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क्या किसी शख्स के मैराथन जीतने में जीन की कोई भूमिका होती है?

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रनर ब्रिजिड कोसगेई ने शिकागो मैराथन में महिलाओं का विश्व रिकॉर्ड तोड़ा.

एलियुड किपचोगे दो घंटे से कम समय में एक मैराथन खत्म करने वाले पहले शख्स बन गए.

डेनियल किनयुवा वांजिरू ने एम्स्टर्डम मैराथन 2016 और लंदन मैराथन 2017 दोनों में जीत हासिल की.

सभी प्रदर्शन शानदार थे.

लेकिन कोसगेई, किपचोगे और वांजिरू के बीच सबसे जबरदस्त (या सबसे चर्चित) समानता क्या है? वे सभी केन्या से हैं.

इसीलिए बहुत अचंभे की बात नहीं कि शोधकर्ताओं ने इस ‘रुझान’ को समझने में वर्षों खर्च कर दिए हैं. क्यों केन्याई या अफ्रीकी एथलीट ही आमतौर पर मैराथन जीतते हैं? क्या यह सच में सिर्फ एक संयोग है? या इसकी वजह उनके ‘श्रेष्ठ’ एथलेटिक जींस हैं?

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आनुवांशिक बढ़त- क्या सच में ऐसा होता है?

जातीय गुण, पर्यावरण, आवास और विकास के कई साल- दुनिया भर में लोगों की विशिष्ट आनुवांशिक बनावट को तैयार करने में ये सभी खास भूमिका निभाते हैं. नतीजतन, कुछ में दूसरों की तुलना में अधिक मददगार जींस होते हैं. इस तथ्य के सबूत भी हैं.

केन्याई चैंपियंस में लगभग तीन-चौथाई एक जातीय अल्पसंख्यक समुदाय कैलेनजिन से आते हैं, जो दुनिया की आबादी का 1 प्रतिशत से भी कम हैं.

इस पैटर्न को समझने के लिए शुरुआती अध्ययनों में से एक कोपेनहेगन मसल रिसर्च सेंटर द्वारा किया गया था, जिसमें किशोर केन्याई स्कूली बच्चों की उनके काकेशियान समकक्षों से तुलना की गई थी. मुकाबले में युवा केन्याइयों ने स्वीडिश धावकों को पछाड़ दिया. ये नतीजे इसलिए भी अचंभित करने वाले थे क्योंकि तब तक अफ्रीकी देशों ने टूर्नामेंट्स में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं किया था. इसके लिए कई संभावित कारणों का हवाला दिया गया:

  • अपने समकक्ष प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में केन्याई श्रेष्ठ और अप्रशिक्षित केन्याई धावक लड़कों में कम ऊर्जा की खपत.
  • इसका संबंध मसल फाइबर (मांशपेशियों) से नहीं जोड़ा जा सकता है, क्योंकि यह सभी समूहों में एक समान था.
  • केन्याइयों में बीएमआई, शरीर का आकार और लंबे व पतले पैरों का अंतर था, जो दौड़ने में मददगार हो सकता था.

वर्ष 2000 में डेनिश स्पोर्ट्स साइंस इंस्टीट्यूट के एक अन्य शोध ने पहले किए गए अध्ययन के तरीके में थोड़ा बदलाव किया और तीन महीनों के लिए कुछ कालेंजिन लड़कों को प्रशिक्षित किया. इसके बाद एक प्रसिद्ध डेनिश धावक थॉमस नोलन के साथ उनका मुकाबला कराया.

नोलन हार गए.

यहां शोधकर्ताओं ने पाया कि इन लड़कों में रेड ब्लड सेल की संख्या ज्यादा थी, शायद उनके ऊंचे स्थान पर निवास के कारण. उनके ‘परिंदों जैसे पांव’ के साथ-साथ यह बात उनकी आनुवांशिक बढ़त का कारण हो सकती है.

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तो क्या यह सब जींस के कारण है?

“आनुवांशिकी काफी नहीं है.” 
(फोटो: iStockphoto)

यह इतना आसान नहीं है.

कम से कम इतना तो कहा ही जा सकता है कि एथलेटिक उपलब्धि के लिए किसी इकलौते कारक को श्रेय देना, वह भी जन्मजात कारक को ना कि हासिल किए कारक को, अनुचित और अतार्किक होगा. हालांकि खेल और दौड़ के लिए कुछ जींस के मददगार होने के वैज्ञानिक प्रमाण हैं, लेकिन सिर्फ यही सब कुछ नहीं है.

डॉ रजत चौहान स्पोर्ट्स-एक्सरसाइज मेडिसिन और ऑस्टियोपैथी/मस्कुलो-स्केलेटल मेडिसिन के विशेषज्ञ हैं. एडिडास के पूर्व रनिंग एडवाइजर होने के साथ-साथ भारत का पहला रनिंग फेस्टिवल iRun Fest भी उन्हीं की देन था.

डॉ चौहान 35 वर्षों से दौड़ रहे हैं.

फिट के साथ बातचीत में वह आनुवांशिकी (जेनेटिक्स) द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका को स्वीकार करते हैं, लेकिन एक खिलाड़ी की सफलता को तय करने के लिए एक साथ मिलकर काम करने वाले कई कारकों में से इसे सिर्फ एक मानने पर जोर देते हैं.

जींस पर बहुत ज्यादा जोर दिया जाता है. अकेले जेनेटिक्स काफी नहीं है. कोई व्यक्ति जबरदस्त हो सकता है, लेकिन अगर उसे मांजा और प्रशिक्षित नहीं जाता है, तो जीतना मुश्किल होगा. अंत में, यही मायने रखता है. यहां तक कि ताजी हवा और ताजे पानी की भी भूमिका होती है.
डॉ रजत चौहान
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वह कहते हैं कि असल में जींस का कोई वर्ग नहीं बनाया जा सकता है. इसमें कई तरह की विसंगतियां हो सकती हैं. उदाहरण के लिए, जुड़वा बच्चों के बीच अंतर हो सकता है. या एक ही गांव के दो लोग अलग-अलग सफलता दर वाले हो सकते हैं.

लेकिन श्रेष्ठ वर्ग के उन एथलीटों के बारे में क्या कहेंगे जो सभी समान रूप से प्रशिक्षित हैं? वे बताते हैं कि यहां भी जींस के साथ पर्यावरण, न्यूट्रिशन और मानसिक शक्ति जैसे दूसरे कारक बहुत मायने रखते हैं.

सभी चीजें समान हों तो जींस मायने रखता है. लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि उन जींस को कैसे इस्तेमाल किया जाता है. यह कई दूसरे कारकों पर निर्भर है. प्रशिक्षण, न्यूट्रिशन, रिकवरी और मनोविज्ञान इसमें प्रमुख भूमिका निभाते हैं.
डॉ रजत चौहान

यह मानना बहुत सरलीकरण करना है कि एक कारक किसी खिलाड़ी की जीत सुनिश्चित कर सकता है. ऐसा करना उससे उसकी कड़ी मेहनत से हासिल उपलब्धियों का श्रेय छीन लेना है. आनुवांशिक बढ़त के साक्ष्य हैं, लेकिन ये कभी अकेले पर्याप्त नहीं होंगे.

इसलिए अगर आप मैराथन जैसी किसी रेस में दौड़ना चाहते हैं, तो किसी चीज को रुकावट न बनने दें!

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