एक स्टडी के अनुसार, SARS-CoV-2 के डेल्टा वेरिएंट ( Delta Variant) से संक्रमित लोगों के शरीर में इसके मूल वेरिएंट से संक्रमित लोगों की तुलना में अधिक वायरस बनता है, जिसका फैलाना बहुत आसान हो जाता है.
चीन में ग्वांगडोंग प्रोविंशियल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के शोधकर्ताओं ने पाया कि वायरल लोड (यानी शरीर में वायरल कणों के घनत्व) मूल वेरिएंट से संक्रमित लोगों की तुलना में डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित लोगों में लगभग 1,000 गुना अधिक होता है.
अनुमानों के अनुसार, डेल्टा वेरिएंट SARS-CoV-2 के मूल स्ट्रेन की तुलना में दोगुने से अधिक ट्रांसमिसिबल हो सकता है.
डेल्टा वेरिएंट, जिसे पहली बार 2020 के आखिर में भारत में पहचाना गया था, अब प्रमुख स्ट्रेन बन गया है और कम से कम 111 देशों में इसके मामले रिपोर्ट किए गए हैं.
कैसे की गई स्टडी?
टीम ने 62 लोगों को ट्रैक किया, जो COVID-19 के कारण क्वॉरन्टीन थे और संक्रमण के दौरान हर दिन उनके वायरल लोड का टेस्ट किया गया कि समय के साथ वायरल लोड में क्या बदलाव आया.
शोधकर्ताओं ने इन प्रतिभागियों के संक्रमण पैटर्न की तुलना उन 63 लोगों से की, जो साल 2020 में SARS-CoV-2 के मूल स्ट्रेन से संक्रमित हुए थे.
चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) में महामारी विज्ञानी जिंग लू ने कहा, "प्रीप्रिंट पोस्ट किए गए निष्कर्षों से पता चला है कि एक्सपोजर के चार दिन बाद डेल्टा वेरिएंट वाले लोगों में वायरस का पता लगाया जा सकता था. दूसरी ओर, मूल स्ट्रेन को लोगों में इसकी उपस्थिति का पता लगाने के लिए औसतन छह दिन लगे."
"इससे पता चलता है कि डेल्टा बहुत तेजी से रेप्लिकेट करता है यानी तेजी से अपनी कॉपी बनाता है."
कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित व्यक्तियों में मूल स्ट्रेन से संक्रमित लोगों की तुलना में वायरल लोड 1,260 गुना अधिक पाया गया.
नेचर के हवाले से हांगकांग विश्वविद्यालय में महामारी विज्ञानी बेंजामिन काउलिंग ने कहा,
"बड़ी संख्या में वायरस और एक छोटी इन्क्यूबेशन अवधि (एक्सपोजर के बाद लक्षण सामने आने का वक्त) इन दोनों चीजों का एकसाथ होना डेल्टा वेरिएंट के अधिक ट्रांसमिसिबल होने की व्याख्या करते हैं."
शोधकर्ताओं ने कहा कि डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित लोगों के सांस के रास्ते अधिक संख्या में वायरस होते हैं, जिसका मतलब है कि वे सुपरस्प्रेडर बन सकते हैं और अधिक लोगों को संक्रमित कर सकते हैं. इसके अलावा, एक छोटा इन्क्यूबेशन कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को और अधिक कठिन बना देता है.
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