परिवार में मेरे चचेरे भाई-बहनों ने कुल मिलाकर छह बच्चों को जन्म दिया. मैं सबसे अंतिम थी और मैं पूरे ध्यान से उन सभी की प्रसव-पूर्व कोचिंग लेती रही, इसके बावजूद कि मेरा खुद का सालों का हेल्थ रिपोर्टिंग का तजुर्बा था. मैं ब्रेस्टफीडिंग के बारे में सबकुछ जान चुकी थी. या ऐसा मैं समझती थी.
भला मैं कैसे उम्मीद कर सकती हूं कि किसी ने बिना सेंसर किए पूरी सच्चाई बताई होगी. यहां तक की कुछ आम बातें जैसे- ब्रेस्टफीडिंग सबसे अच्छी है, स्तन की सूजन (मैस्टिटीज), दूध बढ़ाने वाली डाइट, लैचिंग टेक्नीक (ब्रेस्ट फीडिंग की स्थितियां) के बारे में मुझे पहले से पता होता, तो मेरी पहली संतान को फीडिंग की मेरी चुनौतियां आसान हो जातीं.
इसलिए मैं आपको वो 8 बातें बताती हूं, जो नई मां को ब्रेस्टफीडिंग के बारे में कोई नहीं बताता. इस पर हैरान होने की जरूरत नहीं है, बातें खोल के बताना जरूरी है और इसका मकसद आपको दुनिया के सबसे डरावने और अद्भुत काम से विचलित करना बिल्कुल भी नहीं है.
1. यह बे-आराम लगातार का काम है
डॉक्टर बताते हैं कि नवजात बच्चे को हर दो से तीन घंटे फीड कराने की जरूरत होती है. जो बात वो आपको नहीं बताते, वो यह कि फीडिंग फ्रीक्वेंसी की गिनती, नर्सिंग समय की शुरुआत से की जाती है और करीब तीन महीने तक चलती है, और एक फीड एक घंटे तक लंबी चल सकती है. तो जब तक आप अपनी पीठ सीधी करने के लिए बैठती हैं, तब तक दूसरी फीड का टाइम हो चुका होता है.
ब्रेस्ट फीडिंग ऐसा नॉन-स्टॉप काम है, जिसके दौरान आप कुछ भी नहीं कर सकतीं. बीच में आपके पास वक्त होगा कि आप छोटे-मोटे फोन कॉल कर लें, बिखरे घर की सफाई शुरू करें- लेकिन आप इनमें से एक काम भी पूरा नहीं कर पाएंगी. पहले चार महीनों में नर्सिंग, फुल टाइम जॉब है और जो कोई भी आपको कुछ और बताता है, वह या तो झूठ बोल रहा है या उसकी याददाश्त खराब है.
2. जैसे आपके निप्पल पर कोई हजार पिनें चुभा रहा हो
पहला महीना आपको काफी क्रूर लग सकता है.
मेरे बेटा को भूख बहुत लगती थी. जो एक अच्छी बात है, लेकिन हर फीड (भयानक रूप से) दर्दनाक थी, मैं अपने दांतों को भींच लेती. मैं बड़ी मुश्किल से अपनी चीख को गले में ही रोक पाती और उन वेबसाइट्स को कोसती जो दावा करती हैं कि, ‘ब्रेस्ट फीडिंग में दर्द नहीं होता.’
यह नरक जैसा लग सकता है. जब हाथों के छोटे-छोटे नाखून, कठोर जबड़े आपके निप्पल की सबसे मुलायम जगह पर सबसे कठोरता से गड़ाए जाते हैं.
3. अपनी खैर चाहती हैं तो भूखे बच्चे को जल्द से जल्द स्तनपान कराएं
जब आपका बच्चा बहुत भूखा हो, तो बेहतर होगा कि आप बिजली की रफ्तार से उसे ब्रेस्ट फीड कराएं, नहीं तो खुलेआम चपत के लिए तैयार रहें. इससे भी बदतर यह कि, बच्चा छाती के किसी भी हिस्से को चूसने लगेगा, जैसे आपके पास तीसरा निप्पल या कुछ और है!
भगवान तुम्हें सुरक्षित रखे, मम्मियों!
4. निप्पल शील्ड किसी काम के नहीं, लेकिन अच्छी क्वालिटी के टॉप्स जरूर खरीद लें
निप्पल शील्ड के बारे में बात करें, तो ये निप्पल के आकार का नहीं होता. यह नवजात के मुंह के लिए बहुत नरम या छोटा भी नहीं होता है, और इसकी रोजाना सफाई की जरूरत होती है. यहां तक कि अगर आपका बच्चा बोतल से दूध पीता है, फिर भी ये जरूरी नहीं कि वो शील्ड लगाने पर दूध पीए.
नर्सिंग टॉप्स किसी वरदान से कम नहीं. ये नर्सिंग ब्रा की तुलना में काफी फैशनेबल और आरामदायक होते हैं, (इसकी वजह यह भी है कि घर वह जगह है, जहां ब्रा की जरूरत नहीं) जो कि लेयर्ड, ढीले-ढाले होते हैं और आपके दूध से भरे स्तनों के लिए आरामदायक होते हैं. आप इन्हें कम से कम छह महीने तो पहनेंगी ही, इसलिए सस्ते के चक्कर में ना पड़े.
5. इस दूध की बर्बादी बर्दाश्त नहीं होती
इसे ‘तरल सोना’ भी कहा गया है. और इसके नुकसान पर भयानक गुस्सा आता है.
एक बार जब मुझसे 600 ग्राम कीमती ब्रेस्ट मिल्क बर्बाद हुए, तो मैं गुस्से से उबल पड़ी थी.
6. आपके बच्चे में दूध पीने के बीच ही पॉटी करने की बेजोड़ क्षमता है
और ऐसा भी नहीं आप उसे कॉफी फीड कर रही थीं.
7. कहते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान वजन नहीं बढ़ता, इसलिए आप 10 गिलास मिल्क शेक पी जाती हैं ताकि आपको ज्यादा दूध बनें
केवल उन लोगों के बारे में बताने के लिए कि वे कितने झूठे थे! ब्रेस्ट फीडिंग कार्डियो से जुड़ा है. औसतन, आप ब्रेस्टफीडिंग करके दिन में 500 कैलोरी खर्च कर देती हैं, लेकिन आप हमेशा भूख महसूस करती हैं. और क्या वे आपको नहीं बताते, जब आप वेट लूज करना चाहती हैं, तो डाइट एक्सरसाइज के फायदों को लील जाती है?
8. ब्रेस्टफीडिंग कराना बेहतर है, लेकिन यह नहीं है तो भी कोई बात नहीं
ब्रेस्ट फीडिंग करना बहुत कठिन है, पहली बार, दूसरी बार और तीसरी बार भी. जो चीज ज्यादातर महिलाएं मुफ्त में उत्पादित कर सकती हैं, उसे किसी भी कैमिकल फार्मूले से तैयार नहीं किया जा सकता.
लेकिन जो मां ब्रेस्टफीड नहीं करातीं, या जो ऐसा नहीं कर सकतीं, या सप्लिमेंट देना चाहती हैं, या जो भी वजह हो, उनके लिए एक ब्रेकिंग न्यूज है- आपका बच्चा फिर भी आईआईटी क्रैक कर सकता है. और कोई दुनिया खत्म नहीं होगी, एक जर्रा भी नहीं. बोतल का दूध पी कर बड़े हुए बच्चे ब्रेस्टफीड से बड़े हुए बच्चों के मुकाबले बदसूरत, बेवकूफ, कमतर या बीमारू नहीं होते.
तो मम्मी जी, कुलाचें भरिए. दुश्मनों को लानतें भेजिए और उनको खुद पर हावी ना होने दीजिए. दुनिया में किसी मां को इस बात से परिभाषित नहीं किया जाता कि उसने अपने बच्चों को कैसे फीड किया.
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