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पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अनिद्रा की शिकार ज्यादा क्यों होती हैं?

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दुनिया में चंद सुख ऐसे हैं जो मुफ्त में मिलते हैं और रात की एक अच्छी नींद इस लिस्ट में शायद सबसे उपेक्षित है. क्योंकि सचमुच, दुनिया में एक लंबे थकान भरे दिन के बाद अच्छी नींद से बेहतर क्या है?

अगर आंकड़े देखें, तो बड़ी संख्या में लोग इस आनंद का अनुभव करने में नाकाम रहते हैं- जिनमें, महिलाओं की स्थिति सबसे खराब है.

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अनिद्रा की समस्या 1.4 गुना ज्यादा है, और आमतौर पर वो नींद की समस्याओं से अक्सर परेशान रहती हैं.

हालांकि ये हकीकत जानी-पहचानी है, लेकिन इस विसंगति को स्पष्ट करने वाले कारण जटिल और अप्रत्यक्ष हैं. आखिर क्यों ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपनी नींद गंवा रही हैं?

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शारीरिक, सामाजिक और मानसिक पड़ताल

इसके कारणों की कई परतें हैं और एक महिला के जीवन के लगभग सभी पहलुओं से जुड़ते हैं. शरीर, मन और जीवनशैली; हर वजह को अलग-अलग देखने की जरूरत है.

पुरुषों और महिलाओं के बीच मौजूद हर मेडिकल अंतर का सबसे प्रमुख आधार हार्मोंस हैं और अनिद्रा कोई अपवाद नहीं है. आपके माहवारी चक्र और गर्भावस्था से लेकर आखिर में मेनोपॉज तक- हर चरण में नींद की समस्या होती है.

ओवरी द्वारा उत्पादित हार्मोन- एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन - नींद के साथ गहराई से जुड़े हैं. कुछ मामलों में, उन्हें हाइपरसोमनिया (ज्यादा नींद आना) हो सकता है, लेकिन ज्यादातर महिलाओं में नींद की समस्या और अनिद्रा की शिकायत होती है.
डॉ नूपुर गुप्ता, फोर्टिस में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की निदेशक

वह बताती हैं, माहवारी चक्र दो हिस्सों में बंटा है. शुरुआती 14 दिनों में एस्ट्रोजन का उत्पादन बढ़ता है, और दूसरे हिस्से में, प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है. जब शरीर माहवारी की तैयारी कर रहा होता है, तो दोनों हार्मोन में गिरावट आती है, जो बेचैनी, चिड़चिड़ापन, चिंता, तकलीफ और पीएमएस से जुड़े अन्य लक्षणों का कारण बनता है.

अधिकांश महिलाओं के लिए अगले चरण में गर्भावस्था आती है, जहां न केवल हार्मोन के कारण नींद में कमी आती है, बल्कि वजन बढ़ने, शारीरिक परेशानी, पीठ दर्द, गैस्ट्रिक क्षेत्र में रक्त की आपूर्ति में बढ़ोतरी, पैर में ऐंठन या भविष्य से जुड़ी चिंताएं जैसे कारणों से भी ऐसा होता है. रात में बार-बार पेशाब आना, आयरन की कमी और ढेर सारे अन्य कारक अनिद्रा का कारण बनते हैं.

अंत में, पेरिमेनोपॉज और मेनोपॉज आता है, जिसके साथ अचानक गर्मी लगना, एंग्जाइटी, जेनिटो-यूरिनरी समस्याओं और यूरिनरी ट्रैक्ट में संक्रमण जैसी समस्याएं आती हैं.

कुल मिलाकर इस उम्र में जिंदगी में समानांतर बदलावों जैसे सेवानिवृत्ति, कम पारिवारिक जिम्मेदारियां और घर से दूर जाते बच्चों के कारण एंग्जाइटी बढ़ जाती है. इससे एंग्जाइटी और बढ़ जाती है, जिससे नींद में समस्या होती है.

इसके साथ ही, यहां तक कि महिला की बॉडी क्लॉक की भी भूमिका होती है. प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में छपे एक अध्ययन के अनुसार, महिलाएं पुरुषों की तुलना में देर से अपनी नींद शुरू करती हैं (यह बताता है कि उनका शरीर कैसे सेट किया जाता है), और यह अंतर बताता है कि उन्हें लेटते ही सो जाने में मुश्किल क्यों होती है. यह भी पाया गया है कि सुबह के शुरुआती घंटों में महिलाओं के शरीर में नींद का आंतरिक सिस्टम पुरुषों की तरह मजबूत नहीं होता, जिस कारण उनकी नींद जल्दी खुल सकती है.

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मेंटल हेल्थ और नींद की गड़बड़ी

महिलाओं में डिप्रेशन होने की आशंका लगभग दोगुनी होती है.
(फोटो: iStock)

कई अध्ययनों में ये देखा गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन और एंग्जाइटी अधिक पाई जाती है. असल में, महिलाओं को डिप्रेशन होने की आशंका लगभग दोगुनी है.

इस तरह की बीमारियां अनिद्रा से करीब से जुड़ी हैं, जो महिलाओं और पुरुषों के बीच नींद की समस्याओं के अंतर को उजागर करता है. इससे भी बड़ी बात ये है इन नींद की परेशानियां के कारण मेंटर हेल्थ की समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं.

फिट ने इन जटिल कड़ियों को बेहतर ढंग से समझने के लिए जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की कंसल्टेंट मनोवैज्ञानिक रितिका अग्रवाल मेहता से बात की. वह कहती हैं, “आमतौर पर महिलाओं को डिप्रेशन और एंग्जाइटी का ज्यादा खतरा होता है.”

मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर नींद में बढ़ोतरी या कमी करते हैं. दूसरी तरफ, नींद की कमी मनोवैज्ञानिक बीमारियों को पैदा कर सकती है. असल में कोई भी पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि पहले क्या आता है. अनिद्रा की बीमारी, भले ही इनका पता डाइग्नोसिस के बाद चले, निश्चित रूप से समस्या को और अधिक बदतर बना सकती है.
रितिका अग्रवाल मेहता

वह बताती हैं कि काम और परिवार के अतिरिक्त दबाव के चलते, महिला के बूढ़े होने के साथ जोखिम बढ़ जाता है. महिलाओं की आदत दूसरों को अपने से पहले रखना है; उन्हें अपने से बड़े व्यक्ति और छोटे व्यक्ति की देखभाल करनी होती है. पारिवारिक और अभिभावक की जिम्मेदारियों के बंटवारे में अंतर और जेंडर की भूमिकाएं महिलाओं पर ‘दोहरा बोझ’ डालती हैं. वे देर तक काम करती हैं, जल्दी उठती हैं और अपनी पेशेवर व निजी भूमिकाओं में संतुलन बिठाती हैं. यह सब बहुत बोझिल हो सकता है (और होता भी है), जिससे महिलाएं तनाव, एंग्जाइटी और अनिद्रा की समस्या का शिकार हो सकती हैं.

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महिलाएं किस तरह थोड़ी नींद ले सकती हैं?

नींद की समस्या के कारण की पहचान करें और फिर इसका इलाज करें.
(फोटो: iStock)

ट्रीटमेंट का कोई भी तरीका जीवनशैली में कुछ बदलावों के साथ शुरू होता है. सोने से पहले एक्सरसाइज करना, रिलैक्स करना, गैजेट्स से परहेज करना, ध्यान लगाना और अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करने से लोगों को चैन से सोने में मदद मिल सकती है. लेकिन अगर समस्या बहुत गंभीर है, तो जीवनशैली में बदलाव के साथ मेडिकल ट्रीटमेंट भी कराना पड़ सकता है: इनमें शामिल हो सकती हैं- काउंसिलिंग, दवाएं और प्रोसीजर जैसे कि हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT).

एंटी-डिप्रेसेंट जैसी दवाएं मददगार हो सकती हैं, लेकिन ये कभी भी पहला उपाय नहीं हैं. इन्हें लंबे समय तक चलाया नहीं जा सकता है. इसके लिए एक आदर्श प्रक्रिया कॉग्नीटिव बिहेवियर थेरेपी, बिहेवियर थेरेपी (या दोनों का संयोजन), या शायद नींद के अध्ययन के जरिये समस्या के कारण की पहचान की जा सकती है. आपको ये जानना होगा कि यह मानसिक दशा या शारीरिक दशा से कितना प्रभावित है.
रितिका अग्रवाल मेहता

अटकलबाजी से निजात पाएं, एक कारण को निश्चित करें और फिर इसका इलाज करें. अगर कारण स्त्रीरोग संबंधी है, तो एक विशेषज्ञ को रेफर किया जा सकता है और बीमारी दोबारा उभरने से बचने के लिए नियमित जांच की जरूरत है.

जब समस्या की वजह हार्मोनल असंतुलन हो, तो क्या HRT एक व्यावहारिक विकल्प हो सकता है?

डॉ. नूपुर गुप्ता कहती हैं, “अगर जीवनशैली में बदलाव और गैर-हार्मोनल विकल्प काम नहीं करते हैं, तो हम अंतिम उपाय के रूप में अल्पकालिक हार्मोनल ट्रीटमेंट दे सकते हैं. यह इस आधार पर कस्टमाइज किया जाता है कि वास्तव में किसे इसकी जरूरत है और फिर उसी के अनुसार लागू किया जाता है.”

(महिलाओं के स्वास्थ्य को लंबे समय से नजरअंदाज किया जाता रहा है. इस ओर गंभीरता और शोध की कमी भी रही है. इस मुद्दे पर FIT की ओर से 'Her Health' कैंपेन की शुरुआत की जा रही है. क्या आपके पास भी कुछ बताने के लिए है? हमें FIT@thequint.com पर लिख भेजिए.)

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