रूस में डेवलप की गई कोरोना वायरस वैक्सीन ‘Sputnik V’ का कम लोगों पर ट्रायल किया गया, हालांकि ट्रायल में कोई गंभीर नुकसान पहुंचाने वाला परिणाम सामने नहीं आया. ट्रायल में शामिल किए गए सभी वॉलंटियर्स में एंटीबॉडी भी विकसित हुई.
द लांसेट जर्नल में शुक्रवार को फेज 1 और 2 क्लिनिकल ट्रायल की पीयर रिव्यूड स्टडी छपी है. रूस ने 12 अगस्त को इस वैक्सीन को रजिस्टर कराया था. फेज 3 ट्रायल के बिना वैक्सीन लॉन्च करने पर इसकी सुरक्षा और असर पर सवाल उठाए गए थे.
स्टडी के मुताबिक शुरूआती स्टेज में कुल 76 लोगों पर ट्रायल किया गया और 42 दिनों में वैक्सीन सुरक्षा के लिहाज से अच्छा नजर आया. इसने ट्रायल में शामिल सभी लोगों में 21 दिनों के अंदर एंटीबॉडी भी विकसित की. 2 फेज के नतीजों से पता चलता है कि वैक्सीन ने शरीर में 28 दिनों के अंदर टी-सेल्स(Killer T-cells) भी बनाई.
ब्राउन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (प्रोविडेंस, आरआई, यूएसए) के डीन आशीष झा कहते हैं कि "जिन 76 लोगों ने सकारात्मक परिणाम दिखे, वे पहले से ही अपेक्षाकृत स्वस्थ थे, और ये पर्याप्त रूप से जानने के लिए बहुत छोटा सैंपल साइज है."
“हमें ये पता नहीं है कि यह टीका सुरक्षित है या नहीं. ये वास्तव में चिंताजनक है जब लोग वैक्सीन डेवलपमेंट के लिए हमारे पास मौजूद मानक प्रक्रिया को दरकिनार करने लगते हैं.”आशीष झा, ब्राउन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (प्रोविडेंस, आरआई, यूएसए) के डीन, द लैंसेट प्रेस रिलीज में
इस वैक्सीन में रीकॉम्बीनेंट ह्यूमन अडीनोवायरस टाइप 26 (आरएडी26-एस) और रीकॉम्बिनेंट ह्यूमन अडीनोवायरस टाइप 5 (आरएडी5-एस) शामिल हैं. स्टडी के मुताबिक अडीनोवायरस के चलते आमतौर पर जुकाम होता है.
18-60 की उम्र के लोगों पर टेस्ट
ये ट्रायल रूस के 2 अस्पतालों में किए गए. ट्रायल में 18 से 60 साल की आयु के स्वस्थ व्यक्तियों को शामिल किया गया.
स्टडी में कहा गया है कि अलग-अलग आबादी समूहों में वैक्सीन की कारगरता का पता लगाने के लिए और अधिक स्टडी किए जाने की जरूरत है.
रूसी अनुसंधान केंद्र के प्रो. अलेक्जेंडर गिनत्सबर्ग ने कहा कि वैक्सीन के तीसरे ट्रायल फेज को 26 अगस्त को मंजूरी मिली है. इसमें अलग-अलग आयु समूहों से 40,000 वॉलंटियर्स शामिल किए जा रहे हैं.
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