COVID-19 से ठीक हो चुके कुछ लोगों को एवस्कुलर नेक्रोसिस (AVN), जिसे आमतौर पर 'बोन डेथ' भी कहा जाता है, का जोखिम हो सकता है. मुंबई में सामने आए तीन मामलों के आधार पर जारी किए गए केस रिपोर्ट Avascular necrosis as a part of ‘long COVID-19’ में इसके बारे में जानकारी दी गई है.
एवस्कुलर नेक्रोसिस (AVN) के ये मामले उन लोगों के थे, जो कुछ महीने पहले ही COVID-19 से ठीक हुए थे, इसलिए इसके पोस्ट कोविड जटिलता होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
केस रिपोर्ट के मुताबिक इसके तीन मामलों में मरीजों की उम्र 40 साल से कम थी और इन्हें पेट और जांध के बीच के हिस्से में दर्द होने से इसका पता चला.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के बीएलके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में हाल ही में कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में एवस्कुलर नेक्रोसिस के तीन मामले सामने आए हैं. तीन रोगियों में से जिनकी उम्र 32 से 40 वर्ष के बीच है, दो की अभी भी दवा चल रही है, जबकि एक मरीज की सर्जरी होनी है.
क्या है बोन डेथ?
मेयो क्लीनिक के मुताबिक एवस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular necrosis) किसी हड्डी की ओर ब्लड सप्लाई में रुकावट आने या इसकी कमी से होने वाली बीमारी है, जिसे ऑस्टियोनेक्रोसिस भी कहते हैं. इसमें हड्डी के ऊतक मर जाते हैं, इसलिए इसे बोन डेथ भी कहा जाता है.
ये कंडिशन आमतौर पर 30 से 50 साल की उम्र वालों में देखी जाती है.
एवस्कुलर नेक्रोसिस का स्टेरॉयड कनेक्शन
परेल, मुंबई स्थित ग्लोबल हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अनूप खत्री फिट से बताते हैं कि COVID-19 ट्रीटमेंट के दौरान स्टेरॉयड के बढ़ते इस्तेमाल से इसका जोखिम बढ़ सकता है.
एवस्कुलर नेक्रोसिस हाई डोज वाली स्टेरॉयड दवाओं के लंबे समय तक इस्तेमाल और अत्यधिक शराब पीने से भी जुड़ी हो सकती है.मेयो क्लीनिक
बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जोड़ों में स्टेरॉयड का प्रभाव तुरंत सामने नहीं आता, इसका असर दिखने में 3 महीने से एक साल तक का समय भी लग सकता है.
एवस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular Necrosis) के लक्षण
बहुत से लोगों में इस बीमारी के शुरुआती स्टेज में किसी तरह के लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन हालत खराब होने के साथ प्रभावित जोड़ पर भार पड़ने से दर्द हो सकता है.
परेल, मुंबई स्थित ग्लोबल हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अनूप खत्री फिट से बताते हैं,
शुरुआत में हो सकता है कि मरीज को कोई लक्षण महसूस न हों, लेकिन धीरे-धीरे वे कूल्हे के जोड़ या जांघ या कूल्हे के दर्द की शिकायत करते हैं.
डॉ. खत्री के मुताबिक शुरुआत में दर्द इतना हल्का होता है कि लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं.
शुरू-शुरू में दर्द जोड़ों पर भार पड़ने से ही होता है, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, आराम की स्थिति या जरा सी मूवमेंट में भी दर्द हो सकता है.डॉ. अनूप खत्री, सीनियर कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक सर्जन, ग्लोबल हॉस्पिटल, परेल, मुंबई
धीरे-धीरे स्टिफनेस यानी कठोरता और गठिया हो सकता है. डॉक्टर के मुताबिक एवस्कुलर नेक्रोसिस (AVN) कंधे, कोहनी या टखने जैसे अन्य जोड़ों में भी हो सकता है.
एवस्कुलर नेक्रोसिस का कैसे पता चलेगा?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर आपको COVID-19 हुआ था और ट्रीटमेंट के दौरान स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया गया था, तो जोड़ों में खासकर कूल्हे और जांघ के दर्द को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.
जोड़ों के दर्द की शिकायत लेकर पहुंच रहे रोगियों की संख्या बढ़ गई है और विशेषज्ञों का सुझाव है कि इन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, खासकर कूल्हे और कंधे के दर्द को.
डॉ. अनूप खत्री कहते हैं कि दर्द होने पर डॉक्टर के परामर्श में देरी नहीं करनी चाहिए और अगर आवश्यक हो, तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार एक्सरे (X-ray) या एमआरआई (MRI) करवाएं.
प्रारंभिक अवस्था में एक्स-रे सामान्य हो सकता है, लेकिन MRI से शुरुआती परिवर्तनों का भी पता करने में मदद मिल सकती है.
कूल्हे के दर्द वाले वो मामले जो तीन या छह हफ्ते के मेडिकल ट्रीटमेंट से ठीक नहीं होते, उनमें MRI कराने की जरूरत पड़ती है.बीएलके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, दिल्ली
डॉ. खत्री कहते हैं कि शुरुआती स्टेज में दवाइयों से मदद मिल सकती है, लेकिन इसका इलाज न कराने से एक बार हड्डी टूट गई, तो हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की जरूरत होगी. इसलिए लापरवाही न करें.
(इनपुट- मेयो क्लीनिक, आईएएनएस, टाइम्स ऑफ इंडिया)
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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