दावा
पिछले कुछ साल से एक पारदर्शी जीव की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा जा रहा है कि ये पानी में पाया जाने वाला कीड़ा है, जो दूसरे देशों से भारत में आ चुका है. कई मैसेज में सलाह दी गई है कि पानी वाले कीड़े से बचने के लिए पानी को उबालकर और अच्छी देखकर पीएं.
क्या है ये पानी वाला कीड़ा?

सोशल मीडिया पर शेयर किए गए पोस्ट में जो तस्वीर है, वो किसी दूसरे देश से आया कीड़ा नहीं बल्कि एक समुद्री जीव है, जो ईल, समुद्री ईल और सुपरऑर्डर एलोपोमोर्फ के दूसरे मेंबर्स का लार्वा है. ईल अपने जीवन की शुरुआत अंडों से फ्लैट और ट्रांसपैरेंट लार्वा के तौर पर करते हैं, जिसे लेप्टोसेफली कहते हैं.

चूंकि मादा ईल अंडे देने समुद्र में ही आती है, जहां वो लाखों की तादाद में अंडे देती है. नर ईल अपने शुक्राणु छोड़कर इन्हें निषेचित करते हैं. इन अंडों से लार्वा निकलते हैं, इन्हीं पारदर्शी लार्वा को लेप्टेसेफली कहते हैं.
नल के पानी में लेप्टोसेफली की आशंका न के बराबर
Africa Check वेबसाइट ने इसी साल इस दावे को गलत ठहराते हुए एक्सपर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि ईल के लार्वा समुद्र में पाए जाते हैं. इसके अलावा नदी या तालाब से पानी की सप्लाई से पहले प्यूरिफिकेशन प्रोसेस ही इनसे निजात के लिए काफी है.
इसीलिए विशेषज्ञों के मुताबिक ये समुद्र में ही पाए जाते हैं और इनके पीने के पानी में आने की आशंका न के बराबर होती है.
पीने के पानी को लेकर न बरतें लापरवाही
भले ही आपके नल के पानी में ईल के लार्वा मिलने की आशंका न के बराबर हो, लेकिन ये बात सही है कि पीने का पानी पूरी तरह से साफ होना चाहिए. आपको पानी पीने से पहले उसे अच्छी तरह जरूर देखना चाहिए. वहीं पानी को उबाल कर उसमें मौजूद रोगाणु, वायरस और बैक्टीरिया का खात्मा किया जा सकता है.
(Subscribe to FIT on Telegram)