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बजट 2022: मानसिक स्वास्थ्य को मिली मंज़ूरी, लेकिन पैसा कहां है?

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हेल्थ केयर के आवंटन के साथ, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2022 में, कोविड महामारी के मानसिक स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव से लड़ने के लिए, एक नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम की घोषणा की.

आइए घोषणा की प्रमुख बातों पर एक नज़र डालें:

घोषणा की प्रमुख बातें 

'क्वालिटी मेंटल हेल्थ काउंसलिंग' प्रदान करने के उद्देश्य से एक नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है.

देश भर से 23 मानसिक स्वास्थ्य संस्थान इसमें शामिल होंगे.

कार्यक्रम को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस (NIMHANS) द्वारा संचालित किया जाएगा.

IIIT बैंगलोर कार्यक्रम को तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे.

बजट 2022 में हेल्थकेयर: एक चूका हुआ अवसर?

नए कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही वित्त मंत्री ने भारत के टीकाकरण अभियान की सफलता के बारे में भी बताया.

सीतारमण ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि 'सबका प्रयास' से देश ओमाइक्रोन द्वारा संचालित देश में चल रही तीसरी लहर को पार करने में सक्षम होगा.

उन्होंने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत एक ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म, नेशनल डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम, शुरू करने की भी घोषणा की.

"इसमें स्वास्थ्य प्रदाताओं और स्वास्थ्य सुविधाओं की डिजिटल रजिस्ट्रियां, अद्वितीय स्वास्थ्य पहचान और स्वास्थ्य सुविधाओं तक हर देशवासी की पहुंच शामिल होगी", उन्होंने कहा.

लेकिन, सबसे बढ़कर, सवाल यह है कि क्या वित्त वर्ष 2022 के बजट में स्वास्थ्य सेवा के लिए किया गया आवंटन पर्याप्त है?

फ़िट से बात करते हुए, महामारी विज्ञानी, और सार्वजनिक स्वास्थ्य, और नीति विशेषज्ञ, डॉ चंद्रकांत लहरिया, कहते हैं, बिल्कुल नहीं.

"महामारी में, हमारे पास स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश करने का अवसर था, और हमने आवंटन बढ़ाने का अवसर गंवा दिया है."
डॉ चंद्रकांत लहरिया, एपिडेमियोलॉजिस्ट, पब्लिक हेल्थ और पॉलिसी एक्सपर्ट

ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले साल के बजट की तुलना में इस साल के आवंटन में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है.

"पिछले साल, संशोधित करने के बाद, बजट का स्वास्थ्य के प्रति अनुमानित आवंटन 86000 करोड़ था, और इस साल यह 86200 करोड़ है. अनिवार्य रूप से, बहुत समान. लेकिन अगर हम इसे अपने आर्थिक विकास, इन्फ्लैशन और जनसंख्या वृद्धि के संदर्भ में देखें, तो निश्चित रूप से यह वृद्धि नहीं है. बल्कि, उस अर्थ में बजट में कमी की गई है," वे बताते हैं.

"हमें याद रखने चाहिए की जहां भारत जैसे देश आर्थिक विकास और आर्थिक सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, स्वास्थ्य सेवा में निवेश प्रमुख विकल्पों में से एक होना चाहिए था, पर लगता नहीं है कि इस बार ऐसा हुआ है," डॉ लहरिया कहते हैं.

मानसिक स्वास्थ्य ज़रूरी: नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम

महामारी के बारे में बोलते हुए, वित्त मंत्री ने महामारी से उत्पन्न चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि यह "मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को और बढ़ाता है"

डॉक्टरों और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों ने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान का स्वागत किया है, जिसे परंपरागत रूप से दरकिनार कर दिया गया है.

ट्विटर पर प्रतिक्रिया देते हुए, फोर्टिस हेल्थकेयर, मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग के निदेशक डॉ समीर पारिख ने इस कदम की सराहना करते हुए वित्त मंत्री सीतारमण को धन्यवाद कहा. मेंटल हेल्थ पर ध्यान रखते हुए नेशनल टेली हेल्थ प्रोग्राम शुरू करने के लिए बधाई दी. साथ ही उन्होंने टेली मेडिसिन सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य की सुविधा सुनिश्चित करने का सही तरीका है भी कहा.

हेल्थकेयर पब्लिक पॉलिसी विशेषज्ञ, शाह फैसल ने भी इस पहल का स्वागत करते हुए ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम देश में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में स्टिग्मा को दूर करने की ओर सही कदम होगा.

साथ ही ट्विटर पर उन्होंने लिखा "यह एक अच्छा कदम है क्योंकि यह देश में मानसिक स्वास्थ्य की असली स्थिति को स्वीकार करता है", उन्होंने यह भी कहा कि इससे अधिक लोगों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में मदद मिल सकती है.

दूसरी तरफ, डॉ लहरिया बताते हैं, "यह नया कार्यक्रम शुरू किया गया है, लेकिन अभी तक कोई अतिरिक्त आवंटन नहीं है, इसलिए मुझे समझ नहीं आता कि इसे कैसे फंड किया जाएगा।"

"मैं ग्रांट के लिए बजट के बारे में जो जानता हूं, नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम (2021 में घोषित) के लिए आवंटन, पिछले वर्ष की तरह ही 40 करोड़ पर अपरिवर्तित रहा है."
डॉ चंद्रकांत लहरिया, महामारी विज्ञानी, सार्वजनिक स्वास्थ्य और नीति विशेषज्ञ

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