भारत में कोरोना के नए मामलों में हर दिन रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी देखी जा रही है. कोरोना मामलों में आई तेजी के साथ वैज्ञानिक इस वायरस के तमाम वेरिएंट्स की पहचान करने और इनके बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटाने में लगे हैं.
24 मार्च 2021 को, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इंडियन SARS-CoV-2 कंसोर्टियम ऑन जीनोमिक्स (INSACOG) द्वारा की गई जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए भारत में वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न (VOCs) और एक नए डबल म्यूटेंट वेरिएंट की पहचान की गई.
म्यूटेशन का क्या मतलब है, वेरिएंट्स और स्ट्रेन में क्या अंतर है, वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न का क्या मतलब होता है? भारत के किन हिस्सों में वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न की पहचान हो पाई है? फिट आपको इन सवालों के जवाब यहां दे रहा है.
म्यूटेशन क्या होता है? वेरिएंट और स्ट्रेन क्या हैं?
वायरस जब हमारी कोशिका में प्रवेश कर लेता है, तब अपनी लाखों कॉपी बनाता है. इस प्रक्रिया को रेप्लिकेट होना कहते हैं. रेप्लिकेशन के दौरान वायरल जेनेटिक सीक्वेंस में आया कोई बदलाव म्यूटेशन कहलाता है.
वायरस म्यूटेशन के जरिए लगातार बदलते रहते हैं और समय के साथ एक वायरस का नया रूप सामने आता है, उस नए म्यूटेशन वाले वायरस को वेरिएंट्स कहा जाता है. वेरिएंट्स एक या अधिक म्यूटेशन के साथ अलग-अलग हो सकते हैं.
कभी-कभी नए वेरिएंट सामने आते हैं और गायब हो जाते हैं, तो कभी नए वेरिएंट बने रहते हैं.
जब कोई नया वेरिएंट एक या अधिक म्यूटेशन के साथ ओरिजनल वायरस के मुकाबले अलग फंक्शनल प्रॉपर्टीज दिखाता है और आबादी में इस्टैबलिश हो जाता है, तो इसे वायरस का नया स्ट्रेन कहते हैं.
सभी स्ट्रेन वेरिएंट्स होते हैं, लेकिन सभी वेरिएंट्स स्ट्रेन नहीं होते.
COVID-19 का कारण बनने वाले वायरस के कई वेरिएंट्स की पूरी दुनिया में इस महामारी के दौरान पहचान की गई है.
भारत में मुख्य रूप से कौन से कोरोना के वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न की पहचान हुई है?
सबसे पहले, वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न क्या हो सकते हैं?
जो वायरस के ट्रांसमिशन की क्षमता बढ़ाने, बीमारी की गंभीरता या बीमारी से मौत को बढ़ाने, पहले हुए संक्रमण या वैक्सीनेशन के मामले में एंटीबॉडीज का असर घटाने, मौजूदा थेरेपी, वैक्सीन और टेस्ट को प्रभावित करने योग्य हों.
23 अप्रैल 2021 को SARS-CoV-2 की जीनोम सिक्वेंसिंग पर हुए एक पब्लिक वेबिनार में दी गई जानकारी के मुताबिक इंडियन SARS-CoV-2 कंसोर्टियम ऑन जेनोमिक्स (INSACOG) ने अब तक 15,135 कोरोना पॉजिटिव सैंपलों की जीनोम सिक्वेंसिंग की है.
15,135 सैंपल्स में से 1,735 (11.5 फीसदी) में वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न की पहचान हुई.
इसमें यूके स्ट्रेन के कुल 1,644 मामलों, इसके अलावा दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के 112, ब्राजील स्ट्रेन के 1 मामले की पहचान हुई है, इन्हीं तीन वेरिएंट्स को वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न की कैटेगरी में रखा गया है. इन VOCs के अलावा B.1.617, जिसे इंडियन डबल म्यूटेंट कहा जा रहा है, के 732 मामलों की पहचान हुई है.
जितने सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग हुई है, उसके मुताबिक पंजाब और दिल्ली में यूके स्ट्रेन (B.1.1.7), तेलंगाना में दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन (B.1.351), महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में डबल म्यूटेंट वेरिएंट (B.1.617) के सबसे अधिक मामलों की पहचान हुई है.
यूके स्ट्रेन (B.1.1.7): सबसे पहले इसकी पहचान दिसंबर 2020 के अंत में यूके में हुई. यह दुनिया भर के लगभग 62 देशों में फैल चुका है. इसे "ब्रिटिश COVID-19 वेरिएंट" या "केंट वेरिएंट" के नाम से भी जाना जाता है. भारत में यूके स्ट्रेन के सबसे ज्यादा मामलों की पहचान पंजाब (551), दिल्ली (415), तेलंगाना (170) में हुई है.
दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन (B.1.351): दक्षिण अफ्रीका में दिसंबर के अंत में इसकी पहचान हुई और अब अफ्रीका, यूरोप, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में देखा गया है. भारत में दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के सबसे ज्यादा मामले की पहचान तेलंगाना (57) और दिल्ली (23) में हुई है.
ब्राजील स्ट्रेन: जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए आए सैंपल में इसके 1 मामले की पहचान महाराष्ट्र में हुई है.
इंडियन डबल म्यूटेंट (B.1.617): इसे सबसे पहले महाराष्ट्र में डिटेक्ट किया गया था, इसमें दो अलग वायरस वेरिएंट्स E484Q और L452R के म्यूटेशन होते हैं. महाराष्ट्र में इंडियन डबल म्यूटेंट के 427 मामलों और पश्चिम बंगाल में इसके 127 मामलों की पहचान हुई है.
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली के 3208 सैंपल की सीक्वेंसिंग में यूके स्ट्रेन के 415 मामलों के अलावा, दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के 23 मामलों की पहचान हुई है और डबल म्यूटेंट वेरिएंट के 76 मामलों की पहचान हुई है.
महाराष्ट्र की बात करें तो वहां 1,770 से अधिक सैंपल की सीक्वेंसिंग में इंडियन डबल म्यूटेंट के 427 मामलों के अलावा यूके स्ट्रेन के 64 मामलों, दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के 6, ब्राजीलियन स्ट्रेन के 1 मामले की पहचान हुई है.
पंजाब में यूके स्ट्रेन के 551 मामलों के अलावा दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट के 2 और डबल म्यूटेंट के 1 मामले की पहचान हुई है.
तेलंगाना में यूके स्ट्रेन के 170 केस के अलावा दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट के 57 और डबल म्यूटेंट के 3 मामलों की पहचान हुई है.
पश्चिम बंगाल में इंडियन डबल म्यूटेंट के 124 मामलों के अलावा यूके स्ट्रेन के 40 केस, दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के 9 मामलों की पहचान हुई है.
वैज्ञानिक इन वेरिएंट के बारे में अधिक जानने के लिए काम कर रहे हैं, इन्हें और समझने के लिए अधिक अध्ययन की आवश्यकता है:
ये नए वेरिएंट कितने व्यापक रूप से फैल गए हैं
इन नए वेरिएंट्स के कारण होने वाली बीमारी की गंभीरता पर कोई असर पड़ा है या नहीं
ये वेरिएंट मौजूदा थेरेपी, वैक्सीन और टेस्ट को कैसे प्रभावित कर सकते हैं
एक्सपर्ट्स के मुताबिक म्यूटेशन के कारण वैक्सीन की एफिकेसी शायद घट सकती है. जैसा कि जॉनसन एंड जॉनसन और नोवावैक्स वैक्सीन के फेज 3 ट्रायल में देखा गया. ये वैक्सीन ओरिजिनल वायरस और यूके वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी रही, लेकिन दक्षिण अफ्रीकी और ब्राजील वेरिएंट के खिलाफ इनकी एफिकेसी में कमी देखी गई.
हालांकि एक्सपर्ट्स साफ करते हैं कि वेरिएंट्स के कारण वैक्सीन की एफिकेसी घटने की आशंका भले ही है, लेकिन ऐसा नहीं है कि वैक्सीन इन पर कोई असर नहीं करेंगी. फिलहाल नए वेरिएंट्स पर स्टडीज चल रही हैं और समय के साथ इनके असर को लेकर नई जानकारियां सामने आ सकती हैं.
इस वायरस का जो भी वेरिएंट हो, इनसे बचने का उपाय वही है, हमें शरीर में इनकी एंट्री रोकनी है. इसलिए मास्क लगाना, भीड़ में न जाना, फिजिकल डिस्टेन्सिंग का ख्याल रखना, हाथों की सफाई, कोविड के अनुरूप नियमों के पालन में कड़ाई ही वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई को मजबूती देगी.
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