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इंदौर में है कोरोना का सबसे घातक स्ट्रेन, डॉक्टरों ने जताई आशंका

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कोविड-19 महामारी को लेकर नई चिंता सामने आई है. देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में कोविड-19 बीमारी करने वाले SARS-CoV-2 के ज्यादा घातक स्ट्रेन होने की आशंका जताई गई है.

मध्य प्रदेश के इंदौर में मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि इंदौर के कोविड-19 के मरीजों के सैंपल को जांच के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) पुणे भेजा जाएगा, ताकि इसका पता लगाया जा सके कि क्या इंदौर में नोवल कोरोनावायरस का स्ट्रेन देश के बाकी हिस्सों में फैले वायरस के स्ट्रेन से ज्यादा घातक है.

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इंदौर जिले में अब तक कोविड-19 से संक्रमित 57 लोगों की मौत हुई है. NIV भारत का एक टॉप रिसर्च इंस्टिट्यूट है. महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज इंदौर की डीन ज्योति बिंदल ने कहा,

हमने महसूस किया है कि इंदौर बेल्ट में वायरस का जो स्ट्रेन है, वो ज्यादा घातक है. इसके बारे में हमने NIV के साथ चर्चा की है और उन्हें इंदौर के कोविड-19 के मरीजों के नमूने भेजने जा रहे हैं, ताकि वायरस की तुलना देश के बाकी कोरोना वायरस के मरीजों के नमूनों के साथ की जा सके.

उन्होंने कहा, ‘’उच्च मृत्यु दर के लिए अन्य कारक जैसे मरीजों का देरी से अस्पतालों में आना भी शामिल है.’’ वहीं, एक और डॉक्टर ने कहा, ‘’इंदौर बेल्ट में मरीजों के जो नमूने लिए जा रहे हैं, उनमें सिर्फ ये पता लगाया जा रहा है कि वो मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं. इसमें ये पता नहीं लगाया जा रहा है कि वायरस का स्ट्रेन कौन सा है.’’

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मध्य प्रदेश सरकार की स्कूल ऑफ एक्सिलेन्स इन पल्मोनरी मेडिसिन के डायरेक्टर जितेन्द्र भार्गव ने भी डीन ज्योति बिंदल के विचारों से सहमति जताई और कहा कि इंदौर में कोविड-19 से हो रही उच्च मृत्यु दर का क्या कारण है, इसके लिए इस वायरस की आनुवांशिक जानकारियों का पता लगाने के साथ-साथ आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) निकालकर जांच की जाए.

उन्होंने कहा कि ये सही है कि उन मरीजों में मृत्यु दर ज्यादा है, जो मुधमेह, हृदय रोग, किडनी की और हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों से पहले से ही पीड़ित हैं. इसके अलावा, जान गंवाने में कमजोर इम्युनिटी भी बड़ा कारण है.

भार्गव ने बताया, ''नोवल कोरोना वायरस की कई स्ट्रेन हैं, जो इस महामारी से निपटने में बड़ी चुनौती पैदा कर रहे हैं. इस वजह से इसके लिए वैक्सीन बनाने में और ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ेगा.”

(-इनपुट भाषा से)

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