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COVID-19:क्या बच्चों वाली महिलाएं ब्लड प्लाज्मा डोनेट कर सकती हैं?

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इस समय  COVID-19 के लिए कोई तयशुदा इलाज नहीं हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी किए गए क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में, COVID -19 के मॉडरेट मरीजों, जिन्हें स्टेरॉयड्स दिए जाने के बाद भी तबीयत में सुधार नहीं हो रहा है, प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है.

हालांकि ये एक प्रायोगिक इलाज है, लेकिन मॉडरेट और गंभीर रोगियों के लिए ब्लड प्लाज्मा की मांग बढ़ रही है. डोनर ढूंढने के लिए किए जाने वाले अधिकांश अपील के अंत में एक कॉमन कमेंट लिखा होता है: ‘जिन महिलाओं के बच्चे हैं वे प्लाज्मा नहीं दे सकतीं.’

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सोशल मीडिया पर प्लाज्मा के लिए की गई रिक्वेस्ट
(Screengrab: Twitter)

ICMR के मुताबिक कौन है एलिजिबल डोनर?

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ये पता लगाने के लिए देश के अलग-अलग अस्पतालों में क्लीनिकल ट्रायल कर रहा है कि क्या ये प्रायोगिक इलाज COVID मरीजों के इलाज में मदद करता है. 22 अप्रैल को जारी इसके ट्रायल प्रोटोकॉल के मुताबिक, पुरुष या नल्लीपैरस (nulliparous) महिला (डोनर के लिए पूरी की जाने वाली अन्य शर्तों समेत) प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं.

नल्लीपैरस ऐसी महिला के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मेडिकल टर्म है, जिसने कभी बच्चे को जन्म नहीं दिया है, इसके उलट मल्टीपैरस ऐसी महिला को कहा जाता है जिसने एक से ज्यादा बच्चों को जन्म दिया है. स्वाभाविक रूप से, इसका मतलब ये होगा कि जिन महिलाओं के बच्चे हैं, उन्हें ब्लड प्लाज्मा डोनर के रूप में अलग रखा गया है.

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत में सीनियर कंसल्टेंट और ब्लड बैंक, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की हेड डॉ. संगीता पाठक बताती हैं कि कौन सी बातें एक महिला को प्लाज्मा डोनर के रूप में एलिजिबल बनाती हैं. उन्होंने FIT से बातचीत में बताया, “महिलाओं में, प्लाज्मा डोनेशन के लिए सिर्फ नल्लीपैरस महिलाओं को स्वीकार किया जाता है. जिन महिलाओं ने बच्चे को जन्म दिया है, वे प्लाज्मा डोनर नहीं हो सकतीं, क्योंकि इन महिलाओं में एंटीबॉडी होती हैं जो TRALI (एक तरह की लंग की बीमारी) की वजह बन सकता है.”

वो कहती हैं कि ये प्लाज्मा डोनेशन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मानक है, जो रेगुलर ब्लड डोनेशन पर लागू नहीं होता है. उदाहरण के लिए, अमेरिका के FDA, जिसने इंवेस्टिगेशनल थेरेपी के रूप में प्लाज्मा ट्रीटमेंट को मंजूरी दी है, इसके लिए डोनर की पात्रता तय करता है: “पुरुष डोनर, या महिला डोनर जो कभी गर्भवती नहीं हुई हैं, या महिला डोनर जिनका हाल में प्रेगनेंसी के बाद टेस्ट किया गया है और HLA एंटीबॉडी के लिए रिजल्ट निगेटिव आया है.”

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बच्चों वाली महिलाएं ब्लड प्लाज्मा क्यों नहीं डोनेट कर सकतीं?

फिलहाल ऐसी महिला का प्लाज्मा इस्तेमाल नहीं किया जाता है (कुछ कोरोना वायरस ट्रायल को छोड़कर) क्योंकि उनमें कुछ एंटीबॉडी होने की संभावना ज्यादा होती है जो प्लाज्मा में एक दुर्लभ लेकिन संभावित रूप से घातक ट्रांसफ्यूजन रिएक्शन, जिसे, ट्रांसफ्यूजन रिएक्शन-रिलेटेड एक्यूट लंग इंजरी (TRALI) कहते हैं, पैदा कर सकता है.

कनाडा की ब्लड सर्विसेज में मेडिकल सर्विसेज एंड हॉस्पिटल रिलेशन की डायरेक्टर डॉ. तान्या पेट्रास्जको बताती हैं कि TRALI तब होता है जब डोनर के प्लाज्मा में मौजूद ह्यूमन लिम्फोसाइट एंटीजन (HLA) एंटीबॉडी रेसिपिएंट (प्राप्तकर्ता) के फेफड़े की व्हाइट सेल्स लाइनिंग के संपर्क में आता है.

HLA हमारे इम्युनिटी सिस्टम का हिस्सा हैं और हमारे शरीर को खुद पहचानने में मदद करते हैं. जब हमारा शरीर हमसे जुदा बाहरी चीज का पता लगाता है, तो ये एंटीबॉडी विकसित करता है.

गर्भवती महिलाएं भ्रूण की प्रतिक्रिया के रूप में इस खास तरह के एंटीबॉडी को विकसित करती हैं. एक महिला के जितने ज्यादा बच्चे होते हैं, उसमें इस एंटीबॉडी का प्रोडक्शन उतना ज्यादा होता है. ऐसा माना जाता है कि ऐसी महिलाओं से लिए गए प्लाज्मा के मामले में कुछ रेसिपिएंट इन एंटीबॉडी के प्रति निगेटिवली रिएक्ट करते हैं.

ये एंटीबॉडी प्रेगनेंसी में सामान्य हैं हालांकि ये भ्रूण को नुकसान नहीं पहुंचाते, लेकिन रेसिपिएंट में TRALI पैदा कर सकते हैं. ऐसी ही स्थिति उन महिलाओं की भी है जिनका गर्भपात हुआ हो.

पक्के तौर पर इस संभावना की सीमा तय कर पाना मुश्किल है और दोनों स्थितियों में मिले सबूत एक जैसे हैं. जहां कई स्टडी में महिलाओं के ब्लड प्लाज्मा डोनेट करने में जोखिम बताया गया है, वहीं कुछ अन्य लोगों ने इसे खारिज किया है और कहा है कि महिलाओं का प्लाज्मा नुकसानदेह नहीं होता है, जैसा कि पहले माना जाता था.

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क्या कोई समय-सीमा है जिसके बाद महिला डोनर से प्लाज्मा लिया जा सकता है?

मैक्स अस्पताल की डॉ. संगीता पाठक कहती हैं, “ये एंटीबॉडीज शरीर में हमेशा के लिए रहते हैं, इसलिए जो महिलाएं गर्भवती हो चुकी हैं, वे प्लाज्मा डोनेशन के लिए हमेशा अयोग्य होंगी.”

US FDA कहता है कि एक महिला प्लाज्मा डोनर के रूप में योग्य हो सकती है, अगर उसका HLA एंटीबॉडी टेस्ट नेगेटिव आता है. डॉ. पाठक ने बताया कि टेस्ट आसानी से उपलब्ध नहीं हैं. “यही कारण है कि हम डोनर की पूरी हिस्ट्री को देखते हैं. अगर उसके दो या दो से ज्यादा बच्चे हैं, तो ये निश्चित मान लें. कुछ चुनिंदा मामलों में, सिर्फ एक बच्चे वाली महिलाओं पर विचार किया जा सकता है. लेकिन ये हर अलग मामले पर निर्भर करता है. प्लाज्मा डोनेशन के लिए एक सामान्य नियम के तौर पर, हम सिर्फ नल्लीपैरस महिलाओं पर विचार करते हैं. दुनिया भर में यही स्थिति है और सिर्फ COVID-19 ही नहीं अन्य उद्देश्यों के लिए भी लागू होती है. बच्चों वाली महिलाएं ब्लड डोनेट कर सकती हैं, प्लाज्मा नहीं. ”

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COVID के लिए प्लाज्मा डोनेशन के नियम

डॉ. संगीता पाठक बताती हैं-

  • डोनर और रेसिपिएंट का ब्लड ग्रुप मैच करे
  • डोनर की उम्र 18-60 साल के बीच होनी चाहिए
  • डोनर ब्लड डोनेशन के लिए सभी मानदंडों पर खरा उतरना चाहिए
  • वजन 55 किलोग्राम से ज्यादा होना चाहिए
  • महिलाओं में, प्लाज्मा डोनेशन के लिए सिर्फ नल्लीपैरस महिलाओं को स्वीकार किया जाता है. मल्टीपैरस महिलाएं प्लाज्मा डोनर नहीं हो सकतीं क्योंकि इनमें एंटीबॉडी होते हैं जो TRALI का कारण बन सकते हैं.
  • 12.5 और उससे ज्यादा हीमोग्लोबिन जरूरी है
  • हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल में होना चाहिए
  • अगर डोनर को डायबिटीज है, तो वो इंसुलिन लेने वाला नहीं होना चाहिए
  • डोनर को कोई पुरानी बीमारी जैसे टीबी, सिरोसिस, गुर्दे और ऐसी दूसरी क्रॉनिक बीमारियां नहीं होनी चाहिए
  • अगर डोनर ने दांत उखड़वाया है तो 6 महीने तक ब्लड डोनेट नहीं कर सकता है
  • अगर डोनर का COVID टेस्ट निगेटिव आया है तो 14 दिन बाद COVID और एंटीबॉडीज का दोबारा टेस्ट कराना होगा और इसके बाद डोनर प्लाज्मा डोनेट कर सकता है
  • अगर उसने एंटीबायोटिक लिया है तो 72 घंटे का अंतर होना चाहिए
  • अगर किसी ने प्लाज्मा डोनेट किया है, तो वो 2 हफ्ते के बाद फिर से डोनेट कर सकता है
  • अगर कोई शख्स ठीक हो गया है और 28 दिन की अवधि पूरी कर ली है तो COVID के दोबारा टेस्ट की जरूरत नहीं है

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