी खुदकुशी का ख्याल आ रहा है या आपके जानने वालों में कोई इस तरह की बातें कर रहा हो, तो लोकल इमरजेंसी सेवाओं, हेल्पलाइन और मेंटल हेल्थ NGOs के इन नंबरों पर कॉल करें.)
भारत में साल 2019 में रोजाना आत्महत्या से औसतन 381 मौतें दर्ज की गई हैं, जो कुल मिलाकर साल में 1,39,123 हैं. ताजा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक आत्महत्या की दर (प्रति एक लाख पर) में 2018 के मुकाबले 2019 के दौरान 0.2 फीसद की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई.
इस संख्या का मतलब है कि साल 2019 में देश में हर चार मिनट में एक शख्स की आत्महत्या से मौत हो गई.
ये रिपोर्ट अलग-अलग व्यवसायों, जेंडर और आयु समूहों के बीच आत्महत्या, इसकी प्रमुख वजहों और घटनाओं का राज्यवार रिकॉर्ड पेश करती है.
इसे समझने के लिए इन्फोग्राफिक पर एक नजर डालें जिसमें हमने आपके लिए सारा ब्योरा जुटाया है:
आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए, इसके बाद तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में कुल आत्महत्याओं का क्रमशः 13.6 फीसद, 9.7 फीसद, 9.1 फीसद, 9.0 फीसद और 8.1 फीसद का हिस्सा था. अकेले इन पांच राज्यों को मिलाकर देश में दर्ज कुल आत्महत्याओं के 49.5 फीसद मामले सामने आए.
पारिवारिक समस्याएं (32.4%) और बीमारियां (17.1%) आत्महत्या के प्रमुख कारण हैं. नशा, शादी से जुड़ी समस्याएं, प्रेमसंबंध, दिवालियापन या कर्ज, परीक्षा में नाकामी, बेरोजगारी, काम से जुड़ी समस्याएं और संपत्ति विवाद कुछ अन्य कारण हैं.
आत्महत्या करने वाले 65% से ज्यादा लोगों की सालाना आमदनी एक लाख रुपये से कम थी, 29.6% की सालाना आमदनी एक से पांच लाख रुपये के बीच थी.
कृषि क्षेत्र से जुड़े कुल 10,281 लोग थे, जिन्होंने 2019 के दौरान आत्महत्या कर जान दी. ये देश में कुल आत्महत्या के मामलों (1,39,123) का 7.4% है.
2019 में अपनी जान लेने वालों में कुल पुरुष-महिला अनुपात- 70.2 पुरुष की तुलना में 29.2 महिला रही. ये 2018 से (68.5 पुरुषों की तुलना में 31.5 महिलाओं) ज्यादा है.
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