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जानिए भारत के यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम से जुड़ी खास बातें

इस वैक्सीनेशन प्रोग्राम में कौन-कौन से टीके शामिल हैं?

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वैक्सीन यानी टीका किसी बीमारी से लड़ने के लिए इम्यूनिटी बढ़ाने की एक बायोलॉजिकल तैयारी है. टीके में ऐसे एजेंट होते हैं, जो रोगाणुओं से मिलते-जुलते हैं. ये एजेंट जब आपके शरीर में दाखिल होते हैं, तो आपके शरीर को उस बीमारी के रोगाणुओं से लड़ने के लिए तैयार रखते हैं.

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भारत में वैक्सीनेशन प्रोग्राम की शुरुआत

इस वैक्सीनेशन प्रोग्राम में कौन-कौन से टीके शामिल हैं?
भारत में टीकाकरण की शुरुआत 1978 से हुई
(फोटो: iStock)

डॉक्टर नवीन ठाकर के मुताबिक यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम दुनिया के इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम में सबसे अच्छा प्रोग्राम है.

भारत में यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम

भारत में टीकाकरण की शुरुआत 1978 से हुई और 1985 में इस अभियान का नाम यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) यानी सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम रख दिया गया. इसके अंतर्गत टीके के जरिये रोके जा सकने वाले 12 रोगों के लिए और गर्भवती स्त्रियों और शिशुओं का टीकाकरण होता है.

भारत का टीकाकरण प्रोग्राम दुनिया के सभी टीकाकरण प्रोग्रामों में सबसे अच्छा माना जाता है. 
डॉक्टर नवीन ठाकर, निदेशक, दीप चिल्ड्रेन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर

यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत बच्चों को लगाए जाने आने वाले 12 वैक्सीन हैं...

  • बी.सी.जी - बी.सी.जी का टीका बच्चों को ट्यूबरक्लोसिस के खतरे से बचाने के लिए लगाया जाता है.

कब- इस टीके को जन्म के एक साल के अंदर लगवाना होता है.

  • ओ.पी.वी - ओरल पोलियो वैक्सीनेशन बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए किया जाता है.

कब-ओ.पी.वी का टीका बच्चों के जन्म के समय लगवाते हैं, जिसे जीरो टीका कहते हैं, फिर छठे, दसवें और चौदहवें हफ्ते में लगवाते हैं. 16 से 24 महीने की उम्र में बूस्टर टीका लगाते हैं.

  • हेपेटाइटिस बी वैक्सीन

कब- इस वैक्सीन को जन्म के 24 घंटे के अंदर देना होता है. फिर 6ठे, 10वें, और 14वें हफ्ते में.

  • पेंटावेलेंट वैक्सीन - ये डिप्थीरिया, टेटनेस, काली खांसी, हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप 2 संक्रमण और हेपेटाइटिस B का मिश्रित टीका है.

कब-इसे 6, 10, 14 हफ्तों तक लगवाया जा सकता है. इसके अलावा इसे 1 साल के अंदर कभी भी लगवा सकते हैं.

  • रोटा वायरस वैक्सीन - इस वैक्सीनेशन का इस्तेमाल नवजात को रोटा वायरस डायरिया से बचाने के लिए किया जाता है. इसे फिलहाल भारत के कुछ ही राज्यों में दिया जा रहा है.
  • पी.सी.वी टीका- पीसीवी का मतलब न्यूमोकोकल कोंजुगेट वैक्सीन है. यह शिशुओं और छोटे बच्चों को बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया के कारण होने वाली बीमारी के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार करता है. ये गिने-चुने राज्यों में ही दिया जा रहा है.

कब- इस टीके के शुरुआती दो टीके 6वें और 14वें हफ्ते में दिलवाने होते हैं. इसका बूस्टर बच्चे की आयु 9 महीने की हो जाने पर लगवाना होता है.

  • एफ.आई.पी.वी- फ्रैक्शनल इनएक्टिवेटेड पोलियोमाइलाइटिस टीका है. इसका उपयोग पोलियो से सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया जाता है.

कब - आईवीपी की दो खुराक 6 से 14 हफ्ते की उम्र में दी जाती है.

  • मीसल्स या एमआर टीका- ये टीका बच्चों को खसरे से बचाने के लिए लगवाया जाता है.

कब- मीसल्स या एमआर टीका की पहली खुराक 9 महीनों में या 12 महीने की उम्र में दी जाती है. अगर 9 और 12 महीने की उम्र में ये टीका छूट गया है, तो इसे 5 साल की उम्र तक कभी भी लगवाया जा सकता है. इसकी दूसरी खुराक 16-24 महीने में दी जाती है.

  • जे.ई टीका- जे.ई का मतलब जापानी इंसेफलाइटिस है. इसका टीका जापानी इंसेफलाइटिस रोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है. जे. ई का टीका भी कुछ ही चुनिंदा जिलों में दिया जाता है.

कब - जे.ई टीका दो खुराक में दिया जाता है, पहली खुराक 9 महीने की आयु पूरी हो जाने के बाद 12 महीने की आयु तक कभी भी और दूसरी खुराक 16-24 महीने की आयु में दी जाती है.

  • डीपीटी बूस्टर- डीपीटी एक संयुक्त टीका है; यह बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस से बचाता है.

कब - 16-24 महीने की उम्र में डीपीटी टीका दिया जाता है, जिसे डीपीटी का पहला बूस्टर कहा जाता है और डीपीटी का दूसरा बूस्टर 5-6 साल की उम्र में दिया जाता है.

  • टी.टी- टेटनस टीका का उपयोग टेटनस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जाता है.

कब - टेटनस टोक्सॉयड टीका 10 साल और 15 साल की उम्र में दिया जाता है.

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को टीटी 1 दिया जाता है और टीटी 2 को टीटी 1 के 4 हफ्ते बाद दिया जाता है. अगर गर्भवती महिला पिछले 3 साल में टीटी के 2 टीके लगवा चुकी है, तो उसे इस गर्भावस्था के दौरान केवल बूस्टर टीटी का टीका ही लगवाया जाना चाहिए.

  • रूबेला- साल 2017 में सरकार ने रूबेला वैक्सीन को (एम.आर) वैक्सीन के नाम से लॉन्च किया है, जिसका मकसद 9 महीने से 15 साल तक के बच्चाें को इसका फायदा पहुंचाना है. इस वैक्सीन को भी सरकार ने कुछ ही राज्यों में शुरू किया है.
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मिशन इंद्रधनुष

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम को और मजबूत करने के लिए दिसंबर 2014 में मिशन इंद्रधनुष लॉन्च किया. इसका मकसद है, दो साल तक के सभी बच्चे और गर्भवती महिलाओं का पूर्ण टीकाकरण हो जाए.

इस मिशन को 2020 तक पूरा करना था. लेकिन अक्टूबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा कि प्रयासों में तेजी लाई जाए और 2014 में शुरू किए गए मिशन इंद्रधनुष के तहत 90 फीसदी टीकाकरण का लक्ष्य 2020 से दो साल पहले 2018 में पूरा कर लिया जाए. इसे इंटेन्सिव मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) कार्यक्रम कहा जाता है.

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यू.आई.पी के तहत रूटीन टीकाकरण जारी है, लेकिन मिशन इंद्रधनुष के जरिए उन लोगों तक टीकाकरण की सुविधा पहुंचाई जा रही है, जिन जगहों पर टीकाकरण ठीक से नहींं हो पाया है.
डॉक्टर नवीन ठाकर, निदेशक, दीप चिल्ड्रेन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर

इस प्रोग्राम में क्या कोई और वैक्सीन भी जोड़ी जानी चाहिए?

डॉक्टर नवीन का कहना है कि भारत में टीकाकरण को और बेहतर बनाने के लिए टाइफाइड और एच.पी.वी टीका यूनिवर्सल प्रोग्राम में शामिल किया जाना चाहिए. इससे यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम में और अधिक मजबूती आ जाएगी.

एच.पी.वी टीका

एचपीवी का टीका जननांग पर वार्ट (मस्सा) और किसी भी तरह के कैंसर जैसी गंभीर समस्या पैदा होने से बचाता है. किसी भी तरह के यौन संक्रमण से बचाने में ये टीका अहम भूमिका निभाता है.

टाइफाइड टीका

टाइफाइड दूषित पानी और दूषित खाने से फैलता है. ये टीका भविष्य में इसका संक्रमण होने से बचाता है.

डॉ नवीन ठाकर कहते हैं कि सरकार कि ये कोशिश है, देश का कोई भी बच्चा टीकाकरण से छूटने ना पाए.

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