ADVERTISEMENTREMOVE AD

COVID-19 मरीज के शवों से फैलता है संक्रमण? AIIMS भोपाल की स्टडी

Published
Fit Hindi
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

एम्स, भोपाल के मेडिकल एक्सपर्ट्स की एक टीम द्वारा किए गए एक हालिया रिसर्च में ये जानने की कोशिश की गई कि क्या COVID -19 से मरने वाले मरीज मौत के बाद भी संक्रामक रहते हैं. नतीजे अगले हफ्ते आने की उम्मीद है.

“हमने मृत COVID-19 मरीजों की ऑटोप्सी से स्टडी करने का साहसिक कदम उठाया है. COVID-19 मरीजों को सही से न दफनाने और अंतिम संस्कार न होने को लेकर कई रिपोर्ट्स आईं. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स-भोपाल के डायरेक्टर प्रोफेसर सरमन सिंह ने कहा, पूरी दुनिया COVID-19 को लेकर भ्रमित हो गई है और यहां तक कि COVID-19 मरीजों के परिजन भी उनके शरीर से दूर भाग रहे हैं.”

ADVERTISEMENTREMOVE AD

डॉ. सिंह ने गुरुवार, 24 सितंबर को फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, "फेसबुक पर मैंने एम्स-भोपाल में पैथोलॉजी और फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स को COVID-19 मरीजों के शरीर के स्टडी करने के लिए चैलेंज किया है ताकि पता चल सके कि घातक संक्रमण वास्तव में शवों से फैलता है या नहीं."

प्रोफेसर सिंह ने कहा कि स्टडी के शुरुआती निष्कर्षों में शरीर की सतह पर वायरस के होने या फैलाव के संकेत नहीं है, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुरूप है.

“हिस्टोपैथोलॉजी और अन्य विश्लेषण के प्राथमिक निष्कर्ष बताते हैं कि वायरस की सबसे बुरी मार वैस्कुलर सिस्टम पर पड़ती है. इसके परिणामस्वरूप खून की नलियों में जमावट और रिसाव होता है, जिसके परिणामस्वरूप थ्रोम्बोसिस होता है, जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है. ये भी देखा गया है कि कुछ मरीजों को जो पहले COVID-19 का इलाज कराकर ठीक हो चुके थे, बाद में थ्रोम्बोसिस की वजह से उनकी मौत हो गई. ”
डॉ. सरमन सिंह, डायरेक्टर, एम्स-भोपाल

अभी तक शवों से स्वस्थ लोगों में संक्रमण फैलने का कोई सबूत नहीं है. ऐसी परिस्थितियां देखी गई, जहां COVID-19 मरीजों के अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि ये मृत व्यक्ति से फैला हो.

“एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट के तौर पर, तार्किक रूप से मुझे विश्वास नहीं है कि COVID-19 संक्रमण एक मृत शरीर से फैल सकता है. लेकिन फिर भी, मुझे लगा कि सच्चाई का पता लगाने और उसे सत्यापित करने के लिए एक डिटेल्ड स्टडी की जरूरत है. ”
डॉ. सरमन सिंह, डायरेक्टर, एम्स भोपाल
0

एक मृत शरीर के मांस और खून पर बैक्टीरिया ग्रो कर सकता है और फैल सकता है, जबकि वायरस के शरीर के अंदर गुणा करने की संभावना नहीं है क्योंकि मौत के बाद सेल डिवीजन की प्रक्रिया रुक जाती है.

माइक्रोबायोलॉजिस्ट, फोरेंसिक मेडिसिन एक्सपर्ट्स और पैथोलॉजिस्ट की एक टीम ने हाइपोथीसीस टेस्ट और ऑटोप्सी के लिए रिसर्च डिजाइन किया है.

“अब तक 15 शवों की ऑटोप्सी मौत के 6 से 12 घंटे के बीच की गई है. इस स्टडी में, हम शरीर के उन अंगों/हिस्सों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं जिनमें मरीज के मरने के बाद भी घातक वायरस मौजूद है."

रिसर्च हरेक मरीज के वायरल लोड की जांच करेगा. अगर मरीज की मृत्यु हो जाती है तब भी जांच होगी. फिर दोनों डेटा की तुलना की जाएगी.

“हम हिस्टोपैथोलॉजिकल रूप से ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि COVID-19 वायरस शरीर के अलग-अलग अंगों और भागों को कैसे प्रभावित करता है, जिसमें फेफड़े, लीवर, अग्न्याशय, हार्ट, इंटेस्टाइन और ब्रेन शामिल हैं. डॉ. सिंह ने कहा कि भारत में मृत COVID-19 मरीजों पर इस तरह की पहली स्टडी है जिसके परिणाम अगले हफ्ते तक मिलने की उम्मीद है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×