सर्दियों का मौसम...जब हम थोड़ा लो, उदास और मूडी सा महसूस करते हैं. कभी सोचा है, सर्दियों में ऐसा क्यों फील होता है? हमारा एनर्जी लेवल कम क्यों हो जाता है?
असल में इसके पीछे भी साइंस है. जी हां, सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर, जिसे SAD भी कहते हैं, ये सर्दियों में काफी देखने को मिलता है.
ठंड के छोटे दिनों में मूडी होने के साथ ही SAD लोगों में जरूरत से ज्यादा खाने की भी वजह बन सकता है. इसलिए सर्दियों के मौसम में अगर आपको अच्छा न लग रहा हो, तो कुछ भी करें, लेकिन जंक फूड की ओर रुख न करें.
अपनी पसंद की चीजें खाएं, लेकिन कितना खा रहे हैं, उस पर ध्यान दें. अगर वाकई में इससे निपटना चाहते हैं, तो खाने की उन चीजों पर फोकस करें, जिससे हैप्पिनेस हार्मोन्स बूस्ट हो सकें.
इसलिए स्वाभाविक तौर पर खुश रहने के लिए इन दो हार्मोन्स को बढ़ाने की सोचें- सेरोटोनिन और एंडोर्फिन.
सेरोटोनिन
सेरोटोनिन शरीर में न्यूरोट्रांसमीटर और हार्मोन, दोनों तरह से काम करता है. इसके स्तर में कमी मूड डिसऑर्डर (मनोदशा संबंधी विकार), पेट और सेहत की दूसरी समस्याओं के साथ जुड़ी हुई है. सेरोटोनिन के स्तर में वृद्धि हमें खुश रखने के साथ ही पेट और भूख से जुड़ी समस्याओं से भी निजात दिलाती है.
- प्रोबायोटिक फूड पेट के अंदर माइक्रोबायोम के सुधार में मदद करते हैं, जो सेरोटोनिन निर्माण में मददगार होता है.
- ऐसी चीजें जिसमें ट्रिप्टोफैन (एक तरह का अमीनो एसिड) प्रचुर मात्रा में हो, खाना फायदेमंद हो सकता है. एल-ट्रिप्टोफैन 5-एचटीपी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे सेरोटोनिन बनता है. दूध में मौजूद प्रोटीन alpha-Lactalbumin में किसी अन्य प्रोटीन की तुलना में ट्रिप्टोफैन अधिक होता है.
- प्रोबायोटिक फूड से गट माइक्रोबायोम बनते हैं, जिससे ट्रिप्टोफैन उत्पन्न होता है. इससे सेरोटोनिन बनता है.
- विटामिन डी शरीर को सेरोटोनिन बनाने, स्रावित करने और मस्तिष्क में इसके प्रयोग करने में मदद करता है. इस बात का ध्यान रखें कि आपके शरीर में विटामिन डी की कमी न रहे.
- ओमेगा 3 फैटी एसिड न्यूरॉन से सेरोटोनिन के रिलीज होने और इनकी गतिविधियों को बेहतर करने में मदद करते हैं. इसलिए हर हफ्ते सैलमन और मैकेरल जैसी वसा युक्त मछलियां खाना शुरू कर दें. अपने नियमित आहार में अखरोट और अलसी के बीज को शामिल करें.
- विटामिन B (खासकर B9 और B6), विटामिन C और विटामिन E भी सेरोटोनिन के बनने में भूमिका अदा करते हैं.
- अधिकतर चाय की पत्तियों में मिलने वाला अमिनो एसिड L-theanine भी सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाने में मददगार होता है.
- केसर का सक्रिय तत्व सफ्रानल भी मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है. इसलिए केसर वाला एक गिलास गर्म दूध अच्छा विकल्प हो सकता है.
- कावा (एक प्रकार का पेय पदार्थ) में सेरोटोनिन के समान ही तत्व होते हैं और ये सेरोटोनिन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं.
- तुलसी का पत्ता भी सेरोटोनिन के स्तर में वृद्धि में मदद करता है. इसलिए हर सुबह तुलसी की कुछ पत्तियां लें.
एंडोर्फिन
एक्सरसाइज, स्वादिष्ट भोजन खाने, हंसने या सेक्स के दौरान एंडोर्फिन हमारे मस्तिष्क में रिलीज होते हैं. ये वो रसायन हैं, जो हमें स्वाभाविक और उत्साहजनक रूप से खुश रखते हैं. इसको बढ़ाने का सबसे आसान तरीका है कि बाहर निकल कर हम सूरज की रोशनी में बैठें. इससे खून में एंडोर्फिंस बढ़ेगा, जो हमारी त्वचा के जरिये तैयार होता है (आधा घंटा धूप सेंकना आपको लगातार खुश रहने में मदद करेगा).
- कोको एंडोर्फिंस रिलीज के साथ ही खुशी के कैमिकल सेरोटोनिन को भी बढ़ाता है. इसलिए चॉकलेट और कोको (डार्क ज्यादा बेहतर) पाउडर कारगर हो सकते हैं.
- मिर्च और मसालेदार भोजन में कैपसैसिन (capsaicin) होता है, जो दिमाग को यह बताता है कि वह परेशानी या तकलीफ में है. प्रतिक्रिया स्वरूप आपका मस्तिष्क एंडोर्फिंस और डोपामाइन रिलीज करता है.
- जिनसेंग टी एक अच्छा विकल्प हो सकता है. यह साबित हो चुका है कि यह तनाव घटाने और दिमाग को शांत रखता है. यह एंडोर्फिस के निर्माण से ऐसा कर पाता है.
- विटामिन सी मस्तिष्क में एंडोर्फिंस के स्रावित होने को तेज कर सकता है. इसलिए संतरा, आंवला और अमरूद को खाने के लिए आपको एक और वजह मिल गई है.
- अंडे में अमीनो एसिड होता है, जो एंडोर्फिस के बनने से संबद्ध है.
- नट्स, एवोकैडो (नाशपाती की तरह का फल), तैलीय मछली और सीड्स आइकोसनॉयड्स के बनने में मददगार होते हैं. ये एंडोर्फिंस के निर्माण में मदद करता है.
(कविता देवगन एक न्यूट्रिशनिस्ट, वजन प्रबंधन सलाहकार और हेल्थ राइटर हैं. इन्होंने Don't Diet! 50 Habits of Thin People (Jaico) और Ultimate Grandmother Hacks: 50 Kickass Traditional Habits for a Fitter You (Rupa) किताब लिखी है.)
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