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कोरोना: जब नहीं नजर आते संक्रमण के लक्षण, जानिए 5 सवालों के जवाब

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वायरस से संक्रमित होने के बावजूद पता न चलना और शरीर का उससे लड़ना कितना आम है?

संक्रमण के बावजूद लक्षण का नहीं दिखना आम है. इसका उदाहरण टाइफाइड मैरी थी. 1900 के दशक की शुरुआत में लक्षण न होने के चलते और जानकारी न होने की वजह से उनसे अन्य लोगों में टाइफाइड बुखार फैल गया था.

मेरे सहकर्मियों और मैंने पाया है कि किसी शख्स को जानकारी भी नहीं होती और शरीर कई संक्रमणों से लड़ता रहता है. उदाहरण के लिए, हमने बच्चों में इंफेक्शन फैलाने वाले पैरासाइट क्रिप्टोस्पोरिडिया के बारे में पड़ताल की. ये दस्त के प्रमुख कारणों में से एक है, हमें संक्रमण वाले करीब आधे लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखा.

फ्लू के मामले में, अनुमान है कि करीब 5% से 25% संक्रमण बिना किसी लक्षण के होते हैं.

लक्षण दरअसल किसी संक्रमण से लड़ने का एक साइड इफेक्ट है. इम्युन सिस्टम को शरीर का बचाव करने के लिए थोड़े समय की जरूरत होती है, इसलिए कुछ मामले एसिम्प्टोमेटिक की बजाय प्रीसिम्प्टोमेटिक होते हैं.

एसिम्प्टोमेटिक यानी जिनमें वायरस से संक्रमित होने के बाद भी बीमारी के कोई लक्षण नजर नहीं आते. प्रीसिम्प्टोमेटिक यानी बीमारी के लक्षण आने से पहले संक्रमण की पुष्टि हो जाना.

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अगर किसी को खांसी और छींक न आए, तो भी कोई कोरोना वायरस कैसे फैला सकता है?

कोरोना वायरस मरीजों की खांसी या छींक से बाहर आने वाले ड्रॉपलेट्स से सभी बचाव करते हैं. सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि सभी को मास्क पहनना चाहिए.

लेकिन वायरस सामान्य सांस के जरिये भी फैलता है जो वायरस से युक्त छोटे ड्रॉप्लेट्स को कैरी कर सकता है. एक सामान्य सांस वायरस को कई फीट या उससे ज्यादा फैला सकता है.

ये सतहों से भी फैल सकता है. संक्रमित शख्स जिन चीजों को छू रहा है या जिन जगहों पर खांस या छींक रहा है, अगर उन चीजों या सरफेस पर कोरोना वायरस मौजूद रहे, तो उन चीजों को छूकर दूसरा इंसान भी संक्रमित हो सकता है, अगर वो हैंड हाइजीन का ख्याल नहीं रखता है. जैसे कि एक दरवाजे का नॉब या ग्रॉसरी कार्ट का हैंडल, जो एक कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के छूने से उसपर आ जाता है.

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बिना लक्षण के संक्रमित शख्स कितना संक्रामक हो सकता है?

अगर आप COVID-19 मरीज के साथ किसी तरह से संपर्क में आए हों, तो आपको पूरे 14-दिन क्वॉरंटीन होना चाहिए. यहां तक कि अगर आप ठीक महसूस कर रहे हों तब भी, क्योंकि आपसे दूसरों को कोरोना वायरस फैलने का जोखिम है.

हाल ही में ये देखा गया है कि हाई लेवल वायरस 'प्रिसिम्पोमेटिक' अवधि के दौरान रेस्पिरेटरी सेक्रेशन में मौजूद होते हैं जो COVID-19 की वजह से बुखार और खांसी होने से एक सप्ताह पहले तक रह सकता है. लक्षणों के बिना लोगों द्वारा फैलाए गए वायरस की ये क्षमता महामारी का एक प्रमुख कारण है.

कितने प्रतिशत लोगों के खून में एंटी-कोरोना वायरस एंटीबॉडीज हैं, ये जानकारी जुटाने के लिए न्यूयॉर्क में स्वास्थ्य विभाग जनता का सैंपल लेने लगे हैं. इस किराने की दुकान पर भी सैंपल लिया जा रहा है.
(फोटो: सिन्हुआ न्यूज एजेंसी गेटी इमेज के जरिए)

एसिम्प्टोमेटिक संक्रमण के बाद भी, क्या किसी के खून में SARS-CoV-2 के खिलाफ एंटीबॉडीज मिलेंगी?

ज्यादातर लोगों के शरीर में COVID-19 से ठीक होने के बाद एंटीबॉडी विकसित हो रहे हैं, जो लक्षणों के बिना है उनमें भी ये देखा जा रहा है. वैज्ञानिकों द्वारा अन्य कोरोना वायरस के बारे में जुटाई गई जानकारी के आधार पर ये कुछ हद तक सही धारणा है कि ये एंटीबॉडीज दोबारा संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं. लेकिन अभी तक कुछ भी पुष्ट जानकारी नहीं है.

न्यूयॉर्क शहर में SARS-CoV-2 के खिलाफ एंटीबॉडी चेक करने के लिए लोगों के खून की जांच हो रही है. इससे इस बात के संकेत मिले हैं कि 5 में से एक शख्स पहले से ही COVID-19 से संक्रमित हो सकता है. उनका इम्युन सिस्टम कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ चुका होता है, भले ही उनको ये जानकारी नहीं हो कि वे संक्रमित थे या नहीं. कई को इसके बारे में नहीं पता था.

एसिम्प्टोमेटिक संक्रमण कितना फैल सकता है?

कोई भी निश्चित रूप से नहीं जानता है, और फिलहाल बहुत सारे सबूत सुनी-सुनाई बातों पर आधारित हैं.

एक छोटे से उदाहरण के लिए, वाशिंगटन में एक नर्सिंग होम का केस जहां कई निवासी संक्रमित हो गए. 23 लोगों की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आया. उनमें से 10 पहले से ही बीमार थे.10 में काफी बाद में लक्षण नजर आए. लेकिन 3 लोग जो पॉजिटिव आए वो कभी बीमार नहीं पड़े.

जब डॉक्टरों ने बोस्टन में बेघरों के एक शेल्टर होम में रहने वाले 397 लोगों का टेस्ट किया, 36% लोग COVID-19 पॉजिटिव आए- और उनमें से किसी ने भी किसी भी लक्षण की शिकायत नहीं की थी.

चीन के वुहान से निकाले गए जापानी नागरिकों के COVID-19 टेस्ट में 30% ऐसे लोग थे जो एसिमप्टोमेटिक थे.

एक इटैलियन स्टडी अभी छपी नहीं है, उसकी समीक्षा नहीं हुई है. उस स्टडी में पाया गया कि COVID-19 के पॉजिटिव केस में 43% लोगों में इसके लक्षण नहीं दिखाई दिए. चिंता का विषय-शोधकर्ताओं ने पाया कि लोगों के सैंपल में कितना वायरस है, इस आधार पर लक्षणों के साथ और बिना लक्षणों के लोग कितने संक्रामक हो सकते हैं, इसे लेकर कोई अंतर नहीं पाया गया. देश के अलग-अलग हिस्सों में होने वाले एंटीबॉडी सीरोसर्वे बताते हैं कि करीब 10% से 40% तक - संक्रमित लोगों में लक्षण नहीं दिख सकते हैं.

एसिम्प्टोमेटिक SARS-CoV-2 संक्रमण सामान्य नजर आ रहा है और इससे महामारी को काबू करने के प्रयासों में दिक्कतें आएंगी.

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