ADVERTISEMENTREMOVE AD

COVID पॉजिटिव बच्चों में मिले कावासाकी जैसे लक्षण,जानें क्या है ये

Published
Fit Hindi
5 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

COVID-19 के तमाम चिंताजनक पहलुओं में से एक राहत की बात ये रही कि, अब तक, इससे बच्चों का संक्रमित होना दुर्लभ माना गया और अगर वे संक्रमित हो भी गए, तो रिकवरी आसानी से हो जाती है.

लेकिन हाल ही मुंबई और दिल्ली के अस्पतालों की कुछ रिपोर्टें बता रही हैं कि जो बच्चे COVID-19 से उबर चुके हैं, और कुछ जिनका टेस्ट निगेटिव आया है, उनमें कावासाकी डिजीज (KD) नाम की एक दुर्लभ सूजन वाली बीमारी के लक्षण दिख रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी डिसऑर्डर कह रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

COVID-19 और इन लक्षणों के बीच क्या संबंध है? ये सिर्फ बच्चों में ही क्यों हो रहा है? और ये कितना गंभीर है? फिट ने नई दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता से बात की, जो बताते हैं कि-

“ये अप्रत्यक्ष रूप से कोरोना वायरस से संबंधित है. इसमें सूजन होती है जो COVID-19 संक्रमण के 2-4 सप्ताह बाद हो रही है. ये शरीर की एक असामान्य प्रतिक्रिया है - हम इसे एक इम्यून डिसरेगुलेशन (प्रतिरक्षा विकृति) कह सकते हैं, जिसमें इम्युनिटी में गड़बड़ी हो जाती है.”
गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता

मुंबई मिरर ने बताया कि मुंबई के बाई जेरबाई वाडिया अस्पताल में, 100 बच्चों में से 11 बच्चों में पीडिएट्रिक मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (पीएमआईएस) पाया गया और एक की मौत हो गई. इन बच्चों का COVID-19 इलाज हुआ था.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ठीक ऐसे ही दिल्ली के कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बताया कि कोविड का इलाज करा चुके बच्चों में 5-6 मामले ऐसे मिले हैं जिनमें कावासाकी डिजीज जैसे लक्षण थे.

0
बॉडी में रैशेज बनना, जीभ में सूजन जैसे लक्षण कावासाकी की पहचान होते हैं
(फोटो: iStockphoto)

बच्चे क्यों हो रहे हैं प्रभावित?

डॉ. गुप्ता का कहना है कि जहां युवा और बच्चों में बीमारी के गिरफ्त में आने की संभावना कम है, वहीं ठीक होने पर इन गंभीर सूजन वाले लक्षणों को देखा जा रहा है.

"अब तक, बच्चों में COVID-19 से संक्रमित होने की संभावना 54 प्रतिशत कम देखी गई है, और इनमें से सिर्फ 1 प्रतिशत ही गंभीर हो रहे हैं, खासकर 1 साल से कम उम्र के बच्चों के बीच."

लेकिन कुछ बच्चों में, COVID-19 से ठीक होने के करीब 2-4 सप्ताह बाद सूजन की समस्या होने लगती है. डॉ. गुप्ता कहते हैं, "जबकि, इन लक्षणों को दिखाने वाले करीब 90 प्रतिशत बच्चे COVID-19 टेस्ट में निगेटिव (RT-PCR परीक्षण में) आ रहे हैं." डॉ. गुप्ता कहते हैं.

ये हाइपर-इम्यून प्रतिक्रिया है.

“शरीर COVID-19 वायरस के खिलाफ प्रतिक्रिया के तौर पर एंटीबॉडी और टी कोशिकाओं को बनाता है, लेकिन जब COVID-19 खत्म हो जाता है, शरीर असामान्य रूप से उन प्रोटीनों पर प्रतिक्रिया करने लगता है जो कि COVID-19 को खत्म करने के लिए बनाते हैं. “
डॉ. धीरेन गुप्ता, गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कावासाकी डिजीज जैसे लक्षण क्या हैं?

  • ज्यादा समय तक बुखार
  • कावासाकी जैसा सिंड्रोम- लाल आंखें, रैशेज, जीभ में सूजन
  • हाइपर इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम -MISC- मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम

डॉ. गुप्ता कहते हैं, "ये सभी हाइपर-इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम हैं." ये एक स्पेक्ट्रम (एक साथ कई लक्षण) है."

वो बताते हैं कि ये कावासाकी जैसा दिखता है. बच्चों में जो देखा जा रहा है और कावासाकी डिजीज के बीच अंतर है. "इसलिए, हम कह सकते हैं कि ये कावासाकी जैसा सिंड्रोम है क्योंकि इसमें वैसा ही सूजन दिखता है."

“ये ब्लड प्रेशर को कम कर सकता है जो कि 80 प्रतिशत बच्चों में हो रहा हैं. 80 प्रतिशत मरीज जो  ज्यादा सूजन के साथ आते हैं उन्हें आईसीयू की जरूरत पड़ रही है.”
गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता

ये सिर्फ 19 साल से कम उम्र के मरीजों में क्यों हो रहा है?

“कोई नहीं जानता, लेकिन ये उसी पैटर्न को फॉलो कर रहा है जैसा कि दुनिया के बाकी हिस्सों में देखा गया था. जहां भी पीक दिख चुका है, वहां भी ये संक्रमण के करीब 2-4 सप्ताह बाद दिखा है. ”

यूएस 'सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) का कहना है कि अप्रैल 2020 में MISC को पहली बार यूएस और यूके के बच्चों में पहचाना गया था.

मई में पीडिएट्रिक मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम अमेरिका में न्यूयॉर्क, कैलिफोर्निया और लुइसियाना में और यूरोप में इटली, फ्रांस और स्विट्जरलैंड के बच्चों में तेजी से पाई गई. उस समय, ऐसी अटकलें थीं कि ये COVID -19 से जुड़ा हो सकता है क्योंकि ये रेयर लेकिन खतरनाक बीमारी के तौर पर दिख रही थी.

“ये एक हाइपर-इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम है, जो कुछ ही मामलों में हल्का हो सकता है, लेकिन ये या तो कावासाकी डिजीज के रूप में लो ब्लड प्रेशर या MISC के रूप में गंभीर नतीजे दिखा सकता है. ये COVID-19 संक्रमण के बाद होता है.”
गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता

उन्होंने दोहराया कि ये कावासाकी जैसी बीमारी लो-ब्लड प्रेशर के साथ और गंभीर दिख रही है. "ये मुख्य रूप से 5 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों में दिख रहा है, जबकि कावासाकी डिजीज 5 साल से कम उम्र के बच्चों में दिखता है. लेकिन कोई भी 100 % दावा नहीं कर सकता कि कावासाकी जैसा सिंड्रोम 2 या 3 साल के बच्चों में नहीं हो सकता.”

डॉ. गुप्ता के अनुभव के मुताबिक 8 साल के बच्चों में ये बीमारी सबसे ज्यादा देखी गई है. "लेकिन मेरा मानना है कि बच्चा जितना बड़ा होता है, बीमारी उतनी ही गंभीर होती है."

जबकि लंबे समय तक बुखार का पहला लक्षण कुछ ही मामलों में होता है. कावासाकी जैसी बीमारी 30-40 प्रतिशत मरीजों में हो रही है,

इसके अलावा, मोटे बच्चों में MISC ज्यादा दखा गया है. "अस्थमा और बच्चों में मोटापा दो बड़ी वजह हैं."

“MISC, खतरनाक है, और कावासाकी जैसी बीमारी, सबसे चिंताजनक है. ये गंभीर मुद्दे हैं और तत्काल इलाज की जरूरत पड़ती है.”
गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता

उन्हें अस्पताल में भर्ती और आईसीयू देखभाल की जरूरत पड़ती है.

डॉ. गुप्ता ने कहा कि इनमें से ज्यादातर बच्चों में 75-80 % COVID-19 एंटीबॉडी हैं. "लेकिन भले ही बच्चे में एंटीबॉडी न हो, लेकिन COVID-19 हो चुका हो और ऐसे लक्षण दिख रहे हैं तो, इस बीमारी पर विचार किया जाना चाहिए."

डॉ. गुप्ता कहते हैं, "इनमें से 90% मामलों में, वे COVID-19 निगेटिव हैं और इसलिए संक्रामक नहीं हैं." "कुछ 10% मरीजों में अभी भी COVID-19 है और ये डिजीज भी है."

कोविड पीड़ित बच्चे कावासाकी जैसे लक्षण के साथ बीमार हो रहे हैं. अमेरिका से लेकर चीन तक हर जगह ये देखा जा रहा है  
(फोटो: iStockphoto)

बच्चों की देखभाल

डब्ल्यूएचओ(WHO) ने कुछ दिशा-निर्देश दिए हैं जिन्हें डॉक्टर क्लीनिकल अनुभव के आधार पर देखते हैं:

  • तीन दिनों से अधिक 101 डिग्री फैरेनहाइट से ज्यादा बुखार
  • रैशेज (चकत्ते)
  • कंजंक्टिवाइटिस
  • सूजन के संकेत (मुंह, हाथ या पैर)
  • हाइपरटेंशन या शॉक
  • कोगुलोपैथी के साक्ष्य
  • दस्त, उल्टी, पेट दर्द

डॉ. धीरेन का कहना है कि, "गंगाराम अस्पताल की तीन बच्चियों, जो 5 साल से अधिक उम्र की थीं, को 105 डिग्री बुखार था और लक्षणों की शुरुआत के 48 से 72 घंटों के बाद उन्हें झटका लगा."

वो कहते हैं कि घबराने की कोई बात नहीं है, लेकिन माता-पिता को अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए, बुखार को नजरअंदाज हीं करना चाहिए, और अगर कोई लक्षण दिखाई दे तो बच्चों को अस्पताल ले जाना चाहिए.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×