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गोमूत्र पीते हैं अक्षय कुमार, इसके तमाम औषधीय दावों पर फैक्ट चेक

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बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार ने बताया है कि वो हर रोज गोमूत्र पीते हैं. अक्षय कुमार ने ये बात हुमा कुरैशी और बियर ग्रिल्स के साथ एक इंस्टाग्राम लाइव सेशन में बताई.

इंस्टाग्राम पर लाइव सेशन के दौरान 'इन टू द वाइल्ड' के अपने विशेष एपिसोड को लेकर उत्साहित अक्षय एडवेंचरर और टीवी होस्ट बेयर ग्रिल्स के साथ रूबरू हुए और उनके साथ जंगल के इस सफर की कुछ चुनौतियों पर बात की.

सेशन के दौरान जब हुमा ने अक्षय कुमार से पूछा कि हाथी के मल से बनी चाय पीना उनके लिए कितना कठिन था.

इस सवाल के जवाब में अक्षय ने कहा,

मैं परेशान नहीं था, एक्साइटेड था. मैं आयुर्वेदिक वजहों से हर रोज गोमूत्र लेता हूं. इसलिए मेरे लिए ये इतना मुश्किल नहीं था.

गोमूत्र के गुणों पर बहस होती रहती है, लेकिन वैज्ञानिक रूप से इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि गोमूत्र पीने से बीमारियां ठीक हो सकती हैं. अक्सर गोमूत्र को लेकर कई तरह के दावे कर दिए जाते हैं.

आइए एक-एक कर उन दावों पर एक नजर डालें, जिनकी सच्चाई इससे पहले फिट आपको बता चुका है.

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फैक्ट चेक 1: क्या गोमूत्र और गोबर से हो सकता है COVID-19 का इलाज?

कोरोना महामारी की शुरुआत में अखिल भारत हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए गोमूत्र पीने की सलाह दी थी और अखिल भारत हिन्दू महासभा की ओर से गोमूत्र पार्टी तक दी गई थी.

इससे पहले असम में एक बीजेपी विधायक ने भी गोमूत्र और गोबर से इलाज की बात कही थी.

इस रिपोर्ट के मुताबिक असम की हाजो विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक सुमन हरिप्रिया ने राज्य विधानसभा में कहा था, "मेरा मानना है कि कोरोनावायरस को ठीक करने के लिए गोमूत्र और गोबर का इस्तेमाल किया जा सकता है."

इस पर क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ सुमित रे ने कहा था कि इस तरह की टिप्पणियों पर कुछ नहीं कहा जा सकता.

विज्ञान की बात करें, तो गाय का गोबर हो या गोमूत्र, ये एक जानवर (स्तनधारी) के शरीर से बाहर निकाला जाता है. इसका कोई वैज्ञानिक अध्ययन या सबूत नहीं हैं कि गोमूत्र या गोबर में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं. इसलिए हम नहीं कह सकते हैं गोबर या गोमूत्र से कोरोनावायरस सहित किसी भी इंफेक्शन से निपटने में मदद मिल सकती है. इस तरह की टिप्पणियां अवैज्ञानिक और तर्कहीन हैं.
डॉ सुमित रे

वहीं आयुर्वेद ग्रोथ, निरोगस्ट्रीट की वाइस प्रेसिडेंट डॉ पूजा कोहली ने बताया था कि आयुर्वेदिक ग्रंथों में गोमूत्र समेत आठ जानवरों के मूत्र का जिक्र जरूर है. लेकिन कोरोनावायरस के प्रकोप के मामले में ये उपयोगी होगा ये कहना मुश्किल है क्योंकि कोविड-19 नई बीमारी है और इस बीमारी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है.

फिलहाल इसके इलाज के लिए कोई खास एंटीवायरल दवा नहीं है और इसकी वैक्सीन आने का इंतजार पूरी दुनिया में हो रहा है.

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फैक्ट चेक 2: क्या गोमूत्र से कैंसर ठीक हो सकता है?

‘साध्वी’ प्रज्ञा ठाकुर, जो भोपाल से बीजेपी सांसद हैं, उन्होंने पिछले साल एक इंटरव्यू में कहा था कि गोमूत्र और पंचगव्य के जरिए ब्रेस्ट कैंसर ठीक किया.

उन्होंने कहा था, 'मैं कैंसर की पेशेंट, मैंने गोमूत्र से और पंचगव्य से बनी औषधियों से अपने को ठीक किया, अपना कैंसर ठीक किया.'

गोमूत्र के सूक्ष्मजीवरोधी गुणों को लेकर काफी बातें होती रहती हैं. लेकिन ऑन्कोलॉजिस्ट और वैज्ञानिकों का कहना है कि इस दावे पर कोई साइंटिफिक स्टडी नहीं हुई है.

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फैक्ट चेक 3: क्या गाय पर हाथ फेरने से बीपी ठीक हो सकता है?

उसी इंटरव्यू में प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने गाय पर हाथ फेरते हुए कहा था कि गाय के पिछले हिस्से से आगे की तरफ हाथ फेरने से बीपी ठीक होता है.

फिट ने इस सिलसिले में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजिस्ट और हेड डॉ अशोक सेठ से बात की थी.

हम विज्ञान पर आधारित आयुर्वेद और दूसरी पारंपरिक दवाइयों पर यकीन रखते हैं. लेकिन किसी को भी लोगों की कही बातों, मिथ और घरेलू नुस्खों पर आश्रित नहीं होना चाहिए, खासकर तब जब इलाज न मिलने से आपकी बीमारी बढ़ रही हो.

उन्होंने कहा था, 'हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कैंसर जैसी बीमारियां काफी गंभीर होती हैं और इन मामलों में बेहतर इलाज की जरूरत होती है.'

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फैक्ट चेक 4: गाय के पास रहने से टीबी ठीक हो सकती है?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिछले साल दावा किया था कि गाय को थोड़ी देर सहलाने से लोगों की सांस की बीमारी ठीक हो सकती है. उन्होंने कहा था कि अगर किसी को टीबी जैसा रोग है, तो लगातार गाय के संपर्क में रहने से टीबी जैसी बीमारियां दूर हो जाती हैं.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सेंट्रल ट्यूबरक्लोसिस डिविजन के मुताबिक टीबी एक संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस से होती है.

टीबी एक बहुत गंभीर बीमारी है और अगर पेशेंट अपनी दवा ठीक तरीके से नहीं लेते हैं या सही दवा नहीं लेते हैं, तो वो ठीक नहीं हो सकते. यही वजह है कि आज भी कई लोगों की जान टीबी के कारण जाती है क्योंकि उनकी टीबी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई रहती है.

टीबी के मामलों और इससे होने वाली मौत में कमी लाने के लिए सबसे जरूरी है कि शुरुआत में ही टीबी की पहचान और बेहतर इलाज हो सके, तभी इसे आगे फैलने से रोका जा सकता है.

टीबी के इलाज के लिए कई दवाएं मौजूद हैं. टीबी की दवाइयां मरीज के शरीर में मौजूद टीबी के बैक्टीरिया को मारने का काम करती हैं. चूंकि टीबी के बैक्टीरिया धीरे-धीरे मरते हैं, इसलिए कुछ महीनों तक टीबी का दवा लेनी होती है.

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