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आर्ट ऑफ गिविंगः इन 9 तरीकों से बच्चों को आभार जताना सिखाएं

बच्चों को शुक्रगुजार होना सिखाएं, ताकि उन्हें मिल रही चीजों की अहमियत समझ में आए.

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पिछली बार जब मेरे पति अपनी यात्रा के बाद घर आए तो उन्होंने बेटों को उनकी पसंदीदा चॉकलेट का एक पैकेट दिया. जब मेरे पति अपना सामान निकाल रहे थे, तब बच्चे बड़ी उम्मीद के साथ इंतजार कर रहे थे. उन्हें लगा कि कुछ और उपहार मिलेंगे.

लेकिन जब मेरे पति ने ये बताया कि इस ट्रिप के दौरान उन्हें शॉपिंग करने का बिल्कुल ही समय नहीं मिला, तो बच्चों के चेहरे की मुस्कान शिकन में बदल गई. बच्चों ने पूछा, ‘आप सच में इस बार हमारे लिए कुछ और नहीं लेकर आए हैं?’ इसके बाद वे निराश होकर खेलने चले गए.

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इससे पहले कि मेरे पति को अपनी यात्रा को लेकर अपराध बोध होता और वे उनके लिए कुछ नहीं लाने पर उन्हें उनके पसंदीदा स्टोर लेकर जाते. मैंने बच्चों को बैठाया और समझाया कि कई बार ऐसा समय आएगा जब वे निराश होंगे.

और, जो उन्हें नहीं मिला, उस पर ध्यान केंद्रित करने की बजाए, वो ये देखें कि उनके पास क्या है और इसके लिए आभारी रहें.

मेरे आठ साल के जुड़वा लड़कों को ये बात पूरी तरह से समझ नहीं आई. लेकिन मुझे यह महसूस हुआ कि उनमें अपने हक की भावना बहुत मजबूत थी. इसका कारण यह था कि वे ऐसे लोगों के बीच थे, जो उन्हें वो सब कुछ दे रहे थे, जो वो चाहते थे.
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अगर मैं इसे सीधी तरह से कहूं कि बच्चों को उनका सामान मिल रहा था. उन्हें इस बात की जानकारी या परवाह ही नहीं थी कि ये सामान कहां से आता है. अक्सर, जो उन्हें मिलता था, वे उसके लिए आभारी भी नहीं थे. इस बात ने मुझे एक कदम पीछे खींचने पर मजबूर किया. मैंने सोचा कि बच्चों को आभार या कृतज्ञता (gratitude) की दुनिया से अवगत कराया जाए.

बच्चों को कृतज्ञता या आभार की सीख देना आसान नहीं है. आभार का अर्थ क्या है, यह समझने में उन्हें दिन, महीने या साल लग सकते हैं.

अपने दैनिक जीवन में इन छोटी चीजों को शामिल करने से फर्क पड़ सकता है. और बच्चों को आभार के बारे में अधिक जानने के करीब ले जा सकते हैं.

1. उनसे पूछें कि वे किस चीज के लिए आभारी या शुक्रगुजार हैं

बच्चों को शुक्रगुजार होना सिखाएं, ताकि उन्हें मिल रही चीजों की अहमियत समझ में आए.
समझें कि आपके बच्चे किस चीज के लिए आभारी हैं.
(फोटो: iStockphoto)   

हम एक रिचुअल को करना न भूलें. हर रात, बस दो मिनट निकालकर उन्हें (बच्चों) कम से कम तीन ऐसी चीजों की लिस्ट बनाने के लिए कहें, जिनसे उन्हें खुशी हुई या वे जिसके लिए आभारी हैं. जब वे समझते हैं कि वे किसके लिए आभारी हैं, तो इससे बहुत फर्क पड़ता है.

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2. एक ग्रेटिट्यूट जार बनाएं

बच्चों को शुक्रगुजार होना सिखाएं, ताकि उन्हें मिल रही चीजों की अहमियत समझ में आए.
उन चीजों पर ध्यान दें, जिनके लिए आप आभारी हैं.
(फोटो: iStockphoto)   

एक खाली ग्लास कनस्तर लें और उन्हें किसी भी एक चीज को लिखने दें, जिसके प्रति वे उस दिन के लिए आभारी हैं. इसे फोल्ड करके जार में डालें. परिवार के हर सदस्य के लिए अलग-अलग रंग के कागज रखें.

कोई दिन अच्छा नहीं गुजरा? एक चिट्ठी उठाएं और जो आपने लिखा हो उसे पढ़ें. संभावना है कि आप जो कुछ कमी महूसस कर रहे होंगे, उससे हट कर आभार पर ध्यान केंद्रित करेंगे.

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3. उन्हें चीजें आपस में बांटने दें

बच्चों को शुक्रगुजार होना सिखाएं, ताकि उन्हें मिल रही चीजों की अहमियत समझ में आए.
बांटने या शेयर करने से बच्चों को खुशी का एक अलग पहलू समझ में आता है. 
(फोटो: iStockphoto)   

कई बार, लड़कों को एक ही तरह के गिफ्ट मिलते हैं. मैंने उन्हें उन गिफ्टों को शेयर करने की एक आदत डाल दी है. चाहे वह खिलौना डोनेट करने का ड्राइव हो या सड़क के बच्चों के साथ शेयर करना.

शेयर करने से उन्हें खुशी का एक अलग पहलू समझ में आता है - वे किसी को खुश भी कर सकते हैं.
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4. ‘थैंक यू’ नोट्स लिखें

बच्चों को शुक्रगुजार होना सिखाएं, ताकि उन्हें मिल रही चीजों की अहमियत समझ में आए.
बच्चों को अपने टीचर्स के लिए एक नोट लिखने के लिए कहें कि वे उनके गाइडेंस में सीखी गई चीजों के प्रति कितने आभारी हैं.
(फोटो: iStockphoto)   

यह कुछ ऐसा है ,जिसे मुझे शुरू करना है, लेकिन मुझे इस विचार से प्यार है! अपने जीवन में लोगों को धन्यवाद देने के लिए एक छोटा सा नोट.

बच्चों को अपने टीचर्स के लिए एक नोट लिखने के लिए कहें कि वे उनके गाइडेंस में सीखी गई चीजों के प्रति कितने आभारी हैं. एक पेरेंट्स के रूप में, आप अपने बच्चे को एक थैंक यू लिखते हैं ताकि आप उसे महसूस करा सकें कि आप क्या महसूस करते हैं.

5. पॉजिटिव पहलू देखने की सीख दें

आप जानते हैं कि इसे एटिट्यूड ऑफ ग्रेटिट्यूड कहने के पीछे एक कारण है.

जब आप अपने बच्चे को आत्म-दया पर रहने की बजाए पॉजिटिव चीजों की ओर देखने को कहते हैं, तो आप उन्हें आत्मविश्वास से भरा आदमी बनने में सहायता करते हैं. ऐसा आदमी जो समस्याओं पर ध्यान देने की बजाए समाधानों की तरफ देखता है.

कभी-कभी, यह उन ब्लैसिंग्स को फिर से देखने में मदद करता है, जिसे हो सकता है उन्होंने अनदेखा कर दिया हो.

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6. उन्हें घर पर मदद करने दें

बच्चों को शुक्रगुजार होना सिखाएं, ताकि उन्हें मिल रही चीजों की अहमियत समझ में आए.
(फोटो: iStockphoto)                                   
बच्चों को घर का काम करने दें.

मैं हमेशा से ही उन लोगों के प्रति दयालु रही हूं, जिनमें धैर्य कम है. बच्चों को एक काम को पूरा करते हुए देखना एक पीड़ा देने वाला है. हां, अगर इससे हमेशा के लिए गंदगी साफ करने की आदत लग जाती है, तो उन्हें ऐसा करने दें. मैं काम शुरू करने और उसे खत्म करने के मोह या प्रलोभन से लड़ती हूं. आप जानते हैं क्यों?

साधारण घरेलू कामों में भाग लेने से बच्चों को एहसास होता है कि इसमें मेहनत लगती है. जब कोई काम करने में उनकी मदद करेगा, तो वे उसके शुक्रगुजार होंगे.

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7. बच्चों को कम दें

जब आप उन्हें अधिक देते हैं, तो वे इसकी कद्र कम करते हैं. इनलाइन स्केट्स की भारी मांग के बाद लड़कों को यह एक-एक पेयर खरीदे गए. अंदाजा लगाइए क्या हुआ?

दो बार गिरने के बाद इनलाइन स्केट्स पैक किए गए. क्योंकि इसमें बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती थी. इसके बाद दो साल तक स्केट्स बाहर नहीं निकाले गए. बच्चों की हर मांग पूरी करने की बजाए उन्हें वो गिफ्ट दें जिसकी वे सराहना करें.

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8. ग्रेटिट्यूड जर्नल बनाएं

बच्चों को शुक्रगुजार होना सिखाएं, ताकि उन्हें मिल रही चीजों की अहमियत समझ में आए.
एक ग्रेटिट्यूड जर्नल उन बच्चों के लिए सबसे अच्छा काम करती है, जो कम से कम 7 साल या उससे अधिक उम्र के हैं.
(फोटो साभार: प्रतिभा पाल)

एक ग्रेटिट्यूड जर्नल को मेंटेन करने से उन्हें उन चीजों को लिखने में मदद मिलती है, जिनके लिए वे आभारी हैं. यह अच्छी और सकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक अद्भुत रिमाइंडर के रूप में काम करता है.

एक ग्रेटिट्यूड जर्नल उन बच्चों के लिए सबसे अच्छा काम करती है, जो कम से कम 7 साल या उससे अधिक उम्र के हैं.

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9. उदाहरण पेश करें

बच्चों को शुक्रगुजार होना सिखाएं, ताकि उन्हें मिल रही चीजों की अहमियत समझ में आए.
हम जो करते हैं उससे बच्चे सीखते हैं.
(फोटो: iStockphoto)

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा कृतज्ञता या आभार के बारे में सीखे, तो आपको एक उदाहरण पेश करना होगा. क्या आपने अपने बच्चों को बताया है कि आप आज के लिए किस चीज के आभारी हैं? हम जो करते हैं, उससे बच्चे सीखते हैं.

इसे दिन के खुशहाल हिस्सों के बारे में बातचीत का बिंदु बनाएं और शिकायत न करने के लिए विकल्प बनाएं.

(प्रतिभा पाल ने अपना बचपन ऐसी शानदार जगहों में बिताया है, जिनके बारे में सिर्फ फौजियों के बच्चों ने ही सुना होगा. वह तरह-तरह की किताबों को पढ़ते हुए बड़ी हुई हैं. जब वो अपने पाठकों के साथ शेयर करने के लिए किसी DIY रेसिपी तैयार करने का काम नहीं कर रही होती हैं, तब प्रतिभा सोशल मीडिया पर अपनी लेखन कला का जादू बिखेर रही होती हैं. आप उनके ब्लॉग www.pratsmusings.com पर पढ़ सकते हैं या उनसे @myepica पर ट्विटर पर संपर्क कर सकते हैं.)

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