भारत में आंख फड़कना जिसे अंग्रेजी में आईलिड ट्विचिंग (Eyelid Twitching) कहते हैं, उसे लेकर एक आम धारणा है- इसे ‘शगुन-अपशगुन’ से जोड़ना. खैर, ये धारणा ही है, सच्चाई नहीं!
ट्विचिंग सिर्फ आंखों में ही नहीं, शरीर के किसी भी हिस्से, मांसपेशियों में हो सकती है.
यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के इंफॉर्मेशन पोर्टल मेडिलाइन प्लस के मुताबिक कई बार तो हमें ट्विचिंग के बारे में पता भी नहीं चल पाता और ये चिंता की बात नहीं है. लेकिन कुछ मामलों में, ये नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर को लेकर संकेत देते हैं जिससे डॉक्टरी सलाह की जरूरत पड़ सकती है.
क्यों होती है ट्विचिंग?
ट्विचिंग दरअसल, छोटे मांसपेशियों में होने वाला संकुचन होता है. आपकी मांसपेशियां उन फाइबर्स से बनी होती हैं जिन्हें आपकी नसें कंट्रोल करती हैं. किसी नस में स्टिमुलेशन या डैमेज ट्विचिंग का मूल कारण होता है.
आंखों का फड़कना सामान्य?
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नॉलजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक आईलिड ट्विचिंग तनाव, एंग्जाइटी या फिर थकावट की वजह से होने वाली परेशानी है.
लेकिन अगर ये लक्षण दिखें तो डॉक्टर से संपर्क करें.
- एक हफ्ते से ज्यादा आईलिड ट्विचिंग होना
- आईलिड के मसल्स का लटकना
- आंखे लाल होना या सूजन
- आंख खोलने में परेशानी
- आंख के अलावा चेहरे के अन्य हिस्सों का फड़कना
ट्विचिंग के कारणों में शामिल हो सकते हैं-
- ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, जैसे कि आइजैक सिंड्रोम(Isaac’s syndrome).
- ड्रग ओवरडोज (कैफीन, एम्फैटेमिन या अन्य स्टिमुलेंट्स). निकोटीन की वजह से पैरों में ट्विचिंग.
- नींद की कमी.
- ड्रग साइड इफेक्ट (जैसे कि डाइयूरेटिक्स, कॉर्टिकोस्टेरॉइड या एस्ट्रोजेन से).
- व्यायाम (व्यायाम के बाद ट्विचिंग देखा जाता है).
- डाइट में पोषक तत्वों की कमी.
- तनाव.
- डिहाइड्रेशन की वजह से पैर, बांह और टॉर्सो(Torso) में ट्विचिंग.
- मेडिकल कंडिशन जैसे मेटाबोलिक डिसऑर्डर, किडनी की बीमारी, शरीर में पोटैशियम का कम हो जाना और यूरेमिया.
अगर आंख, पैर के पिछले हिस्से या अंगूठे में ट्विचिंग किसी बीमारी या डिसऑर्डर की वजह से नहीं हो रही हो तो ये सामान्य माना जाता है. ये अक्सर स्ट्रेस या एंग्जायटी की वजह से होता है. ये ज्यादा समय तक के लिए नहीं होता.
गंभीर कारणों से भी होती है ट्विचिंग
ट्विचिंग गंभीर कारणों से भी ट्रिगर होती है. ये गंभीर कारण अक्सर नर्वस सिस्टम की समस्याओं से संबंधित होते हैं, जिसका जुड़ाव मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से भी होता है.
ट्विचिंग की कुछ दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थितियां हैं:
- मस्कुलर डिस्ट्रॉफी(Muscular dystrophies) वंशानुगत बीमारियों का एक समूह जो समय के साथ मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाता है और कमजोर करता है. चेहरे, गर्दन, कूल्हों और कंधों की मांसपेशियों में ट्विचिंग पैदा कर सकता है.
- लू गेह्रिग बीमारी(Lou Gehrig’s disease) को एम्योट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस के नाम से भी जाना जाता है. ये एक ऐसी स्थिति है जिससे नर्व सेल्स मर जाती हैं. इससे ट्विचिंग शरीर के किसी भी हिस्से की मांसपेशियों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन ये आमतौर पर पहले हाथ और पैर में होती है.
- स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी रीढ़ की हड्डियों में मोटर नर्व सेल्स को नुकसान पहुंचाता है, जिससे मांसपेशियों का मूवमेंट कंट्रोल प्रभावित होता है. इससे जीभ में ट्विचिंग होती है.
- आइजैक सिंड्रोम उन नर्व को प्रभावित करता है जो मसल फाइबर को स्टिमुलेट करता है, जिसके परिणामस्वरूप हाथ और पैर की मांसपेशियों में ट्विचिंग होती है.
ट्विचिंग खत्म करने के लिए दवाएं लेनी चाहिए?
ट्विचिंग के लिए दवाएं जरूरी नहीं है. ये कुछ दिनों के भीतर इलाज के बिना कम हो जाते हैं. हालांकि, आपको इलाज की जरूरत हो सकती है अगर अधिक गंभीर स्थितियों में से कोई आपकी मांसपेशियों के ट्विचिंग का कारण हो. अलग-अलग मेडिकल पेपर्स के मुताबिक लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाएं लिख सकते हैं. इन दवाओं में शामिल है-
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, जैसे बीटामेथासोन (सेलस्टोन) और प्रेडनिसोन (रेयोस)
- मसल रिलैक्सेंट्स, जैसे कि कारिसोप्रोडोल (सोमा) और साइक्लोबेनजाप्राइन (एम्रिक्स)
- न्यूरोमस्कुलर ब्लॉकर्स, जैसे इंकोबोटुलिनमोटॉक्सिन ए (ज्योमिन) और रिमाबोटुलिनुमोटॉक्सिन बी (मायोब्लॉक)
नियमित रूप से हेल्दी डायट लेना, खूब पानी पीना, 7 से 8 घंटे सोने की आदत, कैफीन का सेवन कम करने से आम ट्विचिंग को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. लेकिन अगर ट्विचिंग लंबे समय तक और लगातार हो रही समस्या बन जाती है तो डॉक्टर से जरूर मिलें.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)