ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक थप्पड़ ही तो है? घरेलू हिंसा, दुर्व्यवहार और सदमे के साथ जीना

Updated
women-health
4 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

अभिनेत्री तापसी पन्नू की पावरफुल फिल्म थप्पड़ ने कई तरह की प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है.

लेकिन जब कोई आपको थप्पड़ मारता है तो क्या होता है?

इससे घटनाओं की एक श्रृंखला की शुरुआत हो जाती है. आपके कानों में गूंजने वाली सनसनी शरीर के दूसरे छोर तक जाती है. आप अपने खोए हुए संतुलन को दोबारा संभालने की कोशिश करती हैं, जब आपके मजबूती से खड़े शरीर को तूफान की गति से हिला दिया जाता है. आपका चेहरा लाल है, शायद जख्मी भी है. आपके कान में घंटी बजना जारी रहती है और दूसरी सभी आवाजें म्यूट हो जाती हैं, तो आप सोचती हैं कि झन्नाटेदार दर्द के खत्म होने और आपके शरीर के खड़े हो गए सारे रोंगटों को दोबारा बैठ जाने में कितना वक्त लगेगा.

एक थप्पड़. क्या सिर्फ एक थप्पड़ भर है?

बंद दरवाजों के पीछे, कई घरों की यही हकीकत है जो अभी बताई गई है. एक, दो, या दस थप्पड़; बलात्कार, भावनात्मक दोहन, धमकी, या सिर्फ खामोशी- घरेलू बदसलूकी के कई रूप हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-4) और मुंबई की एक झुग्गी में एक एथनोग्राफिक (मानव जाति विज्ञान संबंधी) स्टडी से पता चला है कि अधिकांश भारतीय महिलाएं अपने बुरे तजुर्बे किसी के साथ साझा नहीं करती हैं और न ही मदद मांगती हैं. वे खामोशी से दर्द सहती हैं, और उनके शारीरिक व मनोवैज्ञानिक जख्म उन्हें हर रोज सालते हैं.

0

उत्पीड़न करने वाले और सहने वाले के मन में क्या होता है?

फिट ने स्वयंचेतन सोसायटी ऑफ मेंटल हेल्थ के डॉ रजत मित्रा से बात की. महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर दिल्ली पुलिस के साथ काम करने वाले डॉ मित्रा बताते हैं कि सभी पीड़ितों में उन्होंने जो एक समानता देखी, वह है लाचारी की भावना.

“उन्हें लगता है कि वे जो भी करेंगी उससे किसी भी तरह उनकी हालत बेहतर नहीं होगी. वे हालात पर प्रतिक्रिया करना बंद कर देती हैं, यह सोचते हुए कि अंत में उन्हीं की बर्बादी होगी. यह भावना परवरिश और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आती है जिसमें उन्हें सिखाया जाता है कि उनके व्यक्तित्व का कोई वैकल्पिक या स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है.”

हिंसा पर बेबसी का एहसास और इसका आदी हो जाना बहुत से मामलों में अवसाद की ओर ले जाता है, जहां दर्द उनकी जिंदगी का हिस्सा बन जाता है.
डॉ रजत मित्रा

वो कहते हैं कि महिलाएं अक्सर अपने पति का बचाव करती हैं और इस बात को नकारती हैं कि उनके साथ दुर्व्यवहार हो रहा है. इसका एक बड़ा कारण पुरुषों द्वारा बार-बार दोहराया जाने वाला रवैया है. अंतरंगता के बाद ‘आत्मग्लानि का शातिराना दिखावा’, जैसे कि “मैं बदल जाऊंगा” या “तुम ही वो शख्स हो, जो मुझे बदल सकती हो.” यह महिला को बांध कर रख देता है और यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है जब तक कि वह अपने दुख से संवेदनहीन न हो जाए. इस बार-बार दोहराए जा रहे पैटर्न को तोड़ पाना बहुत मुश्किल हो जाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जब सारा दोष महिलाओं पर ही मढ़ दिया जाता है

अक्सर महिलाओं को ही ‘दुर्व्यवहार’ का मौका देने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है.
(फोटो: iStock)

महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा पर काम करने वाली संस्था ब्रेकथ्रू इंडिया में प्रोग्राम डायरेक्टर नयना चौधरी घरेलू हिंसा के मामले में अपने अनुभव के बारे में बताती हैं. “शारीरिक हिंसा शायद एकमात्र व्यापक रूप से स्वीकार किया गया रूप है. भावनात्मक हिंसा और जुबानी या आर्थिक दुर्व्यवहार जैसे दुर्व्यवहार को मान्यता नहीं दी गई है, लेकिन ये चारों ओर व्याप्त है.

अक्सर महिलाओं को ही ‘दुर्व्यवहार’ का मौका देने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, और आसपास के लोगों का लगातार संदेह करना और अविश्वास उसके आत्मसम्मान को चोट पहुंचा सकता है. “वह सोचती है वह किसी काम की नहीं है, और मानो वह सिर्फ एक फर्नीचर है.”

एक बार एक महिला ने मुझसे कहा था कि उसे भरोसा नहीं है कि वह सही तरीके से एक फोटो फ्रेम भी लटका सकती है. यह है आत्म-संदेह का स्तर जो तब होता है या आपमें घर कर जाता जब आपका कोई बहुत करीबी आपको बार-बार चोट पहुंचाता है.
नयना चौधरी

नयना चौधरी कहती हैं कि बेबसी और अकेलेपन की भावना सभी सामाजिक-आर्थिक तबके की महिलाओं में आत्मघाती प्रवृत्ति पैदा कर सकती है. भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में गृहिणियां आत्महत्याओं के सबसे बड़े समूहों में से एक (17.1 प्रतिशत) हैं, रोजाना करीब 63 गृहिणियों ने खुद को मार डाला.

यह तथ्य कि मौत घरेलू हिंसा का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष परिणाम है- एक बार फिर सवाल उठाता है: क्या सच में ‘थप्पड़, सिर्फ एक थप्पड़ है?’

(महिलाओं के स्वास्थ्य को लंबे समय से नजरअंदाज किया जाता रहा है. इस ओर गंभीरता और शोध की कमी भी रही है. इस मुद्दे पर FIT की ओर से 'Her Health' कैंपेन की शुरुआत की जा रही है. क्या आपके पास भी कुछ बताने के लिए है? हमें FIT@thequint.com पर लिख भेजिए.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें