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COVID-19 से उबरने के बाद भी दिल को नुकसान के संकेत, क्या करें

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कोरोना वायरस डिजीज-2019 (COVID-19) SARS-CoV-2 वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारी है. ये वायरस शरीर को किस कदर प्रभावित करता है, इसे लेकर लगातार नई बातें सामने आ रही हैं.

अब एक छोटी जर्मन स्टडी में कोरोना संक्रमण से उबर चुके लोगों के हार्ट मसल्स में इन्फ्लेमेशन (सूजन) और दिल की सेहत से जुड़ी दूसरी असामान्य स्थितियों का पता चला है.

इस स्टडी में पाया गया है कि कोरोना संक्रमित कई लोगों में ठीक होने और संक्रमण सामने आने के 2 महीनों बाद भी हार्ट डैमेज के संकेत दिखे.

तो क्या जो लोग COVID-19 से ठीक हो चुके हैं, भविष्य में उन्हें दिल से जुड़े किसी खतरे की आशंका हो सकती है? क्या कोरोना से उबर चुके लोगों को हार्ट से जुड़े चेकअप कराने चाहिए, ये जानने के लिए कि कहीं उनके दिल को किसी तरह का कोई नुकसान तो नहीं हुआ?

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इस जर्मन स्टडी में क्या पता चला है?

ये स्टडी JAMA कार्डियोलॉजी में छपी है. जर्मनी में स्टडी के लिए 45 से 53 साल के 100 ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जो COVID-19 से हाल में उबर चुके थे. इनमें से 33 पार्टिसिपेंट्स को हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरूरत पड़ी थी, जबकि 67 लोग घर पर ही ठीक हुए थे.

इन लोगों का MRI स्कैन संक्रमण का पता चलने के कम से कम 2 महीने बाद लिया गया और उनमें दो-तिहाई लोगों में हार्ट से जुड़े असामान्य संकेत दिखे, जिसमें हार्ट की मांसपेशियों में सूजन या मायोकार्डिटिस का पता चला.

कई लोगों के ब्लड में ट्रोपोनिन प्रोटीन मौजूद पाया गया, जो हार्ट इंजरी का संकेत करती है. ट्रोपोनिन हृदय की कोशिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जो ब्लड में तब रिलीज होता है, जब हार्ट की मांसपेशियां डैमेज होती हैं, ये अक्सर दिल को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक न मिलने के कारण रिलीज होता है.

लाइवसाइंस की रिपोर्ट के मुताबिक स्टडी के ऑथर का कहना है कि लंबे समय में मरीजों के हार्ट हेल्थ के लिए इसका क्या मतलब है, ये पूरी तरह साफ नहीं हो सका है.

लेकिन रिसर्चर्स का कहना है कि इस स्टडी ग्रुप में दिल की असामान्यताएं कितनी सामान्य थीं, इसका पता करने के लिए बड़ी आबादी में इसकी पुष्टि की जरूरत है.

फिर भी इस स्टडी के निष्कर्ष संभावित रूप से चिंताजनक हैं. मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ संतोष कुमार डोरा कहते हैं कि इस तरह की क्षति से भविष्य में हार्ट फेल का खतरा हो सकता है.

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क्या कोरोना वायरस दिल को नुकसान पहुंचा सकता है?

शुरुआत में, जब दुनिया इस बीमारी को समझने की कोशिश कर रही थी, हमने इसे शुरुआत में रेस्पिरेटरी डिजीज (सांस की बीमारी) के तौर पर देखा. लेकिन बाद में दूसरे अंगों को होने वाले नुकसान सामने आने लगे, जिसमें दिल, दिमाग, लिवर और किडनी भी शामिल है.

इस वायरस की कोशिकाओं में एंट्री एंजियोटेंसिन के जरिए एंजाइम-2 रिसेप्टर (ACE-2 रिसेप्टर) को कन्वर्ट कर होती है, जो कि सिर्फ रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में ही नहीं बल्कि दूसरे कई अंगों हार्ट और ब्लड वेसल, किडनी, लिवर, ग्रैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट और सेंट्रल नर्वस सिस्टम में भी होते हैं.
डॉ संतोष कुमार डोरा, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, मुंबई

इसलिए इन अंगों में सीधे वायरल इंफेक्शन हो सकता है. साथ ही इन अंगों पर वायरस से हाइपरएक्टिव हुए इम्यून सिस्टम के कारण भी असर पड़ सकता है.

एम्स, नई दिल्ली में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ संदीप मिश्रा कहते हैं कि ये स्टडी COVID-19 को कार्डियो-रेस्पिरेटरी डिजीज के तौर पर बताती है.

वहीं डॉ डोरा के मुताबिक अप्रैल, 2020 में चीन से भी एक स्टडी सामने आई थी, जिसमें 27 प्रतिशत COVID-19 रोगियों में दिल की मांसपेशियों में इंजरी के संकेत देखे गए थे, जिनमें से 31 प्रतिशत रोगियों के हार्ट मसल्स को हुए ज्यादा नुकसान की बात कही गई थी.

इस तरह के निष्कर्षों से पता चलता है कि कई मरीजों में वायरस से ठीक होने के बाद दिल से जुड़ी कुछ क्षति बनी रह सकती है.
डॉ डोरा

जर्मन स्टडी में देखी गई दिल की असामान्यताएं कभी-कभी दूसरी सांस की बीमारियों जैसे इन्फ्लूएंजा के साथ होती हैं, जो अस्थाई भी हो सकती हैं और अक्सर अपने आप ठीक हो जाती हैं.

वहीं डॉ संदीप मिश्रा कहते हैं कि लक्षण वाले COVID-19 रोगियों का इकोकार्डियोग्राफी टेस्ट जरूरी होना चाहिए.

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कोरोना से ठीक हुए लोग क्या सावधानी बरतें?

फिलहाल कुछ भी पुख्ता तौर पर कहने से पहले और ज्यादा स्टडी किए जाने की जरूरत है, लेकिन आमतौर पर हमें किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, ये जान लीजिए.

डॉ संतोष कुमार डोरा बताते हैं कि हार्ट में किसी भी तरह की दिक्कत का पता लगाने के लिए कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों को रूटीन कार्डियक चेकअप जैसे ईसीजी, चेस्ट एक्स-रे और 2डी इकोकार्डियोग्राम से मदद मिल सकती है और फिर उसी के मुताबिक इलाज किया जा सकता है, ताकि अगर कोई समस्या हो, तो वो आगे बढ़े नहीं.

डॉ संदीप मिश्रा कुछ लक्षणों को लेकर सतर्क रहने की बात करते हैं.

COVID-19 से ठीक होने के बाद अगर किसी में सांस फूलना, लगातार थकान, गर्दन या पीठ में दर्द, कमजोरी या हाथ-पैर में ठंडक लगे तो डॉक्टर से चेकअप के लिए संपर्क करना चाहिए.
डॉ संदीप मिश्रा, प्रोफेसर, कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट, एम्स, नई दिल्ली

डॉ मिश्रा कोरोना से ठीक हुए सभी लोगों को खासकर बुजुर्गों को कुछ दिनों के लिए बेड रेस्ट करने, फल और सब्जी से भरपूर आहार लेने की सलाह देते हैं.

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