कोरोना वायरस की वैक्सीन बना रही कंपनियों को भारत में आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी के लिए देश में स्थानीय ट्रायल करना होगा. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में कोविड-19 वैक्सीन पर केंद्र सरकार की टास्क फोर्स के अध्यक्ष और नीति आयोग के मेंबर डॉ वीके पॉल ने ये बात कही.
उन्होंने कहा कि भारत में अप्रूवल चाह रही फाइजर समेत किसी भी कंपनी के लिए स्थानीय ट्रायल्स अनिवार्य हैं.
देश में COVID-19 वैक्सीनेशन 16 जनवरी से शुरू हो रहा है.
2 वैक्सीन कैंडिडेट- SII के ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक के ‘कोवैक्सीन’ को ड्रग रेगुलेटर द्वारा आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है.
यूके की ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का उत्पादन 'कोविशील्ड’ नाम से सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा किया जा रहा है. अहम बात ये है कि SII ने 1,500 से ज्यादा लोगों पर एक महीने तक स्थानीय ट्रायल किया था, तब उसे मंजूरी मिली.
mRNA वैक्सीन फाइजर-बायोएनटेक ने 4 दिसंबर को भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल (DCGI) से भारत में आपातकालीन उपयोग अनुमोदन प्राप्त करने वाला पहला बन गया. यूएस की FDA ने वैक्सीन के लिए आपातकालीन स्वीकृति भी दे दी है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस फर्म ने देश में बिक्री और वितरण के लिए वैक्सीन इंपोर्ट करने की इजाजत मांगी थी, और भारतीय आबादी पर क्लीनिकल ट्रायल्स न करने की छूट मांगी थी.
“अब तक, भारत में लागू होने वाले किसी भी वैक्सीन के लिए पहली शर्त ये है कि आपको एक ब्रिज ट्रायल करना होगा.”रॉयटर्स के साथ बातचीत में डॉ. वीके पॉल
यहां ये ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत के न्यू ड्रग्स और क्लिनिकल ट्रायल नियमों के तहत ब्रिजिंग स्टडी के बिना आपातकालीन मंजूरी के प्रावधान मौजूद नहीं हैं. हालांकि, भारतीय अधिकारी आमतौर पर आबादी में सुरक्षा और प्रभावकारिता का पता लगाने के लिए इन स्टडी पर जोर देते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 31 दिसंबर को फाइजर-बायोएनटेक Covid-19 वैक्सीन के लिए आपातकालीन उपयोग सत्यापन की अनुमति दी. अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देशों ने पहले ही इस वैक्सीन कैंडिडेट को मंजूरी दे दी है.
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