करीब 30 फीसद महिलाएं अपनी प्रजनन अवधि के दौरान कभी न कभी हैवी मेंस्ट्रुएल पीरियड्स की समस्या का सामना करती हैं. इनमें से करीब 15 फीसद महिलाएं अंडरलाइंग ब्लीडिंग डिसऑर्डर का शिकार होती हैं और जिसका कभी पता नहीं लगाया जाता, नतीजन हजारों महिलाएं एक ऐसी बीमारी से जूझती हैं, जिसका इलाज किया जा सकता है.
क्वींस यूनिवर्सिटी में एक हेमेटोलॉजिस्ट और क्लीनिकल साइंटिस्ट के तौर पर आनुवांशिक ब्लीडिंग डिसऑर्डर के रोगियों की देखभाल करते हुए यह मेरे लिए निराशा की एक बड़ी वजह है कि ब्लीडिंग डिसऑर्डर से पीड़ित महिलाओं को उचित जांच और इलाज पाने में 15 साल तक इंतजार करना पड़ता है.
मुझे इससे भी ज्यादा चिंता इस बात की है कि उन लोगों के साथ क्या होता होगा, जिनकी बीमारी का कभी पता ही नहीं चलता है. ऐसी महिलाओं को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग का खतरा रहता है जिससे उन्हें खून चढ़ाने और गर्भाशय निकालने तक की जरूरत पड़ सकती है.
चूंकि 17 अप्रैल को 29वां वार्षिक विश्व हीमोफिलिया दिवस है- हीमोफिलिया के बारे में पहुंच और शिक्षा पर केंद्रित एक दिन- मैं हैवी पीरियड्स के बारे में कुछ साक्ष्य-आधारित जानकारी साझा करना चाहती हूं कि हीमोफिलिया की एक महिला “वाहक” होने का मतलब क्या है और आप कैसे आसानी से ब्लीडिंग डिसऑर्डर का खुद परीक्षण कर सकती हैं.
आयरन की कमी और एबनॉर्मल पीरियड्स
महिलाओं को होने वाली ब्लीडिंग डिसऑर्डर में वॉन विलेब्रांड बीमारी और हीमोफिलिया शामिल हैं - दोनों आनुवांशिक रूप से मिलते हैं और “क्लॉटिंग फैक्टर” (सहज तरीके से खून के थक्के बनने के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है) के निम्न स्तर के कारण होते हैं.
ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाले परिवारों में, महिलाएं यह बात समझ नहीं पाती हैं कि उनके पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग इसलिए हो रही है क्योंकि परिवार की अन्य प्रभावित महिलाओं में भी ऐसी ही समस्या है. उनके लिए हैवी पीरियड्स सामान्य लगता है.
पीरिड्स के बारे में खुली चर्चा को लेकर सामाजिक झिझक भी है, जिसे दूर करना मुश्किल हो सकता है. और नॉर्मल बनाम एबनॉर्मल पीरिड्स के बारे में सही जानकारी की भी कमी है.
हैवी और एबनॉर्मल पीरियड्स में खासकर हर घंटे पैड या टैम्पोन को बदलना, आयरन की कमी से एनीमिया होना, रात में बार-बार चादर गीला करना और ब्लीडिंग एक हफ्ते से ज्यादा समय तक चलती है.
खासतौर पर आयरन की कमी से एनीमिया चिंता का विषय है क्योंकि इसके कारण थकान और सांस की तकलीफ के साथ-साथ पढ़ाई और जॉब में प्रदर्शन खराब होता है.
आयरन की कमी और हैवी पीरियड्स को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन ये एक पता न चलने वाले ब्लीडिंग डिसऑर्डर की निशानी हो सकते हैं. एक बार पहचान हो जाए तो दोनों का आसानी से इलाज किया जा सकता है.
महिलाओं को भी हो सकता है हीमोफिलिया
जो महिलाएं हीमोफिलिया की वाहक (कैरियर) होती हैं, उन्हें अक्सर “केवल वाहक” माना जाता है - जो अपने बच्चों को सिर्फ म्यूटेंट जीन पास कर सकती हैं. उन्हें यह बात उनके डॉक्टर द्वारा बताई गई हो सकती है. इस गलत धारणा के कारण उनकी ब्लीडिंग की समस्या अक्सर बिना इलाज के रह जाती है.
हालांकि मेरे खुद के शोध से पता चला है कि हीमोफिलिया कैरियर के मामलों में लगभग 30 से 40 फीसद लोगों को एबनॉर्मल ब्लीडिंग होती है, जिसमें हैवी पीरिड्स, पोस्ट-पार्टम हेमरेज और ज्वाइंट ब्लीड्स शामिल हैं. कुछ में, लेकिन सभी में नहीं, क्लॉटिंग फैक्टर (रक्त के थक्के जमने) स्तर कम होता है.
ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाली महिलाओं में हैवी पीरियड्स के लिए प्रभावी इलाज बड़े पैमाने पर उपलब्ध हैं. इनमें ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल और ट्रांसडेक्सामिक एसिड (जो क्लॉट फैक्टर को दुरुस्त करते हैं) और डेस्मोप्रेसिन (जिससे क्लॉटिंग फैक्टर का स्तर बढ़ जाता है) जैसी दवाएं शामिल हैं.
गाइनेकोलॉजिक विकल्प जैसे लेवोनोर्गेस्ट्रेल इंट्रायूटरिन डिवाइस (आईयूडी) और एंडोमेट्रियल एब्लेशन भी उपलब्ध हैं.
दुर्लभ मामलों में, ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाली महिलाओं को हैवी पीरिड्स को काबू में करने के लिए क्लॉटिंग फैक्टर इनफ्यूजन की जरूरत पड़ती है. अगर आयरन की कमी हो, तो आयरन सप्लीमेंट लेना इलाज का एक प्रमुख हिस्सा है क्योंकि यह क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार करता है. आयरन की कमी को दुरुस्त करने के लिए सिर्फ डाइटरी आयरन लेना काफी नहीं है, खासकर अगर एनीमिया हो गया हो तो.
हमेशा से ही, हीमोफिलिया में अनुसंधान और लोगों को शिक्षित करने के मामले में ज्यादा ध्यान बीमारी से ग्रस्त लड़कों और पुरुषों के लिए इलाज पर था. ज्यादा ध्यान लगातार क्लॉटिंग फैक्टर के इंट्रावीनस इनफ्यूजन पर रहा है. लेकिन अब बेहतर इलाज पद्धतियों का विकास हुआ है और ठीक होने की संभावना में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है.
क्या आपके ब्लीडिंग के लक्षण सामान्य हैं?
कई संगठन अब ब्लीडिंग डिसऑर्डर के बारे में आम जानकारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफिलिया जैसे संगठनों की कोशिशों से ये बात स्वीकार कर ली गई है कि महिलाओं को भी हीमोफिलिया हो सकता है.
हीमोफिलिया से ग्रस्त महिलाओं के लिए नई चिकित्सा पद्धतियों की भूमिका साफ नहीं है, और यह समझने के लिए और शोध की जरूरत है कि महिलाओं में ज्यादा ब्लीडिंग क्यों होती है. मेरी लैबोरेटरी के एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि हीमोफिलिया वाहकों की ब्लड क्लॉटिंग प्रणाली हेमोस्टेटिक स्ट्रेस (जैसे आघात) में उतने अच्छे तरीके से प्रतिक्रिया नहीं करती, जैसी कि स्वस्थ व्यक्ति में करती है. चोट लगने के बाद ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर में तेज और निरंतर वृद्धि से ब्लीडिंग रोकने की जरूरत होती है लेकिन यह हीमोफिलिया वाहकों में काफी बिगड़ी दशा में पाया गया.
अगर आप जानना चाहती हैं कि क्या आपको ब्लीडिंग डिसऑर्डर है, तो SELF-BAT (सेल्फ एडमिनस्टर्ड ब्लीडिंग असेसमेंट टूल) आसानी से उपलब्ध है और यह बता सकता है कि आपके ब्लीडिंग के लक्षण सामान्य या असामान्य हैं.
यह टूल ब्लीडिंग स्कोर का पता लगाने के लिए आपके ब्लीडिंग के लक्षणों की जानकारी का विश्लेषण करता है. एक हाई ब्लीडिंग स्कोर पता नहीं लगाए गए ब्लीडिंग डिसऑर्डर होने की ज्यादा संभावना के साथ जुड़ा हुआ है और ऐसा होने पर आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए.
ब्लीडिंग डिसऑर्डर से ग्रस्त महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं को समझने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. ज्यादा शोध किए जाने और लोगों को शिक्षित किए जाने की जरूरत है ताकि सभी महिलाओं में बीमारी का पता लगाया जा सके और इलाज किया जा सके.
(पॉला जेम्स क्वीन यूनिवर्सिटी, ओन्टारियो में मेडिसिन की प्रोफेसर हैं.)
(यहां व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. फिट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है. यहआलेख मूल रूप से The Conversation में प्रकाशित हुआ था. मूल लेख यहां पढ़ें.)
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